बदल गया स्वच्छ सर्वेक्षण का पैटर्न, फील्ड सर्वे में गलत दावों पर कटेंगे नंबर

केंद्र सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 के नियम बदले हैं। अब डॉक्यूमेंट्स और फील्ड सर्वे में अंतर होने पर नेगेटिव मार्किंग होगी। पढ़ें पूरी खबर इस लेख में...

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Siddhi Tamrakar
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केंद्र सरकार ने 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2025' के पैटर्न में इस बार बड़ा बदलाव किया है और इसे लेकर नई गाइडलाइन भी जारी कर दी है। इसके मुताबिक अब डॉक्यूमेंट्स में किए गए दावों और जमीनी हकीकत में फर्क होने पर नेगेटिव मार्किंग होगी। सर्वेक्षण के कुल नंबर भी 9 हजार 500 से बढ़ाकर 12 हजार 500 कर दिए गए हैं।

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डॉक्यूमेंट और फील्ड सर्वे में अंतर पड़ेगा भारी

इस बदलाव का असर खासतौर पर ऐसे बड़े शहरों पर पड़ सकता है जो पिछले सालों में टॉप-5 रैंकिंग में अपनी जगह बनाते रहे हैं, इनमें भोपाल भी शामिल है। नई गाइडलाइन के मुताबिक यदि डॉक्यूमेंट और फील्ड सर्वे में 20% से ज्यादा का फर्क पाया गया, तो नंबर कटेंगे। यह कटौती विभिन्न लेवल पर होगी।

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शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अब भी कई प्रमुख बाजारों और रिहायशी इलाकों में दिन में दो बार सफाई नहीं हो रही है और कई जगहों पर कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं। यदि स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान ऐसा पाया गया तो शहर की रैंकिंग पर असर पड़ सकता है। हालांकि, नगर निगम द्वारा जीआईएस (Geographic Information System) आधारित योजनाओं के लागू होने से भोपाल को फायदा होने की संभावना है।

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G-20 समिट का असर और संभावित सुधार

प्रमुख सड़कों पर सौंदर्याकरण, डामरीकरण (asphalting) और धूल रोकने के लिए पेविंग ब्लॉक लगाने के काम तेजी से  किए जा रहे हैं। वहीं स्वच्छ सर्वेक्षण G-20 समिट के आसपास ही होने की उम्मीद है, इसलिए इन सुधारों का सकारात्मक असर हो सकता है।

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इस बार शहरों के लिए अलग क्राइटेरिया

अब तक सभी शहरों के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण में एक जैसे क्राइटेरिया लागू होते थे, लेकिन इस बार अलग-अलग क्राइटेरिया तय किए गए हैं। भोपाल जैसे 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों को कुछ स्टैनडर्ट्स पर खास ध्यान देना होगा। इनमें रेलवे लाइन, पब्लिक टॉयलेट, यूरीनल्स और बस स्टैंड के आसपास स्वच्छता शामिल है। साथ ही नगरीय निकायों को ट्रीटेड पानी का दोबारा इस्तेमाल कर आय बढ़ाने पर जोर देना होगा।

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