संजय गुप्ता@INDORE.
मप्र की राजनीति में सबसे अहम माने जाना वाला व्यापमं घोटाला ( Vyapam scam ) एक बार अहम हो गया है। नर्सिंग घोटाले में रिश्वत कांड में उलझे चारों सीबीआई अधिकारियों की भूमिका व्यापमं घोटाले की जांच में भी थी। पूर्व विधायक पारस सखलेचा ( former MLA Paras Sakhalecha ) ने इस मामले में द सूत्र से खास बात की और कहा कि सीबीआई के इन्हीं अधिकारियों ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों से सांठगांठ की थी और सभी को बचाया था। वह अब अपनी अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं और मांग है कि फिर से व्यापमं घोटाले की जांच हो।
यह सीबीआई अधिकारी निशाने पर
नर्सिंग घोटाले में सीबीआई ने अपने ही अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस किया है। इसमें डीएसपी सीबीआई एसीबी भोपाल आशीष प्रसाद, इंस्पेक्टर सीबीआई एसीबी भोपाल राहुल राज, इंस्पेक्टर सीबीआई एसीबी सुशील कुमार मजोका और इंस्पेक्टर सीबीआई एसीबी भोपाल ऋषिकांत असाठे शामिल है।
पूर्व विधायक व व्हीसल ब्लोअर पारस सखलेचा से सीधी बात
व्यापमं की जांच से आप कितने संतुष्ट है
सखलेचा- शुरू से असंतुष्ट है। चार अधिकारी नर्सिगं घोटाले में पकड़े गए यह अधिकारी व्यापमं जांच में भी शामिल रहे, जो अभी प्रभारी है सीबीआई के, उन्होंने इस समय भी सेटिंग की थी पैसे से, प्राइवेट कॉलेज वालों को इन सभी को जांच में बचाया। कोर्ट में जो बिंदु अहम थे, उन्हें हटाया गया और कोर्ट में केस को कमजोर किया। इससे सभी बरी हो गए।
क्या सीबीआई ने व्यापमं जांच में घोटाला किया
सखलेचा- सौ फीसदी घोटाला किया है। मैं दावे के साथ कह रहा हूं इस पूरे घोटाले में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। बड़े लोगों को बचाने के लिए खेल किया गया है। वह केवल एक विज्ञप्ति निकाल कर बता दे कि 212 केस में उन्होंने क्या किया तो सभी क्लीयर हो जाएगा। बड़े अधिकारियों से लेकर सीबीआई प्रमुख, गृहमंत्री सभी से मैंने उस समय शिकायत की थी की जांच सही नहीं रही है और पारदर्शिता का अभाव है, अभी तक एक विज्ञप्ति सीबीआई ने इस जांच को लेकर नहीं निकाली है।
क्यों ऐसा लगता है आपको
सखलेचा- आज तक सीबीआई ने यह नहीं बताया कि एसटीफ से जांच के लिए उन्हें जो 212 केस मिले थे, आज तक कितने के चालान पेश हुए, कितने में फैसले है, किसे सजा हुई। पारदर्शिता की कीम जो एसटीएफ में थी, वह इससे ज्यादा तो सीबीआई में हैं। जांच में पूरी सेटिंग की गई, जांच में और तीन-चार अधिकारी थे। सभी ने मुख्य आरोपियों को बचाया।
सीबीआई ने क्या जांच ढंग से नहीं की
सखलेचा- सीबीआई ने जांच तो बचाने के हिसाब से की थी। जब सीबीआई में हमने आवेदन दिए कि इन्हें जांच में लो तो साफ मना कर दिया कि हम तो एसटीएफ वाले दस्तावेज पर ही जांच करेंगे, जब घोटाला जांच कर रहे हैं तो फिर अन्य बिंदु क्यों नहीं देखेंगे।
अब आपके पास क्या विकल्प है
मेरी एक याचिका जांच को लेकर हाईकोर्ट से खारिज हुई है, इसकी अपील में मैं सुप्रीम कोर्ट जा रहा हूं। यह मेरी याचिका एडमिट होती है तो मेरा इसमें अहम बिंदु रहेगा कि सीबीआई ने जो जांच प्राइवेट कॉलेज को लेकर की, उन्हें फिर से जांच में लिया जाए और एक बार फिर जांच कराई जाए।
क्या इस घोटाले की जांच फिर खुलने का विधिक रास्ता है
सखलेचा- बिल्कुल है, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे, हमने तब भी मांग की थी कि यह जांच आपके (सुप्रीम कोर्ट) सुपरवीजन में हो, तब कहा गया था कि राज्य सरकार देख रही है और यदि जांच से संतुष्ट नहीं हो तो आवेदन लगा सकते हैं। अब हम आवेदन लगा रहे हैं कि सीबीआई ने जांच सही से नहीं की और अपराधियों को बचाया, हमारे पास इसके प्रमाण है और यह हम कोर्ट में लगाएंगे।
व्यापमं बीआई की सांठगांठ क्यों लगती है आपको
सखलेचा- सीबीआई अपना सक्सेश रेशो तो बताए व्यापमं का। सभी बरी हो गए। केवल फंसे छात्र, बाकी रेकेटियर हो या बड़े कॉलेज वाले सभी बच गए। सीबीआई ने प्राइवेट कॉलेज वालें को 2012-13 में पार्टी बनाया था लेकिन जब कोर्ट में गए तो सभी बरी हो गए।
सीबीआई ने क्या गलतियां की थी जांच में
सखलेचा- मैंने सीबीआई के कुछ चालान पढ़े हैं, उन्होंने केस कमजोर किया। प्राइवेट कॉलेज सहित 3800 आरोपी थे, 1200 को तो उन्होंने गिरफ्तार ही नहीं किया। जिन्हें प्राइवेट कॉलेज वालों को चालान और पूरक चालान पेश किए, उनमें पैसा जब्ती व अन्य पुख्ता प्रमाण पेश नहीं किए गए। सभी बरी हो गए।
व्यापमं घोटाले में कितने बड़े लोगों को छोड़ दिया गया
सखलेचा- 6 तो प्राइवेट कॉलेज वाले थे, जिसमें उनके मालिक, संचालक, बड़े कॉलेज पदाधिकारी करीब 60 लोग शामिल थे। इसमें प्रिंसीपल, डीन आदि थे, सभी बच गए।
शासकीय अधिकारियों को भी क्या बचाया
सखलेचा- जांच को लेकर मैंने कई सबूत दिए थे। लेकिन चिकित्सा संचालनालय आयुक्त, पीएस चिकित्सा शिक्षा, पीएस तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, डीजीपी किसी से कोई पूछताछ तक नहीं की गई। घोटाले की जांच के लिए इन सभी के बयान जरूरी थे। तत्कालीन सीएम शिवाराज सिंह चौहान कहते हैं कि गुमनाम पत्र मिला इस पर जांच हुई थी, गृहमंत्री बोलते हैं कोई पत्र नहीं मिला।
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