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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के जयपुर विकास प्राधिकरण में विकास कार्यों के टेंडरों में चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए नियम-कायदे भी ताक में रखे जा रहे हैं। जेडीए जोन 12 ए में सेक्टर रोड के निर्माण कार्यों में आरटीपीपी नियमों की अनदेखी सामने आई है। करीब 39 करोड़ रुपए के सेक्टर रोड के ठेके में एक ही फर्म की बिड आई। वो भी जेडीए की ओर से तय राशि से मात्र ढाई फीसदी विलो रेट पर।
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नए टेंडर का प्रावधान
आरटीपीपी नियमों के तहत सिंगल बिड आने पर टेंडर निरस्त करने और नए सिरे से टेंडर निकालने के प्रावधान हैं। इंजीनियर्स को सिंगल बिड आते ही यह काम कर लेना चाहिए था, लेकिन नियमों को दरकिनार कर सिंगल बिड के प्रोसेस को आगे बढ़ाते रहे। फिर टेक्निकल और फाइनेंशियल बिड भी खोल दी गई। बिड भी मात्र ढाई फीसदी विलो रेट की आई है। इस संबंध में ठेकेदारों ने आला अफसरों तक चहेती फर्म को फायदा देने में लगे इंजीनियर्स की शिकायत भी की।
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जोरों पर है सिंगल फर्म की चर्चा
जेडीए के जोन 12 ए में आमेर और विद्याधर नगर विधानसभा की सेक्टर रोड और मिसिंग लिंक रोड के कार्य होने हैं। इस पर करीब 38.46 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इस कार्य के लिए एकमात्र सिंगल बिड आई है, वो भी मुरारीलाल अग्रवाल फर्म की है। इस फर्म ने ढाई फीसदी विलो रेट पर 37.49 करोड रुपए की बोली लगाई है।
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सिंगल बिड बनी चर्चा में
राजधानी में इतने बड़े ठेके में दूसरी फर्म की बिड नहीं आना काफी चर्चा में है। यहां करोड़ों-अरबों रुपए के ठेके लेने वाली दर्जनों कंपनियां हैं और इन्होंने जयपुर समेत दूसरे शहरों में कार्य भी ले रखे हैं। चर्चा है कि चहेती फर्म को काम दिलवाने के लिए दूसरी फर्मों को बिड में आने ही नहीं दिया गया। इसके लिए ऊंची रसूखात, प्रलोभन और प्रेशर पॉलिटिक्स अपनाई गई।
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इंजीनियर्स लग गए काम पर
कोई दूसरी फर्म नहीं आ सके, इसके लिए इंजीनियर्स भी समझाइश में लगे हुए थे। आरटीपीपी नियमों के तहत वैसे ही सिंगल बिड आने पर टेंडर निरस्त होकर दुबारा किए जाने के नियम हैं। इंजीनियर्स सभी नियम-कायदों को दरकिनार कर अब फर्म को वर्क ऑर्डर दिलवाने में लगे हैं। इसके लिए फाइल आयुक्त और सचिव जेडीए की टेबल तक पहुंचा दी गई है।
10-25 फीसदी विलो पर छूट रहे ठेके
जेडीए ने नई बीसीआर लागू कर दी है, जिसके तहत ठेका कार्यों की दरें बढ़ा दी हैं, ताकि ठेकेदार गुणवत्तापूर्ण कार्य कर सकें। बावजूद इसके जोन 12 ए में करीब 39 करोड़ रुपए के टेंडर में सिंगल बिड देने वाली फर्म ने मात्र ढाई फीसदी विलो रेट दी है, जबकि उक्त कार्यों में जयपुर शहर में दस से पच्चीस फीसदी कम रेट पर कंपनियां काम कर रही हैं।
ये कंपनियां कर रहीं कार्य
जोन आठ में पारुल कंस्ट्रक्शन फर्म 18 फीसदी विलो रेट पर तो जोन 12 में हरदयाल फर्म द्वारा भी 18 फीसदी विलो रेट में सड़क निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। इसी तरह से अलंकार कंस्ट्रक्शन व दूसरी फर्म भी 12 से 16 फीसदी कम रेट पर कार्य कर रही हैं।
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जेडीसी कर चुकी है सिंगल बिड के टेंडर निरस्त
पूर्व में भी सिंगल बिड के जरिए ठेका दिलवाने के काम सामने आ चुके हैं। हालांकि जेडीए जोन दस में गोनेर से रिंग रोड तक नाला निर्माण कार्य की निविदा कार्य में भी सिंगल बिड आई थी। आरटीपीपी नियमों के तहत इस टेंडर को निरस्त करना था, लेकिन इंजीनियर्स ने इसे निरस्त नहीं किया।
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जेडीए को होता है फायदा
मामला जेडीसी के सामने आया तो उन्होंने नए सिरे से टेंडर जारी करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा अन्य सिंगल बिड के टेंडर भी रद्द हुए हैं। नियमानुसार सिंगल फर्म के टेंडर निरस्त होते आए हैं। ज्यादा फर्मों के आने से प्रतिस्पर्धा रहती हैं, वहीं रेट भी पच्चीस-तीस फीसदी विलो तक आती है। इससे जेडीए को फायदा रहता है।
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