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Photograph: (the sootr)
Jaipur. सोने-चांदी के रिकॉर्ड भावों के बावजूद ज्वैलरी बाजार में चमक है। दीपावली से पहले ही राजस्थान और जयपुर के ज्वैलर्स के शोरूम और दुकानों पर खूब खरीदारी हो रही है। हालांकि बढ़ते दामों को देखकर बाजार में अलग माहौल भी देखने को मिल रहा है। धनाढ्य वर्ग तो खरीदारी कर रहा है, लेकिन मध्यम और किसान वर्ग अपनी पुरानी और खानदानी ज्वैलरी को बेचकर फायदा उठाने में लगा है।
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बेच रहे पुरानी ज्वैलरी
ज्वैलर्स का कहना है कि अभी 30 फीसदी लोग पुरानी ज्वैलरी बेचने आ रहे हैं। इसकी वजह है सोने और चांदी के भावों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी। एक बड़ा वर्ग पुरानी ज्वैलरी के बदले नए गहने भी खरीद रहा है। वहीं कुछ लोग निवेश के तौर पर पुराना सोना बेचकर चांदी खरीद रहे हैं। सोने के भाव 24 और 22 कैरेट के हिसाब से 1.26 लाख और 1.16 लाख रुपए तक पहुंच गए हैं। वहीं चांदी 1.85 लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है।
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रोज 10 किलो सोना आ रहा बाजार में
जौहरी बाजार के ज्वैलर रामसहाय शर्मा ने बताया कि जयपुर के बाजार में रोज अनुमानित 7 से 10 किलो तक सोने के जेवरात बिकने आ रहे हैं। चांदी के जेवरात इससे कई गुणा अधिक हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो पुराना सोना बेचकर किलो में चांदी खरीद रहे हैं। सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि पहले भी लोग पुराना सोना बेचने और नए गहने बनाने आते थे, लेकिन अभी अच्छे दाम मिलने के कारण सोना-चांदी बेचने वाले खूब आ रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो आर्थिक हालात के चलते सोना-चांदी बेच रहे हैं।
18 व 14 कैरेट के आभूषणों की मांग बढ़ी
सोने की बढ़ती कीमतों ने लोगों की सोच में बदलाव आया है। अब वे 24 और 22 कैरेट सोने के बजाय हल्के वजन के 14 व 18 कैरेट के आभूषण ज्यादा बनवा रहे हैं। शादियों के लिए पुराने देकर नए गहनों की खरीदारी कर रहे हैं। सोने और चांदी की कीमतों में इसी साल सबसे अधिक बढ़ोतरी देखी गई है। देश में दीपावली के साथ त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है। अगले महीने नवंबर से लेकर अगले साल मार्च तक शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो जाएगा।
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शगुन के तौर पर खरीदारी
धनतेरस और दिवाली पर शगुन के तौर पर सोने और चांदी की खरीदारी करने से पहले भी लोग सोच रहे हैं। खातीपुरा के ज्वैलर रामबाबू अग्रवाल का कहना है कि सोने की बढ़ती कीमतों के चलते लोग 14 व 18 कैरेट के आभूषण ज्यादा बनवाने लगे हैं। 24 और 22 कैरेट सोना मध्यम वर्ग के बजट से आउट होता जा रहा है। धनाढ्य वर्ग ही 24 और 22 कैरेट सोने के जेवरात ले रहा है।
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पुरानी देकर नई ज्वैलरी लेने का चलन
कई ग्राहक अपनी पुरानी ज्वैलरी देकर नई डिजाइन के हिसाब से गहने बनवा रहे हैं। दादा-दादी के जमाने के सोने-चांदी के भारी-भरकम गहने जैसे गले के हार, कनकती, बाजूबंद, सोने-चांदी के कड़े, चूडियां, कंगन का मोल-भाव करके नई तरह की ज्वैलरी खरीदी जा रही है। जौहरी बाजार के ज्वैलर रामकिशन ने बताया कि लोगों में पुरानी के बदले नई डिजाइन वाली ज्वैलरी खरीदने का क्रेज है।
कोरोना और मंदी में बेचे जेवर
कोरोना अवधि और इससे पहले आर्थिक मंदी के समय भी पुरानी ज्वैलरी खूब बिकी। विश्वव्यापी मंदी के दौर में सोने-चांदी के भाव में अचानक उछाल आया था। तब लोगों ने घर-व्यापार चलाने के लिए अपने खानदानी जेवर तक बेच डाले थे। ऐसे ही हालात कोरोना काल में भी देखे गए। आर्थिक हालात खराब होने और व्यापार चौपट होने के कारण अपना घर-परिवार और दुकानदारी चलाने के लिए खानदानी जेवरात तक बेचने पड़े थे। हालांकि हालात सुधरने पर लोगों ने अपने जेवरात छुड़ाए और खरीदारी भी की।