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BHOPAL. आरजीपीवी में एक और बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। इस बार 116 करोड़ रुपए से ज्यादा की अनियमितताएं मिली हैं। जांच में पांच फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) गायब होने की जानकारी मिली है। इन गायब एफडी की अनुमानित राशि 8.58 करोड़ रुपए तक हो सकती है।
फॉरेंसिक ऑडिट ने खोला घोटाले का पर्दा
यह खुलासा आरजीपीवी के फॉरेंसिक ऑडिट में हुआ है। इसके अनुसार, 7.91 करोड़ रुपए के पांच एफडी गायब हैं। खास बात यह है कि इन एफडी का न तो बंद होना दर्ज है, न ही नवीनीकरण का रिकॉर्ड है। इसके अलावा, एफडी के बैंक लेन-देन का भी कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। कुछ मामलों में तो मूल एफडीआर प्रमाणपत्र (FD receipt) भी गायब हैं।
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बैंक की मिलीभगत और संदिग्ध लेन-देन की आशंका
जांच में यह भी पता चला कि कई मामलों में एफडी को बिना अनुमति के निवेश किया गया। राशि को जोड़कर या बांटकर विभिन्न शाखाओं में भेजा गया। यह प्रक्रिया बैंक के साथ मिलकर की जा रही थी। हालांकि, बैंक से इस बारे में कोई संतोषजनक जानकारी नहीं मिली। ऐसे में बैंकों की मिलीभगत का शक बढ़ता जा रहा है।
आरजीपीवी की खबर पर एक नजर...
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सीबीआई जांच की मांग
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से इस पर ध्यान देने को कहा। इसके अलावा, राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसी से कड़ी कार्रवाई की अपील की गई है।
बैंक खाता और फंड डायवर्जन की चिंता
आरजीपीवी के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) खाते पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस खाते में विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किए गए फंड का सही रिकॉर्ड नहीं है। ऐसा लगता है कि इस खाते से फंड का डायवर्जन हो सकता है। बैंक में विभिन्न कार्यों को अलग-अलग वर्गीकृत नहीं किया गया है।
एक्सिस बैंक में 115 करोड़ का लियन
रिपोर्ट के अनुसार, एक्सिस बैंक ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) के आदेश पर उनके बचत खाते में 115.71 करोड़ रुपए की लियन लगाई गई है। इस राशि में चार एफडी भी शामिल हैं। यह संकेत है कि आरजीपीवी में वित्तीय अनियमितताएं और घोटाला बड़ा हो सकता है। बता दें कि लियन एक कानूनी अधिकार है जो लेनदार को तब तक किसी संपत्ति पर अधिकार देता है, जब तक कि उधारकर्ता अपना कर्ज या दायित्व पूरा नहीं कर देता।
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केंद्र सरकार से कार्रवाई की अपील
जांच के दौरान यह साफ हुआ कि आरजीपीवी (राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) में वित्तीय अराजकता फैल चुकी है। पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. एचएस त्रिपाठी ने सुझाव दिया कि सरकार विश्वविद्यालय का प्रबंधन अपने हाथ में ले। इसके साथ ही उन्होंने केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की बात कही।
रिपोर्ट कार्य परिषद के समक्ष रखी जाएगी
प्रोफेसर एससी चौबे, कार्यवाहक कुलगुरु ने बताया कि फॉरेंसिक रिपोर्ट जल्द वित्त समिति और कार्य परिषद के पास जाएगी। उन्होंने कहा कि सिस्टम में सुधार के लिए जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
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