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Photograph: (the sootr)
Bharatpur. राजस्थान के महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भरतपुर के कुम्हेर स्थित महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के मामले में जांच जारी है, लेकिन इन मामलों में आरोपित अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की जांच में देरी
जांच में जहां चार कर्मचारी दोषी पाए गए हैं, वहीं जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई है। यह देरी न केवल सवाल खड़ा करती है, बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाती है। 21 नवंबर को हुई बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक में यह तय किया गया था कि गठित कमेटी 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, लेकिन 33 दिन बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट का कोई अता-पता नहीं है।
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कुलपति को नहीं मिली जांच रिपोर्ट
कमेटी के सदस्य योगेंद्र भानु ने इस देरी पर केवल इतना कहा कि जांच जारी है और जैसे ही पूरी होगी, रिपोर्ट कुलपति प्रो. त्रिभुवन शर्मा और बोम के समक्ष पेश की जाएगी। हालांकि वे देरी की कोई ठोस वजह नहीं बता पाए। वहीं कुलपति प्रो. त्रिभुवन शर्मा ने कहा कि उन्हें अभी तक जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है और वह जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।
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राजभवन के आदेशों की अवहेलना
17 अक्टूबर को राज्यपाल सचिव डॉ. पृथ्वी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर कुलपति को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने, निलंबन और वित्तीय वसूली की अनुशंसा की थी। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. मुकेश कुमार शर्मा ने भी वही आदेश दोहराए थे, लेकिन तीन महीने बाद भी न तो एफआईआर दर्ज हुई, न ही किसी कर्मचारी को निलंबित किया गया और न ही कोई वित्तीय वसूली की गई।
अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं
इस देरी से कथित भ्रष्टाचारियों को फायदा हो रहा है और उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। हालांकि दोषी अधिकारियों के नाम सामने आए हैं, लेकिन तीन महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। वहीं किसी अधिकारी के खिलाफ निलंबन या वित्तीय वसूली की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है।
विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के बड़े मामले
इस विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के कई बड़े मामले सामने आए हैं। इनमें 25 लाख रुपए की नकद चोरी, वॉच टावर घोटाला, फर्नीचर घोटाला (9 करोड़), केमिस्ट्री लैब घोटाला (12 करोड़), पुस्तक खरीद घोटाला (11.5 करोड़ से अधिक), उत्तर पुस्तिका घोटाला (1.5 करोड़), संविदा भर्ती में धांधली, पीएचडी प्रवेश घोटाला, नियम विरुद्ध पुनर्नियुक्तियां और फर्जी बिल-भुगतान प्रमुख हैं।
मुख्य बिंदु
- बृज विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की जांच चल रही है, लेकिन बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की रिपोर्ट में 33 दिन से अधिक का समय हो चुका है और अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है।
- हालांकि दोषी अधिकारियों के नाम सामने आए हैं, लेकिन तीन महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी न तो एफआईआर दर्ज हुई है और न ही किसी अधिकारी के खिलाफ निलंबन या वित्तीय वसूली की प्रक्रिया शुरू की गई है।
- बृज विश्वविद्यालय में कई बड़े घोटाले सामने आए हैं, जैसे फर्नीचर खरीद घोटाला, केमिस्ट्री लैब घोटाला और उत्तर पुस्तिका घोटाला। इनकी जांच चल रही है।
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