RGPV SCAM : करोड़ों के गबन में पुलिस ने गठित की 6 सदस्यीय SIT

राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ( RGPV ) में करोड़ों के गबन का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। इस मामले में एसीपी बैरागढ़ के नेतृत्व में पुलिस ने 6 सदस्यीय एसआईटी ( SIT ) गठित कर दी है।

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Sandeep Kumar
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RGPV में बड़ा घोटाला

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BHOPAL. मध्य प्रदेश के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ( Rajiv Gandhi Proudyogiki Vishwavidyalaya ) में करोड़ों रुपए के गबन के मामले में राज्य सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। दरअसल 19.48 करोड़ रुपए एक निजी बैंक में भेजने और 25-25 करोड़ की चार एफडी आरबीएल निजी बैंक में फर्जी दस्तावेज तैयार कर रखने सहित अन्य वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। इस मामले में सीएम मोहन यादव ( CM Mohan Yadav ) के आदेश के बाद 5 लोगों के खिलाफ भोपाल के गांधी नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के रविवार को लखनऊ से लौटकर भोपाल पहुंचने पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (  Higher Education Minister Inder Singh Parmar ) उनसे मिलने पहुंचे थे और आरजीपीवी मामले की पूरी जानकारी दी। जिसके बाद सीएम के आदेश पर FIR दर्ज की गई है। आरजीपीवी के कुलपति प्रो. सुनील कुमार, तत्कालीन रजिस्ट्रार प्रो. आरएस राजपूत सहित 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है। मामले की जांच अब एसआईटी करेगी। एसीपी बैरागढ़ के नेतृत्व में पुलिस ने 6 सदस्यीय एसआईटी ( SIT ) गठित कर दी है।

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सीएम मोहन यादव ने क्या कहा ?

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि 'मेरे संज्ञान में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय में चल रही आर्थिक अनियमितता का प्रकरण सामने आया है। मैंने त्वरित एफआईआर और विश्वविद्यालय की वित्त शाखा में पदस्थ सभी अधिकारियों को हटाकर उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में दोषी पाए जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।

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विवि की राशि की चार एफडी बनवाई

एफआईआर FIR के अनुसार एक निजी बैंक की पिपरिया शाखा में आरजीपीवी के 100 करोड़ रुपए की एफडी बनवाकर जमा किए गए हैं। जिसे आरबीएल (निजी बैंक) की शाखा में जमा किया गया है। वह बैंक की बहुत छोटी शाखा है, लेकिन आरजीपीवी के कुलपति और तत्कालीन रजिस्ट्रार ने बैंक के फर्जी स्टेटमेंट तैयार करवाकर बैंक को फायदा पहुंचाने के लिए विवि की राशि के 25-25 करोड़ की चार एफडी बनवाकर पिपरिया शाखा में जमा कराई। इसके साथ ही एक एनजीओ को भी अनियमितता बरतते हुए करीब नौ करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है।

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निजी खातों में राशि की गई ट्रांसफर 

इधर, सरकार ने जो जांच कमेटी पहले गठित की थी, उसकी रिपोर्ट से बड़ा खुलासा हुआ है। विश्वविद्यालय के अधिकृत चार्टेड अकाउंटेन्ट (सीए) ने बैंक अधिकारी कुमार मयंक के खाता नंबर-921010023537968 (निजी खाते) को आरबीएल बैंक में विवि का खाता बताया। सीए ने इस संबंध में एक प्रमाण पत्र वर्तमान रजिस्ट्रार डॉ. मोहन सेन को दिया, जबकि बैंक से पता चला कि यह खाता विवि का नहीं है। कमेटी ने इस गलत प्रमाणीकरण के संबंध में पूछताछ करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट के अनुसार, जिन आरोपों के आधार पर जांच शुरू की गई थी, वे सही पाए गए। निजी खातों में राशि ट्रांसफर की गई। 

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