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इंदौर में बीते छह महीनों से सक्रिय एक फर्जी शेयर एडवाइजरी कंपनी का क्राइम ब्रांच ने भंडाफोड़ किया है। इस कंपनी के जरिए प्रदेश के बाहर के हजारों लोगों को शेयर मार्केट में मोटे मुनाफे का झांसा देकर ठगी की जा रही थी। ठग गैंग लोगों से रूपए इन्वेस्टमेंट के नाम से लेते थे। इसके बाद वे ट्रेडिंग में न तो रूपए इन्वेस्ट करते थे और न ही रूपए को वापस करते थे। क्राइम ब्रांच ने कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो ‘धनलक्ष्मी सिक्योरिटी’ नामक फर्जी एडवाइजरी कंपनी चला रहे थे। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने युवतियों की टीम बनाकर कॉल सेंटर के माध्यम से यह ठगी की योजना चलाई थी।
शिकायतकर्ता प्रदीप बंसल ने क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक शेयर एडवाइजरी कंपनी ने उनसे MCX ट्रेडिंग में बड़ा मुनाफा होने का दावा कर 10 हजार रुपए इन्वेस्ट करवाए थे। आरोपियों ने फर्जी वेबसाइट और ऐप के जरिए 1 लाख रुपए तक का “प्रॉफिट” दिखाया, लेकिन जब उन्होंने प्रॉफिट निकालने की कोशिश की, तो आरोपियों ने और पैसे मांगे। शंका होने पर जब फरियादी ने अपने पैसे वापस मांगे, तो उनकी आईडी डिलीट कर दी गई और फोन नंबर ब्लॉक कर दिया गया।
क्राइम ब्रांच ने छापा मारकर तीन मुख्य आरोपियों – सचिन उतरकर, आलोक कुमार सिंह, और तुषार उर्फ राघव बड़ोलिया को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे योजनाबद्ध तरीके से लोगों को झांसे में लेकर फर्जी निवेश करवाते थे। इसके लिए वे धनलक्ष्मी सिक्योरिटी एडवाइजरी कंपनी को ट्रेजर आइलैंड के सामने क्लासिक सेंटर के फोर्थ फ्लोर स्थित फ्लेट क्र. 402 से संचालित कर रहे थे। जो कि पूरी तरह से फर्जी थी। इनके पास से 16 मोबाइल मय सिमकार्ड, 2 लैपटॉप, 1 हार्ड डिस्क, 2 वाईफाई राउटर, 4 रजिस्टर ,नोटपैड, 300 पेजों का डेटा आदि जप्त किया है।
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सचिन उतरकर (46), मूल निवासी मुंबई, कॉल सेंटर में मैनेजर की भूमिका में था और बी.कॉम शिक्षित है।
आलोक कुमार सिंह (28), बीई इंजीनियर, कॉल सेंटर का पार्टनर और फंड मैनेजमेंट में शामिल था।
तुषार उर्फ राघव बड़ोलिया (22), बीएससी छात्र, देवास निवासी। फ्लैट किराए पर लेकर संचालन कर रहा था।
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डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि आरोपी न तो SEBI के नियमों का पालन कर रहे थे और न ही शेयर मार्केट के मानकों का। आलोक सिंह ने फर्जी वेबसाइट और ऐप खुद डिजाइन की थी। ग्राहकों को लिंक भेजकर झूठा ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म दिखाया जाता था, जिसमें इन्वेस्टमेंट का कई गुना मुनाफा दिखाया जाता था, लेकिन विड्रॉल की अनुमति नहीं दी जाती थी।
आरोपियों के पास 5000 से अधिक लोगों के मोबाइल नंबर थे। ये लोग गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार जैसे राज्यों के निवासियों को कॉल करते थे, ताकि इंदौर में शिकायत दर्ज न हो सके। कॉल करने के लिए 12वीं पास 10 लड़कियों को रखा गया था, जिन्हें मंथली वेतन दिया जाता था। तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया गया है। उनसे पूछताछ कर फर्जी खातों, सॉफ्टवेयर और अन्य गिरोह के सदस्यों की जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस अब इनके बैंक खातों की जांच कर रही है ताकि पीड़ितों का पैसा वापस दिलाया जा सके।
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