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Photograph: (the sootr)
Baran. राजस्थान के अंता विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने इस सीट से प्रमोद जैन भाया को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा में टिकट के लिए कई नेताओं के बीच रस्साकशी जारी है। इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। यह उपचुनाव भले ही एक सीट के लिए हो, लेकिन इसके नतीजों का असर दोनों प्रमुख दलों की सियासी स्थिति पर पड़ सकता है।
राजे की प्रतिष्ठा पर बनेगा दबाव
इस सीट पर 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा के कंवरलाल मीणा ने जीत हासिल की थी, लेकिन एक कानूनी मामला सामने आने के बाद उनकी विधायकी रद्द कर दी गई। यह सीट राजे के बेटे दुष्यंत सिंह के लोकसभा क्षेत्र में आती है और हाड़ौती क्षेत्र को राजे का गढ़ माना जाता है। ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट न केवल राजनीतिक महत्व रखती है, बल्कि पार्टी के अंदर राजे के प्रभाव को भी साबित करने का एक मौका है। फिलहाल, भाजपा इस सीट पर उम्मीदवार का चयन करने के लिए राजे की राय को अहम मानते हुए मंथन कर रही है।
भाजपाई नेतृत्व के सामने मुश्किल निर्णय
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के बीच इस सीट को लेकर कई विचार-विमर्श चल रहे हैं। भाजपा में अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि किसे टिकट दिया जाए, क्योंकि पार्टी में विभिन्न गुटों के बीच इस चुनाव को लेकर असहमति दिखाई दे रही है। राजे के समर्थकों ने कंवरलाल मीणा के परिवार से किसी को टिकट देने का प्रस्ताव रखा है, जबकि प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बीच आपसी सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं।
कांग्रेस को मीणा वोट बैंक का नुकसान
कांग्रेस के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि भाजपा का मीणा वोट बैंक काफी मजबूत है। हालांकि कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया को इस सीट से उम्मीदवार बनाया है, जो इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं और पूर्व में दो बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन भाजपा के गुटों में चल रही उथल-पुथल और मीणा वोट बैंक का नुकसान कांग्रेस के लिए चुनौती पैदा कर सकता है।
हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
वर्तमान में इस चुनाव को लेकर त्रिकोणीय मुकाबला की संभावना जताई जा रही है। भाजपा के पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी, जो इस सीट से पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं, इस बार भी भाजपा का टिकट पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया के कट्टर विरोधी नरेश मीणा ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जो इस मुकाबले को और भी रोमांचक बना सकते हैं।
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अंता उपचुनाव का राजनीतिक महत्व
अंता उपचुनाव का परिणाम राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। भाजपा के लिए यह जीत सरकार की कार्यशैली पर जनता के विश्वास का प्रतीक हो सकती है, जबकि हार की स्थिति में विपक्ष इसे सरकार की नाकामी के रूप में प्रचारित कर सकता है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने यह स्पष्ट किया है कि पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है और चुनावी उम्मीदवार का चयन सामूहिक निर्णय के आधार पर किया जाएगा।