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Photograph: (the sootr)
सुनील जैन @ अलवर
किसानों के लिए सोना कही जाने वाली लाल प्याज इन दिनों राजस्थान के अलवर के किसानों के लिए आंसुओं का कारण बनती जा रही है। एक तो केंद्र सरकार की नीतियां, उस पर मौसम की मार से किसानों की फसल को भाव ही नहीं मिल रहा है। हालत यह है कि किसान प्याज की फसल को खेत तक लाने में खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है।
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सरकार की निर्यात नीति जिम्मेदार
अलवर और खैरथल प्याज के दो बड़े केंद्र हैं। प्याज के भाव 2 रुपए किलो से लेकर 10 रुपए किलो तक मिल रहे हैं। उसमें भी प्याज की गुणवत्ता के आधार पर प्याज मंडी में भाव तय किए जाते हैं। प्याज व्यापारी पप्पू भाई प्रधान उर्फ अभय सैनी ने बताया कि किसानों के भाव मंडी में नहीं मिल रहे हैं। 2 रुपए किलो से लेकर 10 रुपए किलो तक के भाव मिल रहे हैं। इसके लिए केंद्र सरकार की निर्यात नीति जिम्मेदार है।
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लागत भी नहीं निकल पा रही
पहले 14 फीसदी एक्साइज ड्यूटी थी, जो अब 20 प्रतिशत हो गई है। इसके चलते महाराष्ट्र और गुजरात का प्याज का पुराना स्टॉक अभी भारत में ही है। प्याजों के भाव नहीं मिल पा रहे हैं। किसानों की लागत 40000 रुपए बीघा के हिसाब से आती है, लेकिन किसानों को मात्र 15000 हजार रुपए बीघा की प्याज बिक रही ।
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फसल बीमा योजना में शामिल हो
फल-सब्जी मंडी आढ़ती यूनियन के अभय सैनी का कहना है कि विगत वर्षों की तुलना में इस बार प्याज का उत्पादन व लागत मूल्य बढ़े हैं। ज्यादा बारिश के कारण किसानों की प्याज खराब भी हो गई थी, वहीं अच्छे मुनाफे के कारण किसानों ने दोबारा भी प्याज लगना शुरू किया था। बाजार में कीमत कम होने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्याज को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि प्याज का मूल्य निर्धारित होने से किसानों को फायदा हो सके।
किसानों की मुआवजे की मांग
अलवर और खैरथल में देश भर के व्यापारी प्याज खरीदने आते हैं। अगेती फसल बारिश की भेंट चढ़ने के कारण भावों में गिरावट है। इधर किसानों ने बताया कि बरसात होने से भी प्याज में खराब हुई है, उसमें गलन रोग लगा है। प्याज की क्वालिटी पर प्रभाव पड़ा है। इससे भी प्याज को भाव नहीं मिला है। उन्होंने सरकार से प्याज उत्पादक किसानों को मुआवजा देने की भी मांग की।
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उत्पादन ज्यादा, दाम कम
भले ही अलवर में इस बार प्याज की फसल का उत्पादन पिछले सालों के मुकाबले अधिक रहा हो, लेकिन प्याज के कम दामों ने किसानों के आंसू निकाल दिए हैं। मंडी में प्याज की फसल लागत से भी कम दामों पर बिक रही है, जिससे किसान मायूस हैं। अलवर की प्याज मंडी में इन दिनों 2 हजार से 2500 के करीब प्याज के कट्टे रोजाना आ रहे है, जो थोक में 2 रुपए से 8 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रही है, जबकि पिछले वर्षों में प्याज मंडी में रिटेल में 80 से 100 रुपए प्रति किलो भाव से बिकी थी।
अन्य सब्जियां भी सस्ती
पहले दाम अधिक मिलने के कारण किसानों में प्याज की खेती के प्रति रुझान बढ़ा। इससे प्याज का उत्पादन क्षेत्र बढ़ने के साथ प्याज की आवक में भी वृद्धि हुई है, लेकिन बाजार में प्याज के दाम कम होने से अब उत्पादन मूल्य निकलना भी मुश्किल हो रहा है। सब्जियों के दाम में तेजी का सीधा असर प्याज की कीमत पर भी पड़ता है। इस बार अन्य सब्जियों के दाम भी कम ही हैं। इससे भी प्याज की कीमतें प्रभावित हुई है।
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मंडी तक ले जाने में भी दिक्कत
अलवर की प्याज का तड़का देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक खूब पसंद किया जाता है। अलवर से प्याज हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरांचल, असम और झारखंड तक भेजे जाते हैं। किसान मानसिंह पटेल ने बताया कि अबकी बार दीपावली से पहले ही प्याज तैयार हो गई, लेकिन भाव नहीं मिलने के कारण उनको ले जाने में भी परेशानी हो रही है।
उम्मीदों पर फिर गया पानी
किसानों का कहना है कि प्याज की कीमत नहीं मिलने के कारण इस बार दीपावली का त्योहार भी नहीं मना सके। किसान अमर सिंह ने बताया कि लागत से भी कम भाव में प्याज बिक रही है। अब किसान प्याज की फसल को मंडी में ले जाता हुआ भी डर रहा है। लगातार गिर रहे दामों के कारण किसान काफी परेशान हैं। किसानों ने मोटा कर्ज लेकर प्याज की खेती लगाई थी, लेकिन अब उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
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