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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के पौंख गांव में किए जा रहे जैविक खेती के नवाचार अब विदेशों तक अपनी छाप छोड़ रहे हैं। यहां के किसान भंवर सिंह पीलीबंगा द्वारा किए गए खेती के नवाचारों का अध्ययन करने के लिए अमेरिका से कृषि वैज्ञानिक राजस्थान आ रहे हैं। ये वैज्ञानिक अमेरिका की एक प्रमुख रिसर्च यूनिवर्सिटी के रिसर्च डायरेक्टर के साथ इस दौरे पर आ रहे हैं।
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अमेरिका में बंजर हो रही जमीन
अमेरिका में फंगी साइड और पेस्टीसाइड के अत्यधिक उपयोग से कृषि भूमि बंजर हो रही है। इसके कारण वहां की सरकार ने भूमि सुधार के लिए लैब में बड़े पैमाने पर प्रयोग कराए हैं। वहीं राजस्थान के पौंख गांव में भंवर सिंह द्वारा किए गए नवाचारों के कारण खेतों की गुणवत्ता बढ़ी है और लागत में कमी आई है। इस प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिक राजस्थान आ रहे हैं।
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14 साल से काम कर रहे भंवर सिंह
भंवर सिंह पीलीबंगा ने पिछले 14 वर्षों से कृषि में नवाचार करना शुरू किया था। उन्होंने अपनी खेती की लागत को काफी कम किया है, साथ ही बीज की मात्रा घटाकर भी उत्पादन को बढ़ाया है। इसके साथ ही उन्होंने जैविक खेती की मदद से अपनी उपज को बेहतर दाम पर बेचने में भी सफलता प्राप्त की है।
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अमेरिका से कृषि वैज्ञानिकों का दौरा
भंवर सिंह पीलीबंगा का मानना है कि अमेरिका में हो रहे भूमि सुधार प्रयोगों की तुलना में राजस्थान में खेतों पर कम लागत में बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। इसी नवाचार को देखने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों का राजस्थान दौरा बहुत अहम है। 27 सितंबर को पौंख गांव में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी, जिसमें अमेरिकी वैज्ञानिकों के दौरे और उनके अध्ययन की जानकारी साझा की जाएगी।
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जैविक खेती के लाभ
- कम लागत में उत्पादन बढ़ाना
- जमीन की गुणवत्ता में सुधार
- बेहतर दाम पर बिक्री
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
- वातावरण के लिए फायदेमंद