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Photograph: (the sootr)
राजस्थान हाई कोर्ट ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल को संपदा अधिकारी न्यायालय की ओर से विधायक कोटे में आवंटित किए गए आवास को खाली करने नोटिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। अदालत ने राजस्थान सरकार और संपदा अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट व मुख्य सचिव से जवाब भी मांगा है।
अदालत ने राज्य सरकार को जवाब के साथ ही समान प्रकृति से जुड़े अन्य मामलों की जानकारी भी पेश करने को कहा है। जस्टिस समीर जैन ने यह अंतरिम आदेश हनुमान बेनीवाल की याचिका पर दिए।
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जवाब देने के लिए समय मांगा
बेनीवाल की एडवोकेट सुमित्रा चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्तमान में सांसद हैं। विधायक होने के आधार पर उन्हें जयपुर में आवास आवंटित किया था। संपदा अधिकारी और एडीएम न्यायालय में उन्हें विधायक आवास से बेदखली की कार्रवाई लंबित है। संपदा अधिकारी अदालत ने बेनीवाल को नोटिस दिया था और उनकी ओर से एडवोकेट ने पेश होकर जवाब देने के लिए समय मांगा था।
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उचित समय नहीं दिया
इस कार्रवाई के दौरान संपदा अधिकारी न्यायालय ने उन्हें उचित समय नहीं दिया और सुनवाई के लिए बहुत छोटी-छोटी तारीखें देना आरंभ कर दिया। इसके साथ ही याचिकाकर्ता की ओर से पेश आपत्तियों को भी खारिज कर दिया। इससे स्पष्ट है कि जिस प्रकार से कार्रवाई चल रही है, उसके संपदा अधिकारी न्यायालय के सरकार के पक्ष में पूर्वाग्रह से काम कर रही है।
संपदा अधिकारी को सिविल न्यायालय की शक्तियां मिली हुई हैं, लेकिन संपदा अधिकारी एवं एडीएम आशीष शर्मा कार्यपालिका के नौकरशाह की तरह और मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं।
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नोटिस और कार्रवाई को रद्द किया जाए
राजस्थान सार्वजनिक परिसर अनधिकृत अधिभोगियों की बेदखली अधिनियम, 1964 की धारा तीन के अनुसार इस पद पर उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी होना जरूरी है, लेकिन आज तक यह अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
ऐसे में वह बिना अधिकारिता के इस पद पर काम कर रहे हैं और उनकी ओर से जारी नोटिस और कार्रवाई को रद्द किया जाए। अदालत ने नोटिस की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से ऐसे समान प्रकरणों की जानकारी पेश करने को कहा है।