संजय शर्मा, BHOPAL. RGPV घोटाला (राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) में FD की आड़ में 100 करोड़ से ज्यादा के गोलमाल की आंच अब यूनिवर्सिटी के चार्टर्ड एकाउंटेंट तक पहुंच गई है। कुलपति, कुलसचिव द्वारा कर्मचारियों की मिलीभगत से यूनिवर्सिटी के 19.48 करोड़ निजी अकाउंट में फिक्स डिपॉजिट करने की पुष्टि हो चुकी है।
फर्जीवाड़े की कई परतें खुलना बाकी
FD की आड़ में 100 करोड़ से ज्यादा के गोलमाल के मामले में लिप्त पाए गए तत्कालीन कुलपति और कुलसचिव और अन्य कर्मचारियों को तो हटा दिया गया, लेकिन अब भी यूनिवर्सिटी के 100 करोड़ से ज्यादा के फर्जीवाड़े की कई परतें खुलना बाकी है। यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने अब इन गोलमाल में यूनिवर्सिटी के CA की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। इसकी शिकायत शासन के साथ ही द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया से भी की है।
ये खबरें भी पढ़ें...
नहीं बढ़ा DA, MP cabinet में अनदेखी से कर्मचारी हुए लामबंद,दिया ज्ञापन
Councilor Devalia का चुनाव जीरो होने में हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत
मध्य प्रदेश : सीएस वीरा राणा को मिला एक्सटेंशन, जून तक रहेंगी पद पर
मध्य प्रदेश : सीएस वीरा राणा को मिला एक्सटेंशन, जून तक रहेंगी पद पर
यूनिवर्सिटी के 100 करोड़ हड़पने के लिए थी FD की साजिश
RGPV में सर्वोच्च पद पर रहते हुए तत्कालीन कुलपति और कुलसचिव ने अपने मातहतों से मिलकर यूनिवर्सिटी के करोड़ों रुपए हड़पने की साजिश रची थी। इसके लिए अधिकारियों ने 100 करोड़ रुपए की अलग- अलग FD निजी बैंक अकाउंट में जमा करा दी थी। किसी को इस खेल की खबर न लगे इसके लिए यूनिवर्सिटी के दस्तावेजों में बैंक अकाउंट को यूनिवर्सिटी का दर्शाया गया था। लेकिन अधिकारियों का यह खेला दबा नहीं और भांडाफूट गया। खबर लगने पर विधार्थियों ने हंगामा और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था जिसके बाद हायर एजुकेशन मिनिस्टर ने मौके पर पहुंचकर जिम्मेदारों को पद से हटाते हुए उनके विरुद्ध FIR भी दर्ज कराई थी।
यूनिवर्सिटी के CA की भूमिका पर भी सवाल
विद्यार्थी परिषद के प्रान्त मंत्री संदीप वैष्णव ने CA फर्म की भूमिका और जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए राज्य शासन, केंद्रीय वित्त मंत्रालय सहित इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंटस ऑफ इंडिया से की है। उनका आरोप है CA की जानकारी के बिना इतना बड़ा घोटाला कर पाना संभव नहीं था। अब इस घपले में यूनिवर्सिटी के चार्टर्ड एकाउंटेंट की भूमिका सवालों के घेरे में हैं। जांच में सामने आया है की जिन निजी बैंक अकाउंट में यूनिवर्सिटी का रुपया जमा कराया गया था उन्हें चार्टर अकाउंटेंट ने सर्टिफाई किया था।
जांच रिपोर्ट में भी CA का प्रमाणीकरण आया सामने
जांच रिपोर्ट के पैरा 21 में इसका उल्लेख किया गया है कि चार्टर अकॉउंटेंट विकास जैन एंड कम्पनी और उनके पार्टनर मो. सोहेल राइन द्वारा FD के लिए जिन बैंक अकाउंट को प्रमाणित किया था मिलान करने पर वे यूनिवर्सिटी के नहीं पाए गए। ये खाते व्यक्ति विशेष के थे ऐसे में CA के प्रमाणीकरण के कारण ही उनमें भारी भरकम राशि की FD की गई। फर्म 2012 से यूनिवर्सिटी के ऑडिट का काम संभाल रही है।