छात्रों के काम नहीं आ रहे आरजीपीवी और बीयू के इन्क्यूबेशन सेंटर

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के इन्क्यूबेशन सेंटर बेकार पड़े हैं। विश्वविद्यालयों में प्रबंधन की बेरुखी से न तो छात्र अपने स्टार्टअप आइडिया को आगे बढ़ा पा रहे हैं और न ही आगे बढ़ पा रहे हैं।

author-image
Sanjay Sharma
New Update
incubation centre
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के छात्रों को स्टार्टअप से जुड़ने के जो सपने दिखाए थे वे अब टूटने लगे हैं। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपए खर्च कर खोले गए इन्क्यूबेशन सेंटर भी बेकार पड़े हैं। दोनों ही विश्वविद्यालयों में प्रबंधन की बेरुखी से न तो छात्र अपने स्टार्टअप आइडिया को आगे बढ़ा पा रहे हैं और न ही आगे बढ़ पा रहे हैं। वहीं करोड़ों की लागत से जुटाए गए संसाधन भी अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार की स्टार्टअप नीति पर भी सवाल उठ रहे हैं।

यह है पूरा मामला

मध्य प्रदेश में साल 2022 में इंदौर में हुई स्टार्टअप कॉन्क्लेव के बाद सरकार के तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर और भोपाल सहित प्रमुख शहरों में स्टार्टअप हब विकसित करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद राजधानी भोपाल के आरजीपीवी और बीयू ने इन्क्यूबेशन सेंटर की स्वीकृति दी थी। दोनों ही विश्वविद्यालयों में 10 से 20 करोड़ रुपए के इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित किए गए लेकिन इनको लेकर नियोजित प्लानिंग नहीं की गई। नतीजा शुरूआत में तो ये इन्क्युबेशन छात्रों को स्टार्टअप के लिए आकर्षित करते रहे लेकिन अब छात्रों से उनका मोह भंग हो रहा है। 

ये खबरें भी पढ़िए :

हरदा कलेक्टर का आइडियाः इनोवेशन ने बढ़ाया जैविक खेती लायक जमीन का रकबा, किसानों को हो रहे ये फायदे

दिल्ली से इंदौर आ रही ट्रेन में हुआ चूहाकांड, तार काटे चूहों ने, शॉर्ट सर्किट हुआ, धुंआ होने पर रोकी ट्रेन

अनुपयोगी इन्क्यूबेशन सेंटर

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शुरूआत में इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना के लिए 8.5 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था उस पर अब तक 18 करोड़ खर्च हो चुके हैं। वैसे तो यह सेंटर बनकर तैयार है लेकिन छात्रों को स्टार्टअप से कैसे जोड़ा जाए इसकी प्लानिंग नहीं है। विश्वविद्यालय प्रबंधन की सफाई है कि स्टार्टअप के लिए 25 छात्र समूह को प्रति वर्ष एक- एक लाख रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। लेकिन छात्र स्टार्टअप खड़ा करके उसे व्यवस्थित रखने के लिए सरकार से मदद नहीं मिल पा रही है। इस वजह से छात्र भी अब इन्क्यूबेशन सेंटर में रुचि नहीं ले रहे हैं।

ये खबरें भी पढ़िए :

डीजीपी कैलाश मकवाना ने ली पुलिस अधिकारियों की क्लास, बोले- अनुशासन और प्रोफेशनलिज्म जरूरी

इंदौर ED ने 71 करोड़ के आबकारी घोटाले में सहायक आयुक्त संजीव दुबे सहित आरोपी अधिकारियों को बुलाया

सेंटर बीयू का सफेद हाथी 

बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के इन्क्यूबेशन सेंटर की कहानी भी इससे अलग नहीं है। यहां अब छात्रों को स्टार्टअप के लिए तैयार करने की जगह सेंट्रलाइज्ड कम्प्युटर लैब का संचालन हो रहा है। छात्रों के अनुसार साल 2023 में स्टार्टअप आइडिया मांगे गए थे। 25 छात्र समूहों ने अपने आइडिया भी प्रस्तुत किए थे लेकिन इनमें से केवल दो को ही स्वीकृति दी गई। इनमें एक समूह द्वारा अंडर वॉटर ड्रोन और दूसरे ग्रुप ने लिक्विड फर्टिलाइजर तैयार करने का प्लान दिया था। इन दोनों के अलावा 2023 के बाद एक भी छात्र स्टार्टअप आइडिया लेकर आगे नहीं बढ़ पाया है। 

स्टार्टअप बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी आरजीपीवी राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इंदौर भोपाल शिवराज सिंह चौहान छात्र मध्य प्रदेश सरकार
Advertisment