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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के सीकर जिले के खोरी ब्राह्मणान गांव में एक दुखद घटना घटी। 5 साल के नीतियांश की तबीयत खराब होने पर उसकी मां ने चिराना सीएचसी से मिली खांसी की सिरप दी थी।
सिरप पिलाने के बाद नीतियांश की हालत और बिगड़ी गई। इसके बाद वह सुबह उठ नहीं पाया। इस घटना ने पूरे इलाके में चिंता की लहर दौड़ा दी है। परिजनों के मुताबिक, रात को सिरप पीने के बाद बच्चे की हालत खराब हो गई थी।
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पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है कि खांसी की सिरप से किसी की तबीयत बिगड़ी हो। दो दिन पहले ही अजीतगढ़ इलाके में दो बच्चों की तबीयत भी इसी सिरप के कारण खराब हो गई थी। यह सिरप जो सरकारी अस्पतालों में निशुल्क वितरित की जाती है, अब कई सवालों का कारण बन चुकी है। जब ये दवाइयां इतनी खतरनाक साबित हो रही हैं, तो यह सवाल उठता है कि आखिर ऐसी दवाओं के वितरण पर नियंत्रण क्यों नहीं रखा जा रहा?
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भरतपुर में दवा वितरण पर बैन
खांसी की सिरप से न केवल बच्चे, बल्कि अस्पताल के कर्मचारी भी प्रभावित हो चुके हैं। भरतपुर में अस्पताल स्टाफ के बीमार होने के बाद यह मामला सामने आया था। डॉक्टर को निमोनिया होने के बाद जयपुर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके अलावा, जिले में 108 एंबुलेंस के ड्राइवर और 3 साल के बच्चे की भी तबीयत बिगड़ी थी। इस घटना के बाद जिले में खांसी की सिरप के बैच के वितरण पर रोक लगा दी गई है।
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स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार ठहराया
इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्या विभाग ने इस दवाई के उत्पादन और वितरण की सही तरीके से निगरानी की थी? बच्चों के लिए इस सिरप का सेवन सुरक्षित क्यों नहीं है? सरकारी अस्पतालों में ऐसी सिरपें क्यों वितरित की जाती हैं, जो खतरनाक साबित हो रही है? सरकार को अब इस दिशा में कड़ी कार्रवाई कर सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता न हो।