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Photograph: (the sootr)
Baran. राजस्थान के बारां में अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है, क्योंकि भाजपा के पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द हो गई थी। मतदान 11 नवंबर को निर्धारित है। इस बार उपचुनाव काफी रोमांचक रहने वाला है। नरेश मीणा के चुनाव में उतरने की संभावना है। कांग्रेस इस बार पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतार सकती है।
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नरेश मीणा का चुनावी इतिहास
नरेश मीणा ने नवंबर 2024 में देवली-उनियारा उपचुनाव में कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें नहीं मिला। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। परिणामस्वरूप भाजपा के राजेंद्र गुर्जर जीते, जबकि नरेश मीणा 59,478 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस के कस्तूरी चंद मीणा तीसरे स्थान पर 31,385 वोट लेकर खिसक गए थे।
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नरेश मीणा से कांग्रेस को नुकसान
इससे पहले नरेश मीणा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में छबड़ा सीट से भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। हालांकि वे नहीं जीते, लेकिन उन्हें 46,921 वोट मिले और उनकी ताकत स्पष्ट हुई। उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने से कांग्रेस को हमेशा नुकसान होता आया है, जिसकी इस बार भी पूरी संभावना है।
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भाजपा और कांग्रेस का रिकॉर्ड
राजस्थान 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद अब तक 7 उपचुनाव हो चुके हैं। इनमें से 5 सीटें भाजपा (BJP) ने जीती हैं। देवली-उनियारा, झुंझुनूं, रामगढ़, खींवसर और सलूंबर सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की। वहीं दौसा सीट पर कांग्रेस और चौरासी सीट पर बीएपी ने जीत दर्ज की। इस रिकॉर्ड से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा के लिए अंता सीट महत्वपूर्ण है, जबकि नरेश मीणा के मैदान में उतरने से समीकरण बदल सकते हैं और कांग्रेस के प्रत्याशी को नुकसान पहुंच सकता है।
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चुनावी समीकरण पर असर
नरेश मीणा के चुनाव में उतरने से अंता उपचुनाव के समीकरण बिगड़ सकते हैं। कांग्रेस के भीतर गुटबाजी और नरेश मीणा की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण मुकाबला हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि नरेश मीणा के मतदान पर असर से कांग्रेस और भाजपा दोनों को रणनीति बदलनी पड़ सकती है।
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मुख्य बिंदु
- अंता सीट पर उपचुनाव 11 नवंबर को होगा।
- नरेश मीणा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर सकते हैं।
- कांग्रेस पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को उम्मीदवार बना सकती है।
- नरेश मीणा का चुनावी इतिहास मजबूत है, पिछले बार दूसरे स्थान पर रहे।
- राजस्थान में 7 उपचुनाव हुए, जिनमें 5 पर भाजपा ने जीत दर्ज की।