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INDORE. देश और मध्य प्रदेश के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन सिंहस्थ पर्व के लिए तैयारी चल रही है। वहीं, इसमें लंबे समय से चल रही लैंड पूल की कवायद एक झटके में बैकफुट पर आ गई। आखिरकार बैठक का दौर हुआ और इस स्कीम से सरकार पीछे हट गई है।
किसानों ने ढोल-नगाड़े बजा लिए, फिर एक पन्ने का नया आदेश आया था। इसके बाद, किसान फिर नाराज हो गए थे। भोपाल में बंद कमरे में दो दौर की मुलाकात हुई। वहीं, संघ पदाधिकारी कमल सिंह आंजना खफा होकर लौट गए।
इस मामले में 17 नवंबर से 21 नवंबर तक क्या कहानी हुई और स्कीम कितनी बदल गई। इंदौर हाईकोर्ट में लगी याचिका में क्या दम। इसकी द सूत्र की इन्वेस्टिगेटिव, इंडैप्थ रिपोर्ट सामने है।
क्या थी सिंहस्थ लैंड पूल स्कीम
उज्जैन में 17 गांवों में सिंहस्थ क्षेत्र में 2378 हेक्टेयर जमीन पर यह स्कीम आ रही थी। टीएंडसीपी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) व यूडीए (उज्जैन डेवलपमेंट अथॉरिटी) के जरिए यह स्कीम लाई जा रही थी। इसे टीडीएस 8,9,10 और 11 नाम दिया गया था।
इसमें किसानों से करीब 1900 हेक्टेयर जमीन ली जाती। इसके बदले 50 प्रतिशत डेवलपमेंट प्लॉट यानी 950 हेक्टेयर जमीन किसानों को वापस लौटाई जाती। ली गई जमीन पर स्थायी सिंहस्थ सिटी का निर्माण किया जाता।
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स्कीम नोटिफिकेशन17 मार्च 2025 को |
किसानों को क्या थी इस स्कीम से समस्या
भारतीय किसान संघ ने इस स्कीम का शुरू से विरोध किया। किसानों का कहना था कि स्थायी निर्माण की जरूरत है। अभी तक जो होता आया है कि सरकार अस्थायी तौर पर किसानों से जमीन लेती है और एक साल का फसल का मुआवजा देती है। वही प्रथा कायम रखी जाए।
उज्जैन सिंहस्थ 2028 में स्थायी निर्माण से नुकसान होगा और जमीन कई टुकड़ों में बंट जाएगी। इससे खेती के काम की नहीं रहेगी। वहीं कई स्थायी निर्माण, मकान हैं जो टूट जाएंगे। यह भी आपत्ति थी कि किसान को वापस मिली जमीन में से निर्माण के लिए कम से कम 0.4 हेक्टेयर प्लॉट की शर्त रखी गई है। यह शर्त हर किसान के लिए संभव नहीं है।
सरकार ने सालों से इस क्षेत्र की गाइडलाइन नहीं बढ़ाई। अभी भी यहां 16 लाख बीघा का भाव गाइडलाइन में हैं जबकि बाजार में दो करोड़ प्रति बीघा है, इसलिए किसानों को नुकसान होगा। 50 फीसदी प्लॉट भी सभी किसानों को नहीं मिलेंगे, यह रेंडम आधार पर है।
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अब 17 नवंबर से 21 नवंबर तक क्या हुआ
17 नवंबर की बैठक- 17 नवंबर को भोपाल में रात नौ बजे सीएम मोहन यादव के साथ बैठक हुई। इस बैठक में बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी थे। बैठक के बाद सीएम ने कहा कि सिंहस्थ दिव्य, भव्य और विश्वस्तरीय होगा। उन्होंने कहा कि साधु-संतों और किसानों की भावनाओं का पूरा सम्मान किया जाएगा। वहीं, कमल सिंह आंजना ने कहा कि सरकार ने किसानों की भावनाओं का ध्यान रखा है। बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि लैंड पूलिंग लागू नहीं होगी और सभी काम सहमति से होंगे।
18 नवंबर को यह हुआ- किसान संघ के पदाधिकारियों के साथ किसानों ने जमकर खुशी जताई। उज्जैन में किसानों ने ढोल-नगाड़े बजाए। पदाधिकारियों का स्वागत किया गया कि अब लड़ाई खत्म हुई।
19 नवंबर को यह हुआ- इसके बाद सरकार ने किसानों से हुई बातचीत के बाद संशोधित पत्र जारी किया। इस पत्र में कहा गया कि मप्र नगर और ग्राम निवेश एक्ट 1973 की धारा 52(1)(ख) का उपयोग किया जाएगा। इस धारा का इस्तेमाल करते हुए यूडीए के जरिए लागू नगर विकास योजना क्रमांक 8,9,10 और 11 में बदलाव किए गए हैं। इसका मतलब है कि कानून में संशोधन किया गया है।
ए- धारा 50(12)(क) के तहत विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए तय भूमियों तक यह योजना लागू होगी।
बी- धारा 50(12)(क) के तहत तय भूमि के अतिरिक्त भूमि स्कीम से मुक्त होगी और भूस्वामियों के पास बनी रहेगी।
सी- धारा 50(12)(क) के तहत मार्ग व सामाजिक अधोसंरचना में ली जाने वाली भूमि का प्रतिकर अलग से तय होगा।
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संशोधन के मायने क्या हुए
इस संशोधन के बाद सरकार लैंड पूलिंग की जगह अब 50(12)(क) के तहत जमीन लेगी। यह काम रोड जैसे प्रोजेक्ट के लिए किया जाएगा और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत होगा।
इसका मतलब है कि मुआवजा मिलेगा, लेकिन कितना होगा, यह तय नहीं है। इसके साथ ही पाइंट सी में सामाजिक अधोसंरचना का भी प्रावधान जोड़ा गया है।
इसके तहत डिस्पेंसरी, स्कूल और धर्मशाला जैसी सुविधाओं के लिए भी सरकार जमीन ले सकती है। किसान पहले ही आपत्ति जता चुके हैं कि सिंहस्थ क्षेत्र में गाइडलाइंस सालों से नहीं बढ़ी हैं। बाजार और मूल कीमत में भारी अंतर है, और स्थायी निर्माण से उन्हें नुकसान होगा।
अब कितनी जमीन स्थायी तौर पर जाएगी
- किसानों की पहले 1900 हेक्टेयर जमीन स्थायी जा रही थी। उन्हें बदले में करीब 950 हेक्टेयर जमीन डेवलप प्लॉट के तौर पर मिल रही थी।
- अब स्कीम में पास लेआउट प्लान के मुताबिक रोड में 8.37 लाख वर्गमीटर यानी करीब 84 हेक्टेयर जमीन रोड में जा रही है।
- साथ ही सामाजिक संरचना में करीब तीन लाख वर्गमीटर यानी करीब 30 हेक्टेयर जमीन भी ली जा सकती है।
जानकारी के अनुसार संशोधन के बाद भी किसानों की 100 से 150 हेक्टेयर के बीच की जमीन स्थायी तौर पर जाएगी। पहले 1900 हेक्टेयर जा रही थी और 950 हेक्टेयर वापस मिल रही थी। इसमें ली जाने वाली 100-150 हेक्टेयर जमीन का किसानों को भूमि अधिग्रहण एक्ट 2013 के तहत मुआवजा देय होगा।
20 व 21 नवंबर को बंद कमरे में क्या हुआ
किसान संघ की सीधी मांग थी कि नगर विकास योजना खत्म की जाए। साथ ही, पूर्व की तरह ही अस्थायी तौर पर सिंहस्थ के लिए जमीन ली जाए। स्थायी निर्माण की कोई जरूरत नहीं है।
जब 19 नवंबर को नया संशोधन आया तो किसान संघ नाराज हो गया। उनका कहना था कि किसानों को यह उलझाने वाली बात है। साफ मांग थी कि उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र से नगर विकास योजना (TDS 8,9,10,11) लैंड पूलिंग एक्ट का गजट नोटिफिकेशन रद्द किया जाए। साथ ही, पूर्व की तरह सिंहस्थ आयोजित किया जाए। सिंहस्थ क्षेत्र में कोई भी स्थायी निर्माण न हो।
इसके बाद 20 व 21 नवंबर को बंद कमरे में बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार इसमें किसान संघ से आंजना, प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल व संघ के अन्य पदाधिकारी भी थे।
इसमें आंजना ने एक ही बात कही कि हमने पहले ही कहा था कि हमें लिखित में मांग मानने का पत्र दीजिए। आप नहीं माने, आपके अधिकारियों ने मांग के विपरीत नया संशोधन लागू कर दिया।
इस पर अन्य ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि रोड व अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर सिंहस्थ की बेहतर व्यवस्था, सुरक्षा के लिए जरूरी है। वहीं, आंजना किसान संघ से 17 नवंबर को हुई बात का हवाला देते रहे। आखिर में यह कहकर उठ गए कि जो वादे हुए थे वह पूरे कीजिए, नहीं तो हम अपनी राह खुद तय करेंगे।
किसान संघ क्या करेगा, आंजना नहीं उठा रहे फोन
किसान संघ की वैसे काफी हद तक मांग पूरी हो चुकी है। सरकार का यह पक्ष भी सही है कि इस बार 30 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का है जो पहले 7-8 करोड़ ही होता था। ऐसे में सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है।
कच्चे रास्ते से समस्या आएगी, इसलिए कम से कम 50-60 किमी रोड जरूरी है। वैसे भी अब बहुत कम जमीन जा रही है और वह भी जरूरी काम के लिए। उधर किसान संघ दिल्ली पदाधिकारियों से बात कर रहा है।
उधर किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष आंजना ने फोन उठाना बंद कर दिया है। वहीं प्रांत सचिव भरत सिंह बैस ने कहा कि हमने अपनी बात दिल्ली बता दी है। मांग तो केवल सीधी थी कि सिंहस्थ को पूर्ववत रखा जाए और स्थायी निर्माण नहीं हो, संशोधन से हम खुश नहीं हैं।
इधर इंदौर हाईकोर्ट में लगी याचिका
28 किसानों ने 10-11 नवंबर को इस योजना के खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट में रिट अपील दायर की। इस मामले में 27 नवंबर को सुनवाई होनी है। शासन ने पहले ही कैविएट दायर कर दी थी, इसलिए उनका पक्ष पहले सुना जाएगा। लेकिन अब योजना में बड़ा बदलाव हो चुका है।
मूल स्कीम पूरी तरह बदल चुकी है, इसलिए याचिका का आधार भी बदल गया है। शासन अब यही जवाब देगा कि 19 नवंबर को स्कीम को रद्द कर दिया गया है। ऐसे में याचिका का कोई औचित्य नहीं रह जाता। अब सबकी नजरें हाईकोर्ट की सुनवाई पर हैं।
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