सुनो भाई साधो... गुबरीला की गरिमा गोबर में ही है, सर

यह कंटेंट समाज में गिरती हुई गरिमा पर व्यंग्य करता है। इसमें बताया गया है कि गरिमा लगातार गिरती जा रही है, लेकिन कोई इसे रोकने को तैयार नहीं है। कोर्ट में इसकी सुनवाई होती है, और गरिमा अपनी स्थिति को सही साबित करने की कोशिश करती है।

author-image
The Sootr
New Update
suno-bhai-sadho-31-august

Photograph: (The Sootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

सुधीर नायक

साधो, इस गरिमा से सब परेशान हैं। यह गिरती ही जा रही है। रोज़ गिरती है। सुन सुनकर कान पक गये, साधो। आज इधर गिर गयी। कल उधर गिर गयी। आज इसने गिरायी, कल उसने गिरायी। होड़ मची है। कौन कितनी गिरा पाता है? 

लोग कहते हैं- जा देखकर तो आ जल्दी से, अपने बाजू वालों ने कितनी गिरायी है? अपन उनसे ज्यादा गिराकर दिखायेंगे। और हमसे पहले वाले जो थे वे तो बिल्कुल फिसड्डी थे, यार। हमने जब चार्ज लिया तब पता चला कि वे तो बिल्कुल ज़रा सी गरिमा गिरा पाये थे। न के बराबर। न मालूम क्या करते रहे साले इतने सालों तक।

उनके छः सालों से ज्यादा तो हमने छः महीने में गिरा दी। हर जगह बस गरिमा के गिरने की चर्चा है। इसके सिवा कोई दूसरी बात ही नहीं है। जिससे भी बात करो वह बस यही रोना लेकर बैठ जाता है- भैया, सुना तुमने, आज फिर गिर गयी गरिमा।

ये भी पढ़ें... सुनो भाई साधो... अब चेलों की शर्तों पर चलता है गुरु

केवल गरिमा ही गिर रही

साधो, मुझे समझ में नहीं आता कि ऐसे वक्त में जब सब बढ़ रहे हैं तब इस गरिमा को गिरने की सूझ रही है। भाव बढ़ रहे हैं। मंहगाई बढ़ रही है। अपराध दर बढ़ गयी। बेरोजगारी बढ़ गयी। बेशर्मी बढ़ गयी। दुष्टता बढ़ गयी। नीचता बढ़ गयी। टुच्चापन बढ़ गया। केवल ये गरिमा ही है जो गिर रही है।

तुम्हें मालूम है साधो, एक दिन गुस्से में आकर किसी ने कोर्ट में पिटीशन लगा दी। मी लॉर्ड! इस गरिमा को गिरने से रोका जाए। ये धरातल पर आ चुकी है अब और गिरी तो सीधे रसातल में जायेगी। गरिमा पेश हुई, साधो।

कोर्ट ने फटकारा-गरिमा यह क्या तमाशा है। तुम रोज गिर जातीं हो। तुम्हारा क्या है? तुम तो मज़े से गिर जातीं हो। इधर पब्लिक परेशान होती है। तुम एफीडेविट दो कि अब और नहीं गिरोगी। जितनी गिर चुकी हो उतनी ही गिरी रहोगी।

ये भी पढ़ें... सुनो भाई साधो... अमेरिका का राष्ट्रपति और मैं

कोर्ट में गरिमा की दलील

गरिमा ने विनम्रतापूर्वक कहा- मी लॉर्ड, मेरी कोई ग़लती नहीं है। मैं प्रोपेगंडा की शिकार हूं। मेरे खिलाफ षडयंत्र हो रहा है, मी लॉर्ड। मान्यवर, मेरे गिरने का सवाल ही नहीं है। मैं तो पहले से ही गिरी हुईं हूं। मेरे लोगों को देख लीजिए वे भी सब गिरे हुए हैं। आप स्वयं सोचिए, सर, गिरे हुए लोग अब और क्या गिरेंगे। रोज़ गिरने के आरोप बेबुनियाद हैं, सर। आगे गिरने की जगह ही नहीं बची, मी लॉर्ड। आप मौका मुआयना करवा लीजिए, सर। मी लॉर्ड, कमी स्टैंडर्ड्स में है।

गरिमा के जो स्टैंडर्ड फिक्स किए वे ग़लत हैं, सर। सत्तर साल पहले कुछ लोग पहाड़ों की चोटियों पर रहते थे। उन लोगों ने स्टैंडर्ड फिक्स किए। गलती उनकी भी नहीं थी, श्रीमान। अब, मी लॉर्ड, पहाड़ वाला तो पहाड़ जैसे ही स्टैंडर्ड बनायेगा। सवाल यह है, सर कि पहाड़ की गरिमा खाई पर कैसे चलेगी?

ये भी पढ़ें... सुनो भाई साधो... आखिर क्यों सिर्फ घोटाले बेच रहे हैं अखबार?

गुबरीला गोबर में नहीं तो कहां जाएगा?

पहाड़ वाले खाई वालों पर हंसते हैं। वे कहते हैं, सर, कि खाई वाले गिरे हुए हैं। यह हमारा अपमान है, सर। हम गिरे हुए नहीं हैं, सर। हम कहीं से गिरकर नहीं आये हैं। हम तो खाई के मूल निवासी हैं। खाई हमारा वतन है। हम खाई में ही पैदा हुए हैं और इसी खाई में रहते हुए मर जायेंगे। गरिमा पुनरीक्षण आयोग बनवा दीजिए, सर। खाई वालों की गरिमा के मापदंड अलग होने चाहिए।

पहाड़ वालों की गरिमा खाइयों पर न थोपी जाये। मान्यवर, गुबरीला गोबर में नहीं रहेगा तो और कहां जायेगा, सर। बस, इतना कंट्रोल रखा जा सकता है कि गुबरीला गोबर में ही रहे लींद में न जाये। ये मापदंड हो सकता है। पर सर गुबरीला से मखमल में रहने की अपेक्षा की जायेगी तो वह कैसे सर्वाइव करेगा? मखमल में तो वह मर जायेगा, सर। मखमल उसका नैचुरल हैवीटेट नहीं है, सर।

ये भी पढ़ें... सुनो भाई साधो... सरकारी नौकरी लगने के बाद काम भी किया जाता है?

सुनो भाई साधो... इस व्यंग्य के लेखक मध्यप्रदेश के कर्मचारी नेता सुधीर नायक हैं

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट केसाथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

कोर्ट अमेरिका सरकारी नौकरी मध्यप्रदेश कर्मचारी नेता सुधीर नायक सुनो भाई साधो