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Photograph: (the sootr)
Jaipur. कांग्रेस की ओर से संगठन को मजबूत बनाने के लिए शुरू हुए संगठन सृजन अभियान के तहत राजस्थान में जिलाध्यक्षों के चयन के लिए रायशुमारी का एक चरण पूरा हो गया है। 30 केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल को सौंप दी है। अब वेणुगोपाल राजस्थान के शीर्ष नेताओं से विचार-विमर्श करके जिलाध्यक्षों के नाम फाइनल करेंगे।
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हर कोई कतार में
राजस्थान से जिलाध्यक्षों के चयन में लगभग 3000 से ज्यादा आवेदन आए हैं। जयपुर शहर अध्यक्ष पद के लिए 32 लोगों ने आवेदन किए हैं, तो वहीं जयपुर ग्रामीण पूर्व और जयपुर ग्रामीण वेस्ट के लिए भी 60 से ज्यादा आवेदन आए हैं। जिलाध्यक्ष बनने के लिए विधायकों, पूर्व विधायकों के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी आवेदन किए हैं।
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6 नामों का पैनल
प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अधिकांश पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट वेणुगोपाल को दे दी है, जबकि कुछ पर्यवेक्षक जल्दी ही रिपोर्ट देंगे। पार्टी गाइडलाइन के मुताबिक, 6 नामों के पैनल में एक एससी, एक एसटी, एक ओबीसी, एक माइनॉरिटी, एक महिला और दो अन्य वर्गों के नाम हैं।
व्यक्तिगत फीडबैक पर फोकस
इसके बाद वेणुगोपाल 24 अक्टूबर को कांग्रेस मुख्यालय में राजस्थान के सभी 30 पर्यवेक्षकों के साथ व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे और फीडबैक लेंगे। रिपोर्ट में रायशुमारी के साथ पर्यवेक्षकों के व्यक्तिगत फीडबैक पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाएगा।
नेताओं का दखल तो रहेगा ही
इसके बाद वेणुगोपाल राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ भी पर्यवेक्षक रिपोर्ट और संभावित जिलाध्यक्षों के नाम पर चर्चा करेंगे।
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कुछ रहेंगे तो कुछ नए होंगे
संगठन सृजन अभियान की गाइडलाइन के अनुसार नवंबर के पहले सप्ताह तक राजस्थान के जिलाध्यक्षों की घोषणा होनी है। कुछ जिलाध्यक्षों को दोबारा मौका दिया जाएगा, तो कुछ जिलों में नए और अपेक्षाकृत युवा लोगों को अवसर मिलेगा। हालांकि अंतिम फैसला प्रदेश के नेताओं से विचार-विमर्श से पार्टी हाईकमान ही करेंगे।
कई दिन रही गहमागहमी
जिलाध्यक्षों के लिए की गई रायशुमारी के दौरान लंबे समय तक पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की गहमागहमी से कांग्रेस दफ्तर गुलजार रहे, तो कार्यकर्ताओं को भी एकसाथ मिलने का अवसर मिला। फिर चाहे कार्यकर्ता अलग-अलग नेता के लिए शक्ति प्रदर्शन ही क्यों ना कर रहे थे। हालांकि कुछ स्थान पर हाथापाई और कहासुनी की नौबत भी आई, तो गहलोत को जिलाध्यक्षों के चयन में दबाव नहीं डालने को कहना पड़ा।