जबलपुर HC का बड़ा फैसला: दुष्कर्म पीड़िता को बच्चा सौंपने की अनुमति

जबलपुर हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को नवजात बच्चे की कस्टडी देने की अनुमति दी। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि पीड़िता और उसके परिवार को हर संभव मदद प्रदान की जाए।

author-image
Sandeep Kumar
New Update
jabalpur-high-court-decision

jabalpur-high-court-decision

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है और दुष्कर्म पीड़िता को नवजात बच्चे की कस्टडी देने की अनुमति प्रदान की है। पिछले महीने, कोर्ट ने पीड़िता की मांग पर गर्भपात की अनुमति दी थी, और ऑपरेशन के बाद स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ। इसके बाद पीड़िता और उसके परिजनों ने आवेदन किया था कि वे बच्चे को पालना चाहते हैं। कोर्ट ने शनिवार को विशेष बेंच गठित कर इस मामले की सुनवाई की।

राजेश शर्मा के ठिकाने से मिली डायरी, इसी में दो IPS और एक IAS अधिकारी का नाम

विशेष बेंच का गठन और कोर्ट का आदेश

जस्टिस एके सिंह की विशेष एकलपीठ ने दुष्कर्म पीड़िता को नवजात शिशु की कस्टडी देने का आदेश दिया। कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश दिए कि वह पीड़िता और उसके परिवार को हर संभव मदद प्रदान करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिशु की मां से बेहतर कोई और उसे नहीं देख सकता, और यदि वह बच्चे की देखभाल करना चाहती है तो यह दोनों के हित में है।

अयोग्यों के चयन से रिक्त पदों पर मप्र शासन को फिर काउंसलिंग के आदेश

मां-बच्चे की देखभाल पर कोर्ट का विचार

कोर्ट ने कहा कि नवजात शिशु के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति उसकी मां ही है, और यदि वह बच्चे को पालने के लिए सक्षम है तो यह शिशु के भले के लिए होगा। इस दौरान, कोर्ट ने वीडियो कॉल के जरिए पीड़िता और डॉक्टर से भी बातचीत की।

पीड़िता के साथ हुआ था दुष्कर्म

यह मामला सागर जिले का है, जहां पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया गया था। इस घटना की एफआईआर भी दर्ज की गई थी। पिछले दिसंबर में हुई सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कहा था कि अगर बच्चा जीवित जन्म लेता है, तो उसे पालने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। अब पीड़िता ने बच्चे की कस्टडी की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दी।

पुलिस थानों से मंदिर हटाए जाने वाली याचिका को HC ने किया खारिज

कोर्ट की संवेदनशीलता और दिशा-निर्देश

कोर्ट ने इस मामले में संवेदनशीलता दिखाई और मां के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए आदेश दिया कि यदि वह अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए सक्षम है, तो उसे यह अधिकार दिया जाए। इसके अलावा, राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि पीड़िता और उसके परिवार को पूरी सहायता मिल सके।

हाईकोर्ट चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने दिव्यांग बच्चों की फ्लाइट का सपना हकीकत में बदला

मध्य प्रदेश MP News जबलपुर न्यूज Jabalpur High Court decision जबलपुर हाईकोर्ट रेप पीड़िता मध्य प्रदेश हाईकोर्ट एमपी हिंदी न्यूज