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Photograph: (the sootr)
Bharatpur. राजस्थान के भरतपुर के महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में करोड़ों के घोटाले की गूंज की चर्चा थम नहीं रही है। अब घोटाले में लिप्त अधिकारियों को बचाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सात महीने बाद राजभवन राजस्थान ने कुलपति प्रो. रमेश चंद्रा को अब जाकर हटाया है, जबकि सात महीने पहले ही कुलपति को निलंबित कर दिया था।
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छात्रों और नेताओं में गुस्सा
घोटाले में तीन आला अधिकारी भी लिप्त हैं। जांच रिपोर्ट में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने और वसूली किए जाने की सिफारिश की गई थी। रिपोर्ट के बाद भी विश्वविद्यालय इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है। इससे विश्वविद्यालय के छात्रों और घोटाला उजागर करने वाले विधायक में गुस्सा है। वे विश्वविद्यालय प्रशासन पर मिलीभगत के आरोप लगा रहे हैं। कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी जा रही है।
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विधायक कोली ने दी चेतावनी
विश्वविद्यालय में लंबे समय से भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़े और अनियमितताओं को उठाने वाले बृज विश्वविद्यालय बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (बोम) सदस्य और वैर विधायक बहादुर सिंह कोली ने प्रशासन को चेताया है कि यदि उसने भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं की, तो इसकी शिकायत राज्यपाल से की जाएगी। मामले को विधानसभा में उठाया जाएगा। कोली ने कहा कि यदि कुलगुरु ने तुरंत कार्रवाई नहीं की तो मामला राज्यपाल के संज्ञान में लाया जाएगा।
अब तक भी आदेश लागू नहीं
जांच में उप कुलसचिव डॉ. अरुण कुमार पांडेय, सहायक कुलसचिव प्रशांत कुमार और परीक्षा नियंत्रक फरवट सिंह के निलंबन और एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। निलंबित कुलगुरु प्रो. चंद्रा समेत चारों से वित्तीय वसूली के निर्देश दिए गए थे। विवि प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। कुलगुरु प्रो. त्रिभुवन शर्मा ने विवि की प्रशासनिक मजबूरियों का हवाला देते हुए आदेशों को लागू नहीं करने की बात कही है।
भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण
घोटाले के मामले उठाने वाले छात्र नेता विष्णु चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को खुला संरक्षण दे रहा है। परीक्षा विभाग से लेकर प्रशासनिक फाइलों तक हर जगह दलाली तंत्र हावी है। जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने पर भी कुलगुरु उन्हें निलंबित करने के बजाय संरक्षण दे रहे हैं। जब तक इन कर्मचारियों को हटाया नहीं जाएगा, विश्वविद्यालय में पारदर्शिता की उम्मीद नहीं की जा सकती।
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करोड़ों के टेंडरों में घपले ही घपले
प्रो. चन्द्रा के कार्यकाल में कई घोटाले सामने आए। इनमें सरकारी कोष से पच्चीस लाख रुपए की कैश चोरी सबसे बड़ी रही। इसके अलावा 12 करोड़ रुपए की केमिस्ट्री लैब, 9 करोड़ रुपए के फर्नीचर, 10 करोड़ रुपए की पुस्तकों की खरीद के घोटालों में वित्तीय अनियमितताएं पकड़ी जा चुकी हैं। इसके अलावा टेंडर प्रक्रिया, वॉच टावर निर्माण, फर्जी भर्ती, उत्तर पुस्तिका जांच समेत कई अन्य घोटालों की शिकायतें भी हुईं।
संभागीय आयुक्त की जांच में खुले घोटाले
राजभवन राजस्थान के आदेश पर विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं की जांच संभागीय आयुक्त भरतपुर से करवाई गई। संभागीय आयुक्त की विस्तृत जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल सचिवालय ने जांच में दोषी सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और वसूली कराने के आदेश जारी किए हैं। सभी आरोप प्रमाणित पाए गए हैं।
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अभी तक कोई एक्शन नहीं
रिपोर्ट में सामने आया है कि कुलपति के साथ दूसरे अधिकारी भी वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं में दोषी हैं। राज्यपाल के निर्देश पर आरोपित अधिकारियों को निलंबित किया गया। रिपोर्ट में जिन वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख है, उनकी वसूली प्रो. चन्द्रा सहित सभी दोषियों से कराने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन मामले में एफआईआर और वसूली की कार्रवाई करेगा। हालांकि अभी तक प्रशासन ने न तो मुकदमा दर्ज करवाया है और ना ही वसूली शुरू की है।
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