BHOPAL. देर से ही सही, लेकिन 77 साल के कमलनाथ(Kamalnath) कांग्रेस के 44 साल के साथ को छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि अभी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। लेकिन, खबरें है कि कमलनाथ जल्द ही अपने बेटे नकुलनाथ(Nakulnath) के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। सोशल मीडिया पर चल रही इन खबरों ने अपने ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को चौंका दिया है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि कमलनाथ का जन्म यूपी के कानपुर में 18 नवंबर 1946 को हुआ था। लेकिन उन्होंने अपनी सियासी पारी की शुरुआत मध्य प्रदेश से की। कमलनाथ छिंदवाड़ा से कांग्रेस पार्टी की टिकट पर 9 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। वह पिछले दो बार से इस सीट से विधायक हैं।
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28 सीटों में हैं भाजपा के सांसद
बता दें, मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में अभी छिंदवाड़ा छोड़कर बाकी 28 में भाजपा के सांसद हैं। छिंदवाड़ा में विधानसभा चुनाव के दौरान जिले की सभी 7 सीटों पर भाजपा हार गई। कमलनाथ के रहते छिंदवाड़ा जीतना बीजेपी के लिए आसान नहीं है। अब माना जा रहा है कि बीजेपी ने पूरी रणनीति के तहत कमलनाथ को पार्टी में शामिल करने की योजना बनाई है।
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कमलनाथ का मन बदलने की ये बड़ी वजहें सामने आई हैं। आइए जानते हैं....
बेटे के राजनीतिक भविष्य की टेंशन, इसलिए भूल जाएंगे वफादारी!
लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही दिनों का समय बचा है। चुनाव से पहले कांग्रेस को एक के बाद एक लगातार कई झटके लग रहे हैं। अब खबरें है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। उनके साथ पार्टी के 12 से ज्यादा विधायक और पूर्व विधायक भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि कमलनाथ को बेटे नकुल के राजनीतिक भविष्य और कारोबार की चिंता है। इसलिए वह ऐसा फैसला ले रहे है। क्योंकि एमपी में चुनाव हारने के बाद कमलनाथ की प्रदेश की राजनीति में ज्यादा अहमियत नहीं बची थी। नकुल को वे राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। अब कांग्रेस की कमान छूटने के बाद कमलनाथ को सबसे ज्यादा चिंता नकुल की है।
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कुर्सी जाते ही बागी नेताओं ने फोड़ा हार का ठीकरा
मप्र में विधानसभा चुनाव हारने के बाद सोनिया और राहुल गांधी ने पार्टी की हार का ठीकरा कमलनाथ पर फोड़ दिया था। चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस कमलनाथ के स्थान पर जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी गई है, जबकि आदिवासी नेता उमंग सिंगार को नेता प्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। खास बात यह है कि कमलनाथ की जानकारी के बिना मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी में जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाया गया। कमलनाथ के अध्यक्ष रहते जीतू पटवारी कांग्रेस में साइड लाइन रहे।
MP में चुनाव हारने के बाद कमजोर हो गया था रुतबा
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान द्वारा मध्य प्रदेश चुनाव में पार्टी की हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद से ही कमलनाथ बीजेपी नेताओं के संपर्क में आ गए थे। चुनाव हारने के बाद दिल्ली से लेकर एमपी तक कमलनाथ का रुतबा घट गया था। कमलनाथ पिछले 44 साल से कांग्रेस से जुड़े है। माना जाता है कि गांधी परिवार भी अब कमलनाथ के बहुत नजदीक नहीं है।
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कमलनाथ करना चाहते थे केंद्र की राजनीति
कमलनाथ की सक्रियता हमेशा से केंद्रीय राजनीति में रही है। 2018 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उन्हें मध्य प्रदेश में भेजा गया था। जब सरकार चली गई तो लगा कि उन्हें फिर से दिल्ली बुला लिया जाएगा। इसके विपरीत पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश में ही उलझाए रखा। 2023 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद कमलनाथ फिर दिल्ली जाना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उनकी नहीं सुनी।