संजय गुप्ता, INDORE. राज्य शिक्षा केंद्र संचालक व सीनियर आईएएस धनराजू एस ने शनिवार को छुट्टी के दिन विभाग का दफ्तर खुलवाया और चिट्ठी इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के नाम लिखवा कर भेजी गई। इस चिट्ठी में कलेक्टर सिंह द्वारा शुक्रवार को आरटीई कार्रवाई से 56 गरीब बच्चों को स्कूल में एडमीशन की तारीफ के साथ ही इसका भी खुलासा था कि कई नामी स्कूल जरूरतमंद बच्चों को प्रवेश देने से बच रहे हैं।
यह लिखा है चिट्ठी में
चिट्ठी में धनराजू ने लिखा है कि आरटीई (शिक्षा के अधिकार) एक्त के तहत गैर अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों की 25 फीसदी पर कमजोर और वंचित बच्चों को प्रवेश देने का प्रावधान है। इनकी फीस भी सरकार ऑनलाइन पोर्टल से ही सीधे स्कूल के बैंक खाते में जारी करती है, लेकिन अफसोस की बात है कि प्रदेश के कई नामी और बड़े स्कूल अलग-अलग तरीके से जरूरतमंद बच्चों को प्रवेश देने से बचते रहे हैं। इंदौर के दो प्रतिष्ठित स्कूल जो सालों से इसका पालन करने से बचते रहे, वह इस बार भी प्रवेश से मना कर रहे थे। कमजोर वर्ग के बच्चों के प्रति आपकी संवेदनशीलता और कानून को लागू करने की दृढ़ता के सामने इन स्कूल के प्रबंधकों को झुकना पड़ा। आपके प्रयास से 56 बच्चों को स्कूल में प्रवेश मिल सका। आपकी कार्रवाई से आमजन का प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ेगा। इस नेक काम के लिए व्यक्तिगत रूप से और राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से आप और सभी सहयोगी अधिकारी कर्मचारियों को बधाई।
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चमेली देवी के साथ अग्रवाल पब्लिक स्कूल भी नहीं दे रहा था
प्रदेश के सबसे अमीर व्यक्ति विनोद अग्रवाल के भाई पुरुषोत्तम अग्रवाल के स्कूल चमेली देवी में जहां 40 गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा था, वहीं उन्हीं के एक और स्कूल अग्रवाल पब्लिक स्कूल में भी 20 बच्चों को एडमीशन नहीं दिया जा रहा था। शुक्रवार शाम को जब कलेक्टर ने टीम भेजकर स्कूल सील करने की कार्रवाई शुरू कराई, इसके बाद रात में भी सभी बच्चों को एडमीशन दे दिया गया।