2018 से लंबित प्रमोशन के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे संयुक्त संचालक सुरेश कुमार कुमरे, की ये मांग

एमपी मंडी बोर्ड के संयुक्त संचालक सुरेश कुमार कुमरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश शासन को प्रतिवादी बनाया गया है।

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Neel Tiwari
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BHOPAL. एमपी मंडी बोर्ड के संयुक्त संचालक सुरेश कुमार कुमरे ने अपनी लंबे समय से लंबित पदोन्नति को लेकर याचिका दायर की है। ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। इसकी रिट याचिका (Diary No. 60186/2025) दाखिल की है।

याचिका में केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश शासन के संबंधित विभागों को प्रतिवादी बनाया गया है। यह मामला उन अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है जिनकी पदोन्नति सालों से प्रशासनिक उदासीनता के कारण अटकी हुई है।

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प्रमोशन रूल्स 2025 को लागू करने की मांग

याचिकाकर्ता सुरेश कुमार कुमरे ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आग्रह किया है कि प्रमोशन रूल्स 2025 को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। कोर्ट से यह भी प्रार्थना की गई है कि वह राज्य शासन को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय जरनैल सिंह वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया में दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दे।

कुमरे का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2018 से ही अतिरिक्त संचालक के पद पर पदोन्नति हेतु आवेदन किया था। लेकिन, विभागीय स्तर पर न तो पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक आयोजित की गई। न ही उनकी पात्रता के अनुसार पदोन्नति आदेश जारी किया गया।

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सालों की सेवा के बाद भी नहीं मिल रहा प्रमोशन

याचिकाकर्ता की ओर से यह मामला सीनियर एडवोकेट आरडी उपाध्याय और एडवोकेट हिमांशु श्रीवास्तव ने पेश किया। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता एक वरिष्ठ अधिकारी हैं जिन्होंने वर्षों तक उत्कृष्ट सेवा दी है। पदोन्नति के सभी पात्रता मानदंड पूरे करने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला।

सुप्रीम कोर्ट ने Jarnail Singh मामले में स्पष्ट कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण और सीनियरिटी दोनों का निर्धारण ‘योग्यता एवं न्यायसंगत प्रक्रिया’ के तहत किया जाना चाहिए। फिर भी, राज्य शासन ने अब तक इन दिशा-निर्देशों को लागू नहीं किया है, जिससे अधिकारी की वैधानिक पदोन्नति में विलंब हुआ है।

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2018 से पदोन्नति का हक लंबित

याचिका में कहा गया है कि कुमरे की 2018 से पदोन्नति लंबित है। वे वर्तमान में MP मंडी बोर्ड के संयुक्त संचालक पद पर कार्यरत हैं। कई कनिष्ठ अधिकारियों को पदोन्नति दी गई है। इससे उनके सेवा अधिकारों का हनन हुआ है। यह संवैधानिक समानता (Article 14 और 16) का उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से यह प्रार्थना की है कि “Promotion Rules 2025” के प्रावधानों को तत्काल लागू करते हुए, लंबित पदोन्नतियों पर शीघ्र निर्णय लिया जाए। ताकि भविष्य में ऐसे मामलों में देरी न हो।

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सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की उम्मीद

यह याचिका फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में स्क्रूटनी प्रक्रिया से गुजर रही है। आने वाले दिनों में इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट यह तय कर सकता है कि क्या राज्य सरकार और कृषि विपणन बोर्ड ने प्रमोशन प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्देशों का पालन किया है या नहीं।

सुर्खियों में है प्रमोशन में आरक्षण मामला

इस मामले का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि कई सालों के इंतजार के बाद मध्य प्रदेश में प्रमोशन की राह खुली थी और अब यह मामले कोर्ट में लंबित है। Jarnail Singh केस (2018) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले क्रीमी लेयर और कुशलता की कसौटी जैसे मानकों का पालन जरूरी है। अगर अदालत इस याचिका में नियमों के अनुपालन पर सख्त रुख अपनाती है, तो मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी लंबित प्रमोशन मामलों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।

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