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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के पूर्व मंत्री शांति धारीवाल की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। यह याचिका एकल पट्टा मामले में उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई शामिल थे, ने 1 नवंबर के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि धारीवाल के खिलाफ एसीबी कोर्ट में लंबित प्रोटेस्ट पिटीशनों के निपटारे तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
कोर्ट ने जारी रखा स्थगन आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारीवाल की गिरफ्तारी पर रोक जारी रहेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक एसीबी कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशनों पर सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक इस मामले में किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह आदेश धारीवाल के पक्ष में एक राहत के रूप में सामने आया।
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वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने पेश किया पक्ष
धारीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष रखा। सिब्बल ने अदालत में कहा कि इस मामले में दंडात्मक कार्रवाई और गिरफ्तारी से पहले पूरी जांच की आवश्यकता है। इसके अलावा, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भी अपनी बात रखी, जिन्होंने इस मामले में अदालत से निष्पक्ष और न्यायपूर्ण निर्णय की अपील की।
ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को ट्रायल कोर्ट में वापस भेजते हुए कहा कि वहां पुराने और नए क्लोजर रिपोर्ट दोनों पर विचार किया जाएगा। राजस्थान सरकार को अतिरिक्त जांच रिपोर्ट पेश करने का भी अधिकार दिया गया है। ट्रायल कोर्ट को यह आदेश दिया गया कि वह क्लोजर रिपोर्ट वापस लेने के आवेदन पर भी सुनवाई करे।
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बिना किसी अड़चन जारी रहेगी जांच
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की जांच अब बिना किसी अड़चन के जारी रहेगी। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार से संबंधित यह मामला केवल ट्रायल कोर्ट के माध्यम से कानूनी मापदंडों के आधार पर आगे बढ़ेगा।
क्या है एकल पट्टा मामला?
यह मामला 29 जून, 2011 को शुरू हुआ था, जब जयपुर विकास प्राधिकरण ने गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया था। आरोप है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ और बिना पुराने रिजेक्शन की जानकारी जुटाए नया पट्टा जारी कर दिया गया।
रामशरण सिंह ने 2013 में एसीबी से इसकी शिकायत की थी, जिसके बाद मामले की जांच शुरू हुई। बाद में तत्कालीन गहलोत सरकार ने पट्टा रद्द कर दिया था। इस मामले में पहले ही 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी थी, जिसमें तत्कालीन यूडीएच मंत्री धारीवाल का नाम भी शामिल है।
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