10 दिन में अतिक्रमण हटाने के आदेश के बाद अब HC ने ही दिए अतिक्रमण कार्यवाही रोकने के निर्देश

जबलपुर के ट्रांसपोर्ट नगर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। यह निर्णय प्रशासनिक विवाद और कानूनी जटिलताओं को बढ़ा सकता है।

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Neel Tiwari
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के कड़े निर्देशों के बाद जबलपुर के ट्रांसपोर्ट नगर, चंडाल भाटा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की मुहिम तेज हो गई थी। इसी क्रम में नगर निगम ने 200 साल पुराने गंगाराम मंसाराम अघोरी बाबा मंदिर परिसर सहित दर्जनों निर्माणों को अतिक्रमण माने थे।

इसके साथ ही इनको नोटिस जारी कर 24 घंटे में स्वयं हटाने का अल्टीमेटम दिया था। लेकिन इस बीच एक निजी संपत्ति के मालिक की अर्जेंसी याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के चलते कार्रवाई पर फिलहाल रोक लग गई है।

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अन्य अतिक्रमणों सहित मंदिर पर भी जारी हुआ था नोटिस

त्रिमूर्ति नगर, चंडाल भाटा क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक अघोरी बाबा मंदिर सहित अन्य अतिक्रमण को लेकर नगर निगम के जरिए मंगलवार, 8 जुलाई को नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में सभी अतिक्रमणकर्ताओं को निर्देश दिया गया था। इसमें कहा गया था कि वे 24 घंटे के भीतर अतिक्रमण हटाएं, अन्यथा प्रशासनिक बल की सहायता से कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि यह स्पष्ट किया गया कि मुख्य मंदिर जहां मूर्तियां स्थापित हैं वह अतिक्रमण की श्रेणी में नहीं है। यह भंडारे, पूजा और हवन के लिए बनाए गए पीछे के ढांचे अतिक्रमण की जद में हैं। इस नोटिस के बाद श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों में विरोध तेज हो गया और मंदिर को आस्था का केंद्र बताते हुए लोगों ने कार्यवाही पर सवाल उठाए थे।

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पूरे ट्रांसपोर्ट नगर क्षेत्र में चला नोटिसों का सिलसिला

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस दीपक खोत ने 3 जुलाई को पारित आदेश में नगर निगम और प्रशासन को निर्देश दिया था। इसमें कहां गया था कि सिविल कोर्ट में लंबित मामलों को छोड़कर बाकी सभी अवैध अतिक्रमण 18 जुलाई 2025 तक हर हाल में हटाए जाएं।

इस आदेश के पालन में नगर निगम ने ट्रांसपोर्ट नगर और आसपास के क्षेत्रों में कई कब्जाधारियों को नोटिस जारी किए। जिन संपत्तियों पर वर्षों से स्थायी निर्माण कर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही थीं, वे भी अतिक्रमण की श्रेणी में चिन्हित की गईं।

एक संपत्ति मालिक की याचिका पर कार्रवाई पर लगी रोक

ट्रांसपोर्ट व्यापारी संघ के जरिए अतिक्रमण हटाने के लिए लगाई गई याचिका में अतिक्रमण करने का मुख्य आरोप वर्तमान कांग्रेस के पार्षद मोहम्मद शफीक (हीरा), अनुपम आनंद, हर्षा देव आनंद, सतपाल लांबा सहित अन्य पर लगा है।

अतिक्रमण हटाने के लिए जिन्हें नोटिस दिया गया उनमें से एक संपत्ति के मालिक ने हाईकोर्ट में अर्जेंसी लगाई थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई का आवेदन दिया।

याचिका में दावा किया कि उसने किसी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण नहीं किया है, बल्कि उसकी निजी भूमि को गलत तरीके से अतिक्रमण की श्रेणी में रख दिया गया है।

याचिकाकर्ता के अनुसार, उसके पास संबंधित जमीन के स्वामित्व को प्रमाणित करने वाली सिविल कोर्ट से डिक्री भी है। उसने यह भी बताया कि वर्ष 2023 में उसने इसी मुद्दे को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी, जो तकनीकी कारणों से अब तक रजिस्ट्री में पेंडिंग रही।

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हाईकोर्ट ने कार्रवाई रोकने के दिए निर्देश

जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता की बातों पर संज्ञान लेते हुए सरकारी वकील को निर्देशित किया है। निर्देश में कहा कि कि वह तत्काल कलेक्टर जबलपुर को सूचित करें कि जब तक मामले पर विस्तृत सुनवाई न हो जाए, तब तक कोई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई न की जाए।

हालांकि यह राहत फौरी साबित होती है या सिर्फ एक याचिकाकर्ता तक ही सीमित रहती है यह कोर्ट की आगे होने वाली सुनवाई में तय होगा। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई दोपहर 2:30 बजे के बाद दोबारा कर सकता है।

बता दें कि नगर निगम की टीम सुबह-सुबह उक्त संपत्ति समेत अघोरी बाबा मंदिर क्षेत्र में पहुंच चुकी थी, लेकिन कोर्ट का निर्देश आते ही करीब 10:30 बजे कार्रवाई रोक दी गई।

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फिर से कानूनी विवाद में उलझता नजर आ रहा मामला

यह मामला अब केवल अघोरी बाबा मंदिर तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि ट्रांसपोर्ट नगर में अतिक्रमण की श्रेणी में आ रहे तमाम भूखंड मालिक, व्यवसायी और रहवासी इसे लेकर चिंतित हैं। जहां एक ओर कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में प्रशासन को तेजी दिखानी है, वहीं दूसरी ओर कुछ वैध स्वामित्व वाले लोगों को अतिक्रमणकारी बताने से विवाद और कानूनी जटिलता बढ़ती जा रही है।

तहसीलदार करेंगे विवादित जमीन का सीमांकन

दोपहर में 2:30 बजे के बाद हाईकोर्ट में हुई याचिका की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि यह भूमि याचिकाकर्ता ने जमीन के असली मालिक प्रेमलता और राकेश कुमार से खरीदी है। जो खसरा नंबर 12/44 और 12/45 मौजा गोहलपुर है और इसका कुल क्षेत्रफल 9 हजार 410 स्क्वायर फीट है।

इस जमीन के असली मालिकों के पक्ष में सिविल कोर्ट से डिक्री भी पास हुई है, जिसे कभी चुनौती नहीं दी गई। कोर्ट ने तथ्यों को सुनने के बाद यह आदेश जारी किया कि याचिकाकर्ता के जरिए बताए गए दोनों खसरों का तहसीलदार और अधिकारियों की उपस्थिति में सीमांकन कराया जाए।

यह सीमांकन कल गुरुवार को किया जाएगा और उसके बाद कल ही इसकी रिपोर्ट तहसीलदार कलेक्टर को सौंपेंगे। सीमांकन रिपोर्ट के बाद कलेक्टर को आगे की कार्यवाही तय करनी है। इस तरह इस जगह पर किए गए अतिक्रमण में सिर्फ एक याचिकाकर्ता को राहत मिली है, अन्य सभी अतिक्रमण हटाए जाएंगे।

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