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Photograph: (the sootr)
कांग्रेस पार्टी देशभर में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की जातियों को अपने पक्ष में लाने के लिए पूरी ताकत से काम कर रही है। हाल ही में 25 जुलाई को दिल्ली में कांग्रेस ओबीसी विभाग का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया गया था, जिसमें राजस्थान सहित देशभर से ओबीसी वर्ग से जुड़े कांग्रेस नेता शामिल हुए।
इस सम्मेलन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने भी भाग लिया। अधिवेशन के दौरान कांग्रेस ने ओबीसी समुदाय के मुद्दों पर जोर दिया और इसके लिए कई रणनीतियों पर चर्चा की।
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राष्ट्रीय ओबीसी काउंसिल का गठन और उद्देश्य
अधिवेशन से पहले कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी काउंसिल का गठन किया था, जिसमें ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल जय हिंद, अशोक गहलोत, सचिन पायलट, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सहित 21 नेताओं को जगह दी गई थी। इस काउंसिल का उद्देश्य ओबीसी वर्ग की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझना और उनके विकास के लिए ठोस कदम उठाना है।
अब कांग्रेस ने योजना बनाई है कि अलग-अलग राज्यों में भी स्टेट ओबीसी एडवाइजरी काउंसिल बनाई जाएगी, जिसमें 21-21 सदस्य होंगे। यह काउंसिल राज्यों में ओबीसी वर्ग के मुद्दों पर काम करेगी और उन्हें बेहतर प्रतिनिधित्व देने के प्रयास करेगी।
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राजस्थान में 15 अगस्त के बाद गठन होगा
राजस्थान में ओबीसी काउंसिल का गठन 15 अगस्त के बाद होने की संभावना जताई गई है। कांग्रेस ओबीसी विभाग के नेशनल कोऑर्डिनेटर राजेंद्र सेन ने बताया कि इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व मंत्री हरीश चौधरी समेत ओबीसी वर्ग से आने वाले सांसद और वरिष्ठ विधायक शामिल होंगे।
यदि किसी जाति से विधायक या सांसद नहीं हैं, तो उस जाति से सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्ति को भी काउंसिल में जगह दी जाएगी। इससे ओबीसी वर्ग को बेहतर प्रतिनिधित्व मिलेगा और उनकी समस्याओं का समाधान तेजी से किया जा सकेगा।
राजस्थान में ओबीसी का प्रभाव और चुनावी रणनीति
राजस्थान में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 60 फीसदी से ज्यादा है। यही वजह है कि कांग्रेस का इस वर्ग पर खास फोकस है। पार्टी का मानना है कि यदि ओबीसी मतदाता कांग्रेस के साथ आते हैं, तो आगामी चुनावों में सफलता की संभावना बढ़ जाएगी।
निकाय और पंचायत चुनाव नजदीक होने के कारण कांग्रेस ने ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने की योजना बनाई है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि ओबीसी वोटों के समर्थन से आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी बड़ी सफलता मिल सकती है।
ओबीसी चेहरों को संगठन में प्रमुख स्थान
सेन ने बताया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी का यह उद्देश्य है कि जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। ओबीसी मतदाता सबसे ज्यादा संख्या में हैं। इसी कारण कांग्रेस पार्टी ओबीसी वर्ग को समान महत्व देने का वादा कर रही है।
उन्होंने कहा कि निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग को टिकट वितरण में प्राथमिकता दी जाएगी। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी ओबीसी प्रतिनिधित्व को लेकर यही नीति अपनाई जाएगी। अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस की ओबीसी वोटर को साधने की कोशिश सफल हो पाएगी?
प्रमुख बिंदु
- कांग्रेस का ओबीसी वर्ग पर ध्यान बढ़ा, ओबीसी काउंसिल का गठन
- राजस्थान में 15 अगस्त के बाद काउंसिल का गठन होगा
- 60% से ज्यादा ओबीसी मतदाता हैं, चुनावी रणनीति में अहम भूमिका
- ओबीसी चेहरों को संगठन में प्रमुख स्थान देने का वादा
- निकाय, पंचायत चुनाव में ओबीसी प्रतिनिधित्व बढ़ाने की कवायद
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