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Photograph: (the sootr)
Jaisalmer. राजस्थान के जैसलमेर जिले के लाठी क्षेत्र में एक मार्मिक दृश्य सामने आया, जहां एक ऊंट का बच्चा पांच दिनों तक अपनी मृत मां के शव के पास भटकता रहा। ऊंट का बच्चा अपनी मां को ढूंढता रहा। इस घटना ने सभी को यह याद दिलाया कि पशुओं में भी इंसानों की तरह गहरी संवेदनाएं होती हैं। इस भावुक घटना के बाद गौशाला टीम ने बच्चे का रेस्क्यू कर उसकी देखभाल शुरू की।
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मां की मौत और बच्चे का दर्द
जानकारी के अनुसार, सोढाकोर गांव से करीब तीन किमी दूर जंगल में एक ऊंटनी ने बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के दौरान उसकी हालत बिगड़ गई और वह दम तोड़ गई। जन्म के कुछ ही समय बाद बच्चे को अपनी मां का साया सिर से उठता हुआ दिखाई दिया। बच्चा अपनी मृत मां के शव के पास भटकता रहा और उसे उठाने की कोशिश करता रहा। यह दृश्य अत्यंत मार्मिक था।
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कई बार उठाने की कोशिश की
ऊंट के बच्चे ने अपनी मां को कई बार उठाने की कोशिश की, लेकिन वह नाकाम रहा। वह बार-बार अपनी मां के पास बैठता और इधर-उधर घूमकर उसे ढूंढने की कोशिश करता। उसकी आंखों से टपकते आंसू उस दर्द को बयां कर रहे थे, जिसे वह झेल रहा था। उसकी मासूमियत और बेचैनी किसी को भी भावुक कर देने के लिए पर्याप्त थी। वह 5 दिन तक मृत मां के पास भटकता रहा।
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बच्चे का संघर्ष जारी
मां की मौत के बाद ऊंट के बच्चे पर आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया। कुत्तों ने उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया, लेकिन बच्चा न तो वहां से हटा और ना ही किसी तरह का भोजन या पानी लिया। वह लगातार अपनी मां के शव के पास ही बैठा रहा। यह दिखाता है कि पशुओं में भी संवेदनाएं और दर्द होते हैं, जो हमें समझने की जरूरत है।
चरवाहों का भावुक अनुभव
ओरण क्षेत्र में घूम रहे चरवाहों ने जब यह दृश्य देखा तो वे भी भावुक हो उठे। चरवाहों ने बताया कि ऊंट का बच्चा लगातार अपनी मां के पास बैठा रहता था और बार-बार उसे उठाने की कोशिश करता था। यह दृश्य देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए। इस दर्दनाक घटना ने यह साबित कर दिया कि पशुओं में भी मां-बच्चे का रिश्ता उतना ही गहरा और संवेदनशील होता है, जितना इंसानों में।
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घायल ऊंट के बच्चे को रेस्क्यू किया गया
घटना की सूचना सोढाकोर गांव के कुछ निवासियों ने जगदंबा सेवा समिति ट्रस्ट को दी। इसके बाद भादरिया गौशाला से गोरक्षक गोपाल सिंह भाटी, दिनेश सिंह देवड़ा, थानाराम भील और अन्य कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और घायल ऊंट के बच्चे को सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया। उसे गोशाला ले जाया गया, जहां उसका इलाज और देखभाल शुरू की गई। फिलहाल उसकी हालत में सुधार बताया जा रहा है।
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मां-बच्चे का अविस्मरणीय संबंध
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि पशुओं में भी मां-बच्चे का रिश्ता उतना ही गहरा और संवेदनशील होता है, जितना इंसानों में। ऊंट का बच्चा अपनी मां के बिना अकेला और बेसहारा हो गया, लेकिन उसने लगातार अपने दर्द का सामना किया और कोशिश की कि वह अपनी मां को उठाकर उसे ठीक कर सके। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम पशुओं के साथ किस प्रकार का व्यवहार करते हैं और उनकी संवेदनाओं को कैसे समझ सकते हैं।
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मुख्य बिंदु
- ऊंट के बच्चे को उसकी मां की मृत्यु के बाद पांच दिन तक मृत मां के पास भटकते हुए देखा गया। उसे आवारा कुत्तों ने भी हमला किया था और वह गंभीर रूप से घायल हो गया था, जिसके बाद उसे रेस्क्यू किया गया।
- जब गांव के लोगों ने घटना की सूचना दी, तो गौशाला टीम मौके पर पहुंची और घायल ऊंट के बच्चे को सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया। उसे गोशाला में लाकर इलाज और देखभाल की गई, और अब उसकी हालत में सुधार है।
- यह घटना दिखाती है कि पशुओं में भी इंसानों की तरह गहरी संवेदनाएं होती हैं, खासकर मां-बच्चे के रिश्ते में। ऊंट का बच्चा अपनी मां के बिना अकेला था, लेकिन उसने लगातार अपनी मां को ढूंढने और उसे उठाने की कोशिश की, जो पशुओं में गहरे भावनात्मक संबंधों को दर्शाता है।
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