बयान नहीं, बारूद... मंत्री विजय शाह ने खुद को दूसरी बार उड़ाया

मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई टिप्पणी बेहद शर्मनाक है। यह बयान केवल असंवेदनशील नहीं, बल्कि बेशर्मी की हद को पार करने वाला है। इतिहास में भी विजय शाह की जुबान ने सत्ता की कीमत चुकाई है।

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The Sootr
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Photograph: (the sootr)

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राजनीति में सबसे ज्यादा कीमती चीज होती है विश्वास। और सबसे खतरनाक चीज होती है बेलगाम जुबान। सत्ता का सिंहासन ऊंचा होता है, पर वहां से गिरने में वक्त नहीं लगता... और जब गिराने वाला खुद नेता का बड़बोलापन हो, तो कुर्सी बचा पाना नामुमकिन हो जाता है।

तीर कमान से और बात जुबान से...ये दोनों निकलने के बाद वापस नहीं आते। मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह ने जो किया है, वह सिर्फ बयान नहीं, बेशर्मी की हद है। उन्होंने भारतीय सेना की बहादुर महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर जो टिप्पणी की, वह शर्मनाक है।
 
इतिहास गवाह है, विजय शाह की ज़ुबान पहले भी सत्ता निगल चुकी है। 2013, झाबुआ की वो काली दोपहर! गर्मी का मौसम, मंच पर विजय शाह के जहरीला बोल, "टी-शर्ट, ट्रैक सूट छोड़ो, दो-दो मस्त टी-शर्ट देंगे, लोअर भी देंगे!" ये क्या था? नारी सम्मान का मजाक! वहां शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह मौजूद थीं, फिर भी शाह की ज़ुबान नहीं रुकी। नतीजा? इस्तीफा। देना पड़ा। पार्टी को मुंह छुपाने की नौबत आई। अब, 2025 में फिर वही तमाशा हुआ है।  

आज देशभर में विजय शाह के बयान के खिलाफ रोष की आग है, महिलाएं सड़क पर हैं। पूर्व सैनिक इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। विपक्ष इसे राष्ट्रीय अपमान बता चुका है और सत्ता पक्ष अब भी कार्रवाई नहीं कर रहा। कोर्ट को खुद संज्ञान लेना पड़ा है। एफआईआर के आदेश दिए गए हैं। 

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एक और बयान जिसने सरकार गिरा दी थी...

भूलिए मत- 2020 में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से पूछा गया- सिंधिया नाराज हैं? इस पर उनका जवाब था, सड़क पर उतर जाएं...। बस, यहीं से कांग्रेस सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी, अपने साथ 22 विधायक लेकर बीजेपी के साथ जा खड़े हुए।

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यही राजनीति का असली चेहरा है। बयान नहीं, बारूद होते हैं। जुबान नहीं, सत्ता का कंट्रोल बटन होती है। विजय शाह अब चाहे जितने पैंतरे बदल लें, पर ये तय है कि उनका बयान अब राजनीतिक आत्मघात बन गया है। उनके शब्दों ने न केवल उनका भविष्य, बल्कि पार्टी की नैतिक जमीन पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

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