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Eattendance Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. उच्च शिक्षा विभाग का सार्थक ऐप कॉलेजों में गेस्ट फैकल्टी और प्राचार्यों की कारगुजारियों को उजागर कर रहा है। इस बीच सरकार द्वारा स्कूलों में शुरू की गई ई-अटेंडेंस व्यवस्था का विरोध शुरू हो गया है। प्रदेश के स्कूली शिक्षक भी इससे उच्च शिक्षा विभाग के सार्थक ऐप की तरह बंदिश मान रहे हैं।
सरकारी स्कूलों से शिक्षकों के गायब रहने की शिकायतों को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के लिए यह व्यवस्था लागू की है। अब शिक्षक इससे बचने प्रदर्शन कर रहे हैं। हांलाकि ई-अटेंडेंस की दिक्कतों को लेकर उनके पास ठोस जवाब नहीं है।
मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्राचार्य से लेकर गेस्ट फैकल्टी तक के लिए ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था की गई है। यानी कॉलेज आकर पढ़ाने वालों को विभाग के सार्थक ऐप के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है।
कॉलेजों में प्राध्यापक क्लासरूम पहुंचें यह सुनिश्चित करने के लिए लाई गई इस व्यवस्था में भी अब सेंधमारी शुरू हो गई है। पिछले दिनों सार्थक ऐप के डेटा से कॉलेज प्राचार्य और गेस्ट फैकल्टी की उपस्थिति के सत्यापन में इसका खुलासा हुआ है।
कारगुजारियां सामने आने के बाद अब प्राचार्यों पर निलंबन और विभागीय कार्रवाई की जा रही है। वहीं गेस्ट फैकल्टी को फर्जी हाजिरी के दिनों का मानदेय वसूलने नोटिस जारी किए गए हैं।
जिनके हाथ व्यवस्था उन्हीं ने की गड़बड़ी
सार्थक एप पर फर्जी उपस्थिति दर्ज करने वालों पर उच्च शिक्षा विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। विदिशा जिले के गंजबासौदा गर्ल्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ.सोहन यादव का नाम भी सामने आया है।
डॉ.सोहन यादव ने घर में बनियान पहनने की हालत में ही सार्थक ऐप पर उपस्थिति दर्ज की थी। उनका इसी हालत में फोटो भी ऐप पर अपलोड हुआ है।
दूसरी तरफ, श्योपुर लॉ कॉलेज की प्राचार्य सुनीता यादव तो उनसे भी एक कदम आगे निकल गईं। उन्होंने कॉलेज में उपस्थिति दिखाने एक अन्य मोबाइल की गैलरी से अपना फोटो दिखाकर सार्थक ऐप पर हाजिरी दर्ज कर डाली।
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मानदेय के लिए की जा रही थी हेराफेरी
प्रदेश के सरकारी कॉलेज पहले से ही नियमित प्राध्यापकों की कमी से जूझ रहे हैं। ज्यादातर कॉलेजों में विषय विशेषज्ञ नहीं है। इस स्थिति में कॉलेजों में विद्यार्थियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी अतिथि विद्वानों को सौंपी जाती है। वहीं सार्थक ऐप पर गेस्ट फैकल्टी की कारगुजारियां कॉलेजों में उनके कर्तव्य निर्वहन की हकीकत बयां करने वाली हैं। कॉलेजों से प्रति दिन की दर से मिलने वाले मानदेय के लिए गेस्ट फैकल्टी ने भी सार्थक ऐप पर हेराफेरी की है।
पड़ताल में गंज बासौदा और सागर जिले के रहली गर्वमेंट कॉलेज के 6-6 अतिथि विद्वानों के साथ ही रीवा के हनुमना कॉलेज, कटनी के रीठी कॉलेज के 2-2, श्योपुर, सीधी के खड्डी, टीकमगढ़ के लिधौरा कॉलेज के एक-एक गेस्ट फैकल्टी की गड़बड़ी पकड़ी गई है। इनमें से ज्यादातर गेस्ट फैकल्टी कॉलेज जाए बिना ही बीते तीन महीनों में कई बार फर्जी उपस्थिति दर्ज करा रही थी।
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प्राचार्यों पर कार्रवाई, फैकल्टी से वसूली
सार्थक एप पर उपस्थिति की हेराफेरी उजागर होने के बाद अब उच्च शिक्षा आयुक्त ने नाराजगी जताई है। सरकारी कॉलेजों के प्राचार्यों पर जहां निलंबन और विभागीय कार्रवाई तय की गई है। वहीं गेस्ट फैकल्टी से फर्जी हाजिरी दर्ज करने के दिनों का मानदेय ब्याज सहित वसूलने के नोटिस दिए गए हैं।
गेस्ट फैकल्टी ने जितने दिन कॉलेज से बाहर रहकर उपस्थिति दर्ज की थी उतने दिनों के लिए जो मानदेय लिया था, उसे ब्याज के साथ वापस जमा करना होगा। उच्च शिक्षा आयुक्त के नोटिसों ने गेस्ट फैकल्टी में हड़कंप मचा दिया है। वहीं इसका असर कॉलेजों में उपस्थिति पर भी नजर आ रहा है।
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सार्थक एप जैसी पाबंदी से बचने विरोध
इधर स्कूल शिक्षकों ने प्रदेश भर में डीपीआई की ई-अटेंडेंस व्यवस्था का विरोध तेज कर दिया है। शिक्षकों को डर सता रहा है कि कॉलेज की गेस्ट फैकल्टी की तरह कहीं उनकी अनुपस्थिति भी उजागर न हो। वे स्कूल से गायब रहने पर वेतन कटने की आशंका से घिरे नजर आ रहे हैं।
इस वजह से संगठनों की मदद से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। वहीं स्कूल शिक्षा विभाग पढ़ाई के गिरते स्तर और शिक्षकों की अनुपस्थिति पर कसावट की तैयारी कर चुका है। इसलिए नए शैक्षणिक सत्र से ई-अटेंडेंस लागू कर दी है।
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ई-अटेंडेंस से बचने खोखली बहानेबाजी
ई-अटेंडेंस की वजह से शिक्षकों पर स्कूल जाने की पाबंदी होगी। उन्हें न केवल समय पर स्कूल पहुंचना होगा बल्कि पूरे समय कक्षाओं में पढ़ाना भी होगा। ई-अटेंडेंस दर्ज करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जिस ऐप का उपयोग किया जा रहा है उस पर शिक्षकों की लोकेशन भी दर्ज होगी। यानी शिक्षक स्कूल टाइम में न बाहर जा सकेंगे न कोई दूसरा काम कर पाएंगे। इसी से बचने के लिए शिक्षकों का एक धड़ा इसका विरोध कर रहा है।
इसके लिए जो तर्क दिए जा रहे हैं वे भी खोखले हैं। शिक्षक ऐप डाउनलोड नहीं होने और सर्वर डाउन होने से उपस्थिति दर्ज करने की दिक्कतें बता रहे हैं। हालांकि ये समस्या प्रदेश में कुछ स्थानों पर ही है। ज्यादातर स्थानों पर मोबाइल नेटवर्क ठीक है क्योंकि यही शिक्षक मोबाइल का भरपूर उपयोग करते हैं।
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