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Photograph: (the sootr)
Jalore. राजस्थान के जालोर जिले के बालवाड़ा गांव की यह कहानी दिल को छू लेने वाली है। करीब 43 साल पहले नथमल मोतीलाल जैन के पिता मोतीलाल जैन मुंबई से अपने घर वापस लौटे थे। रास्ते में उनकी तबीयत खराब हो गई। उस समय गांव में इलाज के पर्याप्त साधन नहीं थे।
गांव में एक छोटा सा आयुर्वेदिक केंद्र था, लेकिन वहां न दवाइयां थीं, न ही सही इलाज। 57 साल की उम्र में मोतीलाल की मृत्यु हो गई। यह दुखद घटना नथमल के दिल में एक गहरे दर्द के रूप में बसी रही, जो कभी भी शांत नहीं हुआ।
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पिता की आखिरी इच्छा
नथमल बताते हैं कि उनके पिता की हमेशा यह इच्छा थी कि गांव में एक ऐसा अस्पताल बने, जहां लोग इलाज के लिए दूर न जाएं। हालांकि वे खुद यह सपना पूरा नहीं कर सके, लेकिन नथमल ने इसे अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। उन्होंने निश्चय किया कि वे इस दर्द को अपनी शक्ति में बदलेंगे और गांव के लोगों के लिए चिकित्सा सुविधा बनाएंगे।
सड़कें बनीं, इलाज की कमी रही
समय के साथ गांव में सड़कें बनीं, बिजली आई, लेकिन इलाज के लिए लोग अब भी दूर मांडवला, सायला या जालोर जाते थे। कई बार यह देरी जानलेवा साबित होती थी। नथमल ने ठान लिया कि इस समस्या को सुलझाना है और गांव में एक आधुनिक अस्पताल बनवाना है। नथमल ने निर्णय लिया कि पुराने आयुर्वेदिक केंद्र वाली सरकारी जमीन पर एक नया स्वास्थ्य केंद्र बनाया जाएगा।
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सरकारी मदद से बना अस्पताल
नथमल ने प्रशासन से बात की और सरकार ने भी उनका सहयोग किया। 2023 में काम शुरू हुआ और नवंबर, 2025 तक अस्पताल तैयार हो गया। तीन करोड़ रुपए की लागत से बने इस केंद्र का नाम सूरजबेन नथमल मोतीलाल जैन राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रखा गया।
इस अस्पताल में 20 कमरे हैं, जहां ओपीडी, 24 घंटे की इमरजेंसी, प्रसव कक्ष, जांच, दवा वितरण और डॉक्टरों के लिए अलग स्थान है। यह अस्पताल न केवल बालवाड़ा, बल्कि आसपास के गांवों के लोगों के लिए भी एक वरदान साबित होगा।
नई उम्मीद की शुरुआत
अस्पताल का उद्घाटन मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग और भामाशाह परिवार ने मिलकर किया। यह पल नथमल के लिए बेहद भावुक था, क्योंकि जहां कभी उन्होंने अपने पिता को इलाज के अभाव में खो दिया था, आज उसी स्थान पर सैकड़ों जिंदगियां बचाने का मार्ग खुल चुका था। उद्घाटन के साथ नथमल ने यह सिद्ध कर दिया कि संघर्ष से बड़ी ताकत कुछ नहीं होती। अब गांववासियों को इलाज के लिए दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
मुख्य बातें
- पिता की याद में गांव में बना दिया अस्पताल। नथमल जैन ने यह निर्णय अपने पिता की याद में लिया, जिन्होंने इलाज के अभाव में 43 साल पहले अपनी जान गंवाई थी। उनका उद्देश्य था कि अब गांव में कोई भी व्यक्ति इलाज के लिए दूर न जाए।
- अस्पताल में 20 कमरे हैं, जिनमें ओपीडी, 24 घंटे की इमरजेंसी, प्रसव कक्ष, जांच, दवा वितरण और डॉक्टरों के लिए अलग स्थान शामिल है। यह अस्पताल बालवाड़ा और आसपास के गांवों के लोगों के लिए वरदान साबित होगा।
- अस्पताल का उद्घाटन नवंबर, 2025 में हुआ। सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग और भामाशाह परिवार ने उद्घाटन किया। यह नथमल के लिए एक भावुक पल था, क्योंकि उन्होंने अपने पिता की याद में यह अस्पताल बनवाया था।
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