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भोपाल।
मध्य प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों व अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को अब अपनी संपूर्ण जानकारी वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन बतानी होगी। ताकि स्टूडेंट्स संबंधित संस्थान की हकीकत से वाकिफ हो सकें।
विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी की नई गाइड लाइन
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने (यूजीसी) ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। आयोग के सचिव आचार्य मनीष आर जोशी ने हाल ही में एक पत्र जारी कर यूजीसी की नई गाइड लाइन का खुलासा किया। इसमें उन्होंने कहा​ कि सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी एक सक्रिय वेबसाइट बनाए रखना अनिवार्य है।
आयोग सचिव ने कहा कि संस्थानों की वेबसाइट पूरी तरह पारदर्शी हो। इसमें संस्थान की मान्यता स्थिति,संचालित पाठ्यक्रम, संबंधित संस्थानों से इन्हें संचालित करने की अनुमति,शिक्षकों का विवरण,प्रबंधन बोर्ड एवं शैक्षणिक ढांचा का विस्तृत ब्योरा हो।
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आधी-अधूरी जानकारी से छात्र भ्रमित
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे अपनी वेबसाइट के होमपेज पर सभी आवश्यक सूचनाओं को एक ही दस्तावेज़ के रूप में प्रदर्शित करें। दरअसल, प्रदेश में अधिकांश विश्वविद्यालयों की अपनी वेबसाइट हैं,लेकिन इन्हें आधी-अधूरी जानकारी के साथ सिर्फ स्व-प्रचार तक सीमित रखा गया है। अधूरी जानकारी होने से छात्र भ्रमित होते हैं।
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कई निजी विश्वविद्यालयों ने अपनी वेबसाइट पर संचालित पाठ्यक्रमों का ब्योरा तो बढ़ा-चढ़ा कर दिया है,लेकिन इनकी संबंधित संस्थानों से मान्यता है या नहीं,इसे छिपा लिया गया। इसी तरह,आफ कैंपस पाठ्यक्रम संचालित करने की अनुमति नहीं होने के बावजूद इनका धड़ल्ले से संचालन किया जा रहा है। इनकी वैधानिकता नहीं होने से इसका खामियाजा कई युवाओं को भुगतान पढ़ रहा है।
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मप्र की ही 10 यूनिवर्सिटी डिफाल्टर घोषित
यूजीसी ने हाल ही में देश की पांच दर्जन से ज्यादा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को सेल्फ डिस्क्लोजर जारी नहीं करने पर डिफाल्टर घोषित कर दिया है। इनमें महर्षि महेश योगी वैदिक विवि समेत मप्र के ही दस विश्वविद्यालय शामिल हैं।