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Photograph: (the sootr)
सुनील जैन @ अलवर
राजस्थान के अलवर शहर के राजीव गांधी सामान्य चिकित्सालय में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें दो वृद्धों की डेड बॉडी बदलने का आरोप है। 6 दिसंबर को अस्पताल में दो अज्ञात वृद्धों के शव रखे गए थे, जिनमें से एक शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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अस्पताल में मच गया हड़कंप
अंतिम संस्कार करने के बाद में पता चला कि जिस शव का अंतिम संस्कार किया गया, वह मृतक के परिजनों का नहीं था। इस मामले से अस्पताल में हड़कंप मच गया और पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। इस मामले में अब अस्पताल प्रशासन जवाब नहीं दे पा रहा है।
परिवार की गफलत
उद्योग नगर थाना पुलिस के अनुसार, 6 दिसंबर को उद्योग नगर थाना क्षेत्र में एक अज्ञात वृद्ध का शव मिला था, जिसे अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया था। मृतक के पास एक आधार कार्ड मिला था, जिसमें कैलाश चंद का नाम था और वह राजगढ़, जिला राजाजी के निवासी बताए गए थे। जब पुलिस ने परिवार से संपर्क किया, तो मृतक के परिजनों ने शव को पहचाना और उसे राजीव गांधी अस्पताल से ले लिया।
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शव की पहचान में दिक्कत
मृतक कैलाश चंद पिछले 50 साल से अपने परिवार से दूर थे और इस कारण उनका परिवार उनकी शक्ल भूल चुका था। जब परिजन शव को पहचानने में असमर्थ थे, तो डॉक्टरों ने बिना जांच किए शव उन्हें दे दिया। इसके बाद परिवार ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। जब वे अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार जा रहे थे, तो पुलिस ने उन्हें सूचित किया कि यह शव उनके परिवार का नहीं था।
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जांच और अस्पताल में हड़कंप
जीआरपी थाना प्रभारी अंजू महिंद्रा ने बताया कि 6 दिसंबर को योगा एक्सप्रेस में एक अन्य वृद्ध का शव भी मिला था, जिसकी पहचान नहीं हो पाई थी। जब 72 घंटे के बाद शव की पहचान के लिए समुदाय के लोगों को बुलाया गया, तो यह खुलासा हुआ कि अस्पताल में रखा शव किसी और का था। इसके बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया और मामले की जांच शुरू कर दी गई।
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अस्पताल और पुलिस की कार्रवाई
इस गफलत के कारण परिजनों ने अस्पताल और पुलिस से जवाबदेही की मांग की है। अस्पताल में शवों की पहचान और उनके अंतिम संस्कार के प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मामले में अस्पताल और पुलिस प्रशासन दोनों की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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पुलिस ने की समझाइश
पुलिस का कहना है कि समझाइश के बाद अस्पताल की मोर्चरी में रखी डेड बॉडी असली परिवार को सौंप दी गई है। अब किसी भी तरीके का कोई विवाद नहीं है। एक परिवार ने एक अज्ञात डेड बॉडी का अंतिम संस्कार पहले कर दिया। अब वह अपने परिजन की डेड बॉडी का अंतिम संस्कार भी करेगा।
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