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Photograph: (the sootr)
Jaipur. कांग्रेस के पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को एकल पट्टा प्रकरण में कानूनी राहत नहीं मिली है। राजस्थान हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। इस आदेश से पूर्व मंत्री को झटका लगा है। अब एकल पट्टा केस में एसीबी फिर से जांच करेगी। हाई कोर्ट ने एकल पट्टा मामले में धारीवाल के खिलाफ फिर से एसीबी को कार्रवाई करने की छूट दे दी है।
पिटीशन पर सुनवाई का रास्ता साफ
हाई कोर्ट ने धारीवाल सहित अन्य आरोपियों के पक्ष में एसीबी की दी गई क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देने वाली लंबित प्रोटेस्ट पिटीशन पर सुनवाई का रास्ता साफ कर दिया है। मामले में अगली सुनवाई अगले महीने 5 दिसंबर को होगी। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश धारीवाल और अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए।
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ट्रायल कोर्ट को निर्णय का अधिकार
हाई कोर्ट ने धारीवाल व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट में एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट पिटीशन चल रही है, जिस पर निर्णय का अधिकार केवल ट्रायल कोर्ट को ही है। राजस्थान सरकार को आगे की कानूनी कार्रवाई का अधिकार है। न्यायिक प्रक्रिया लंबित रहने के चलते इसे रोका नहीं जा सकता।
न्यायिक प्रक्रिया को जारी रखें
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के एएसजी एसवी राजू, एएजी शिव मंगल शर्मा और वकील सोनाली गौर ने कहा कि धारीवाल की याचिका मेंटेनेबल नहीं है। एसीबी ने क्लोजर रिपोर्ट में धारीवाल को क्लीन चिट दी है, लेकिन उनके खिलाफ कोई चार्जशीट ही पेश नहीं की थी। क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ शिकायतकर्ता की प्रोटेस्ट पिटीशन अभी एसीबी कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए ट्रायल कोर्ट की न्यायिक प्रक्रिया को जारी रखा जाना चाहिए।
धारीवाल को मिली थी क्लीन चिट
एकल पट्टा प्रकरण में धारीवाल को एसीबी ने क्लीन चिट देते हुए कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी। हाईकोर्ट में धारीवाल की ओर से कहा गया कि केस में प्रारंभिक शिकायत में धारीवाल का नाम था। जांच अधिकारी के क्लीन चिट देने के बाद ट्रायल कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट अस्वीकार कर दी थी।
याचिका दायर करने का अधिकार
उन्हें इसे रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में आपराधिक याचिका दायर करने का अधिकार है। 2019 में एसीबी ने विस्तृत और निष्पक्ष जांच के बाद ही धारीवाल को क्लीन चिट दी थी। हाई कोर्ट के आदेशों के बाद अब एसीबी एकल पट्टा मामले की फिर से जांच कर सकती है। एसीबी ने फिर से जांच शुरू की तो धारीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुनवाई
एकल पट्टा मामले में मौजूदा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में धारीवाल और अफसरों को क्लीन चिट दे दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए नए हलफनामे में सरकार ने कहा था कि धारीवाल और अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला बनता है। इसके बाद अशोक पाठक की एसएलपी पर आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर, 2024 को हाईकोर्ट के 17 जनवरी, 2023 और 15 नवंबर, 2022 को दिए दोनों आदेश रद्द कर दिए थे।
चीफ जस्टिस खुद सुनवाई करें
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा था कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस खुद इस मामले की सुनवाई करें। इसके बाद हाई कोर्ट ने एक बार फिर एकल पट्टा केस में सुनवाई शुरू की थी। हाई कोर्ट ने पहले तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर और जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को बंद कर दिया था। 15 नवंबर, 2022 को हाई कोर्ट ने धारीवाल को राहत देते हुए एसीबी कोर्ट में चल रही प्रोटेस्ट पिटीशन सहित अन्य आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया था।
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यह है मामला
29 जून, 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रॉपराइटर शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया था। इस पट्टे की शिकायत रामशरण सिंह ने 2013 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में की थी। एसीबी में शिकायत के बाद तत्कालीन एसीएस संधू, डिप्टी सचिव दिवाकर, जोन उपायुक्त सैनी, शैलेंद्र गर्ग और 2 अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। इनके खिलाफ एसीबी कोर्ट में चालान पेश किया था। मामला बढ़ने पर विभाग ने 25 मई, 2013 को एकल पट्टा निरस्त कर दिया था। पिछली कांग्रेस सरकार में इस मामले में एसीबी ने क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी थी।
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धारीवाल से एसीबी ने की थी पूछताछ
एकल पट्टा प्रकरण में वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के दौरान 3 दिसंबर, 2014 को एसीबी ने मामला दर्ज किया था। एसीबी ने जांच के बाद एसीएस संधू, डिप्टी सचिव दिवाकर, जोन उपायुक्त सैनी, शैलेंद्र गर्ग और दो अन्य आरोपियों के खिलाफ चालान भी पेश किया था। उस समय धारीवाल से भी पूछताछ की गई थी। सरकार बदलते ही गहलोत सरकार में एसीबी ने मामले में तीन क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी थीं। तीनों क्लोजर रिपोर्ट में सरकार ने इस मामले में पूर्व आईएएस संधू, पूर्व आरएएस दिवाकर और सैनी को क्लीन चिट दी थी।
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