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Photograph: (the sootr)
Jaipur. एकल पट्टा प्रकरण में राजस्थान की भजनलाल सरकार मुकदमा चलाना चाहती है। इसकी जानकारी शुक्रवार को सरकार ने राजस्थान हाई कोर्ट में दी। सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और एएजी शिव मंगल शर्मा ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकल पीठ में कहा कि पिछली सरकार का मामला वापस लेने का फैसला सार्वजनिक हित में नहीं था।
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अगली सुनवाई जनवरी में होगी
सरकार का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाना जरूरी है। उन्होने कहा कि हम अभियोजन वापसी के 19 जनवरी, 2021 के आवेदन को वापस लेना चाहते हैं। इसके लिए ट्रायल कोर्ट में आवेदन किया जाएगा। इसकी कॉपी सरकार की ओर से हाई कोर्ट में पेश की गई। इस पर हाई कोर्ट ने इसे रजिस्ट्री में प्रस्तुत करने और आवेदन की कॉपी आरोपियों को देने के निर्देश देते हुए सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह तक टाल दी।
तीन पूर्व अधिकारी मामले में आरोपी
29 जून, 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रॉपराइटर शैलेंद्र गर्ग के नाम पर एकल पट्टा जारी किया था। इसकी शिकायत परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में की थी। एसीबी में शिकायत के बाद तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, शैलेंद्र गर्ग और दो अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी।
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गहलोत सरकार में क्लीन चिट
इनके खिलाफ एसीबी कोर्ट में चालान पेश किया था। मामला बढ़ने पर विभाग ने 25 मई, 2013 को एकल पट्टा निरस्त कर दिया था। प्रदेश में सरकार बदलते ही गहलोत सरकार में एसीबी ने मामले में तीन क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी थी। तीनों क्लोजर रिपोर्ट में सरकार ने इस मामले में पूर्व आईएएस जीएस संधू, पूर्व आरएएस निष्काम दिवाकर और ओंकारमल सैनी को क्लीन चिट दी थी।
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एसीबी कोर्ट ने खारिज किया आवेदन
इसके बाद सरकार ने साल 2021 में तीनों के खिलाफ मामला वापस लेने का आवेदन एसीबी कोर्ट मे दायर कर दिया। मामला वापस लेने के सरकार के आवेदन को एसीबी कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद तीनों अधिकारियों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया मामला
इनकी अपील पर 17 जनवरी, 2023 को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के संधू, दिवाकर और सैनी के खिलाफ केस वापस लेने को सही मान लिया, लेकिन इस आदेश के खिलाफ अशोक पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर, 2024 को हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए मुख्य न्यायाधीश को खुद इस मामले की सुनवाई करने के लिए कहा, जिस पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रही है।
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