कॉलेजियम : हाईकोर्ट में सात जजों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई पूरी

मध्‍य प्रदेश हाईकोर्ट में नव नियुक्त सात जजों की नियुक्ति को लेकर सुनवाई पूरी हो गई है। इसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के कॉलेजियम सिस्टम को चुनौती दी गई थी... 

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Shreya Nakade
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हाईकोर्ट में सुनवाई
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जबलपुर हाईकोर्ट में आज एक अहम याचिका की सुनवाई हुई। इस याचिका में हाईकोर्ट के नव नियुक्त सात जजों की नियुक्ति की अधिसूचना को चुनौती दी गई है।  

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अधिवक्ता मारुति सोंधिया ने अधिवक्ता उदय कुमार साहू के माध्यम से याचिका दायर की है। इसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया के कॉलेजियम सिस्टम ( collegium system ) को चुनौती दी गई है। 

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क्यों दायर की गई यह याचिका ?

आरोप है कि यह सिस्टम घोर जातिवादी और परिवारवाद को बढ़ावा देने वाला है। इस सिस्टम के चलते एक ही जाति, वर्ग और परिवार विशेष के ही अधिवक्ताओं के नाम पीढ़ी दर पीढ़ी हाई कोर्ट जजों की नियुक्ति हेतु प्रेषित किए जाते हैं। भारत के संविधान में सामाजिक न्याय तथा आर्थिक न्याय की आधारशिला रखी गई है। करिया मुंडा कमेटी की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से व्याख्या करती है कि हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में एक जाति वर्ग विशेष के ही जजों की नियुक्ति होने से बहुसंख्यक समाज के लोगों को सही तरीके से न्याय नहीं मिल पाता है। 

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नहीं मिल पा रहा योग्य वकीलों को मौका

उक्त याचिका की आज प्रारंभिक सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस अमरनाथ केसरवानी  की खंडपीठ द्वारा की गई। याचिकाकर्ता मारुति सोंधिया के अधिवक्ता उदय कुमार साहू ने हाईकोर्ट को बताया गया कि आजादी से लेकर आज तक मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक भी SC तथा ST का जज नहीं बनाया गया है। हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में एक भी ओबीसी, एससी या एसटी का प्रतिनिधि नहीं है। उदय कुमार साहू ने उदाहरण देकर बताया हाल ही में जस्टिस रवि मली मठ अपनी तीसरी पीढ़ी के हाईकोर्ट जज थे। उक्त याचिका को सुनवाई के बाद आदेश के लिए रिजर्व  कर लिया है। 

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इन सात जजों की नियुक्ति का विरोध

  1. जस्टिस विनय सराफ
  2. जस्टिस विवेक जैन
  3. जस्टिस राजेंद्र कुमार वानी
  4. जस्टिस प्रमोद  कुमार अग्रवाल
  5. जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी
  6. जस्टिस देव नारायण मिश्रा
  7. जस्टिस गजेंद्र सिंह

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