New Update
/sootr/media/media_files/2025/08/02/jhalawar-school-hadsa-2025-08-02-14-03-21.jpg)
Photograph: (the sootr)
00:00
/ 00:00
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
Photograph: (the sootr)
झालावाड़ के पिपलोदी गांव में हुए स्कूल हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया। इस हादसे में घायल हुए 11 बच्चों को उपचार के लिए झालावाड़ के मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। हादसे की दर्दनाक यादें भले ही लोगों के दिमाग से नहीं निकलें, लेकिन इन बच्चों का हौसला और संघर्ष देखने लायक है। आईसीयू में भी ये बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जो उनके मजबूत जज्बे को दर्शाता है। हादसे के बाद इन बच्चों की शिक्षा के प्रति लगन उनके उज्ज्वल भविष्य के सपनों को सामने लाती है।
हादसे के बाद इन बच्चों का हौसला और आत्मविश्वास बढ़ गया, खासकर जब उनके परिजनों ने उन्हें किताबें और स्कूल बैग दिए। इस दृश्य को देखकर हर कोई भावुक हो गया। जब ये बच्चे किताबों और बैग को पाकर मुस्कुराए, तो यह साबित हो गया कि भले ही वे शारीरिक रूप से घायल हैं, लेकिन उनका मनोबल और शिक्षा की ओर उनका उत्साह अडिग है।
आईसीयू में भी जारी है पढ़ाई
ये बच्चे आईसीयू में भर्ती होने के बावजूद पढ़ाई में लगे हुए हैं। उनका यह जज्बा दिखाता है कि किसी भी हालात में वे अपनी पढ़ाई को नहीं छोड़ सकते। यह दृश्य हर किसी को प्रेरित करता है और यह साबित करता है कि शिक्षा का महत्व इन बच्चों के लिए जीवन से भी बढ़कर है।
यह खबर भी देखें...
झालावाड़ स्कूल हादसा: हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, कहा-बहुत हो चुका, अब चेतने का समय
झालावाड़ स्कूल हादसा: अब जर्जर भवन होंगे जमींदोज, कंटेनर में भी चल सकेंगी कक्षाएं
झालावाड़ स्कूल हादसा: सरकार का बड़ा एक्शन, जिला शिक्षा अधिकारी समेत पांच बड़े अफसर निलंबित
घायल बच्चों की मानसिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए मनोचिकित्सक (Psychiatrist) भी उनकी काउंसलिंग कर रहे हैं। अधिकारियों और स्थानीय निवासियों ने बच्चों से मिलकर उनका हौसला बढ़ाया है और धीरे-धीरे बच्चों की मानसिक स्थिति में सुधार आ रहा है। हालांकि जब ये बच्चे हादसे को याद करते हैं, तो वे उदास हो जाते हैं, लेकिन उनकी आंखों में पढ़ाई और सफलता के सपने भी नजर आते हैं।
बच्चों के अंदर शिक्षा और सफलता की ललक साफ दिखाई देती है। वे पढ़ाई को अपनी राह का हिस्सा मानते हुए आगे बढ़ने की सोच रहे हैं। साथ ही, ये बच्चे अपने दोस्तों को भी याद करते हैं जो अब हमारे बीच नहीं हैं। वे इस दुख को अपने मन में संजोए रखते हैं। बावजूद इसके, उनकी आंखों में एक नई उम्मीद और भविष्य को लेकर उमंग है। इन बच्चों का जज्बा देखते ही बनता है। सवाल यह है कि क्या हम बचपन को बचा पाएंगे?
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧