रंगपंचमी पर दीवारों पर लिखे व्यंग्य में लालवानी के टिकट पर तंज, हवाला काम आ गया नहीं तो डूब गई थी लुटिया

इंदौर में रंगपंचमी पर मुख्य आयोजन स्थल गोराकुंड पर दीवारों पर नेताओं को लेकर कई व्यंग्य लिखे गए हैं।  बीजेपी-कांग्रेस नेताओं के साथ मंत्री, विधायक सभी पर व्यंग्य हैं। आइए आपको बताते हैं नेताओं के लिए लिखे व्यंग्य और उसके पीछे की कहानी...

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. रंगपंचमी पर इंदौर में निकलने वाली विश्व प्रसिद्ध गेर 30 मार्च शनिवार को निकलने की तैयारियां पूरी हो गई है। इसके लिए नेताओं को लेकर मुख्य आयोजन स्थल गोराकुंड पर दीवारों पर व्यंग्य लिखे गए हैं। इसमें हाल ही में टिकट होल्ड और फिर टिकट पाए बीजेपी नेता शंकर लालवानी को लेकर काफी तीखा व्यंग्य लिखा गया है। बीजेपी-कांग्रेस नेताओं के साथ मंत्री, विधायक सभी पर व्यंग्य हैं। रंगों की फुलझड़ी राजनीति के रंग, बुरा ना मानो होली है के स्लोगन से यह पोस्टर लगाए गए हैं।

यह लिखा गया है लालवानी के लिए 

सांसद व बीजेपी प्रत्याशी शंकर लालवानी को लेकर लिखा गया है-हवाला काम आ गया नहीं तो डूब गई थी लुटिया। इस व्यंग्य के लिखने के पीछे की वजह यह है बीजेपी की पहली सूची में लालवानी का टिकट होल्ड हो गया। सभी जगह खबर चली कि टिकट कट रहा है और महिला प्रत्याशी को मिल सकता है। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने तो मंच से बोल दिया कि लालवानी का टिकट कट गया, ऐसी उड़ती खबर आई है कि यहां से पीएम किसी महिला को टिकट देना चाहते हैं। इसके बाद लालवानी सक्रिय हुए और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के जरिए दिल्ली में लगातार बड़े नेताओं से मुलाकात की और जब एमपी की अगली सूची आई तो फिर से टिकट लालवानी को ही दिया गया। 

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नेताओं के लिए यह लिखे गए व्यंग्य और पीछे की कहानी...

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के लिए लिखा- लो मैं बन गया थानेदार भैया, अब डर काहे का?'

कारण- विजयवर्गीय तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के समय प्रदेश की राजनीति से केंद्र में शिफ्ट हो गए, उनके हाथ प्रदेश में पूरी तरह बंध गए थे। अब शिवराज के हटने के बाद वह फिर आठ साल बाद मंत्री बने हैं। 

सुमित्रा महाजन के लिए लिखा- मोहे भूल गए बावरे। ना दिल्ली सुन रही, ना भोपाल भय खा रहा।

कारण- महाजन विधानसभा चुनाव के दौरान पुत्र को टिकट के लिए प्रयासरत रही लेकिन नहीं सुनी गई। सांसद पद से हटने के बाद से ही वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गई, बीच में बात चली राज्यपाल पद मिलेगा लेकिन यह सिर्फ चर्चा तक ही सीमित रहा। 

महापौर पुष्यमित्र भार्गव के लिए लिखा- बदला निजाम, तो आई जान में जान। नहीं तो सब जमा करने पर तुले थे।

कारण- तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान की वह पसंद नहीं थे लेकिन पार्टी महापौर का टिकट दिया. इसके बाद से भोपास से भार्गव को कई सहयोग नहीं मिला। अब सीएम मोहन यादव के बनने और विभाग के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय होने के बाद राहत मिली है। 

पूर्व विधायक व कवि सत्यनारायण सत्तन के लिए लिखा- अब क्या इस उमर में अपनी आदत बदलूं? खरा हूं, 100 टंच ही रहूंगा, 100 बरस तक'

कारण- सत्तन गुरू अपनी खरी बोली के लिए जाने जाते हैं। जब कर्नाटक में बीजेपी हारी तो कहा था कि कर्नाटक में बीजेपी घुस गई फाटक में। यह तंज काफी चर्चित हुआ था। 

विधायक मालिनी गौड़ के लिए लिखा- नहीं तय हो पाया अयोध्या का उत्तराधिकारी। अभी मैं ही सब पर भारी।

कारण- अयोध्या यानि इंदौर चार की विधानसभा पर इस पार सभी की नजरें थी, वह खुद चाहती थी उनके पुत्र एकलव्य को टिकट मिले, लेकिन नहीं मिला। वह खुद मैदान में उतरी, सभी पर भारी पड़ी. पार्टी ने टिकट दिया औऱ् करीब 69 हजार वोट से जीती भी।

मंत्री तुलसी सिलावट को लेकर लिखा-  खांटी भाजपाई तो आते नहीं मेरी चौखट पर। काहे का मंत्री?

कारण- मंत्री सिलावट मार्च 2020 में कांग्रेस से बीजेपी में आए, सिंधिया गुट को होने से लगातार मंत्री पद मिल रहा है। लेकिन अभी भी कई भाजपाई उन्हें पचा नहीं पा रहे हैं। 

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के लिए लिखा- म्हारे से काई दुश्मनी? पद पर बैठते ही खाली हुई गी रे कांग्रेस।

कारण- जब से पटवारी प्रदेशाध्यक्ष बने हैं, रिकार्ड तोड़ 16 हजार कांग्रेसी साथ छोड़ चुके हैं। इसमें कई बड़े नेता शामिल है। 

बीजेपी नगर अध्यक्ष गौरव रणदीवे के लिए लिखा- बड़े नेताओं के पुत्र मोह ने रोक दी मेरी राह। मेहनत पर फिरा पानी।

कारण- रणदिवे का विधानसभा में टिकट तय माना जा रहा था, उनका नाम विधानसभा तीन, पांच के साथ राऊ के लिए भी चर्चा में था लेकिन ऐनवक्त पर दो नेताओं की नाराजगी भारी पड़ गई। 

विधायक गोलू शुक्ला के लिए लिखा- अभी तो यह शुरुआत है, देखते जाओ आगे-आगे होता है क्या?

कारण- पहली बार चुनाव में उतरे, आकाश का टिकट कटने से सौभाग्य से टिकट उनकी झोली में गिरा और रिकार्डतोड वोट से इंदौर तीन में चुनाव जीत गए। 

पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय के लिए लिखा- पप्पा का अंगना अब मेरा हुआ। मेरा अंगना हुआ पराया।

कारण- विधानसभा तीन से टिकट कटने के बाद अब आकाश इंदौर एक में पिता कैलाश विजययवर्गीय की विधानसभा में सक्रिय है और उनकी गैरमौजदूगी में पूरा काम संभालते हैं। लोगों की समस्याएं सुनते है और मदद में जुटे रहते हैं।

दीवारों पर व्यंग्य लिखे रंगपंचमी