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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के जालोर में लगातार बारिश और जवाई नदी के बहाव के बीच जवाई बांध की स्थिति गंभीर होती जा रही है। जवाई बांध का गेज 57.20 फीट तक पहुंच गया, जबकि प्रतिदिन औसतन 200 एमसीएफटी पानी की आवक जारी है। बांध की भराव क्षमता 61.25 फीट है और केवल 1100 एमसीएफटी पानी की जगह शेष बची है।
इसे देखते हुए सुमेरपुर में हुई बैठक में निर्णय किया गया कि बांध के पूरे भरने के बाद सेई टनल को बंद कर अतिरिक्त पानी भी रिजर्व रखा जाएगा। हालांकि बैठक में जालोर के जनप्रतिनिधि और अधिकारी शामिल नहीं हुए, जिससे विरोध के स्वर तेज हो गए हैं।
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किसानों ने जताई चिंता
भारतीय किसान संघ ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम जिला परिषद सीईओ नंदकिशोर राजौरा को ज्ञापन सौंपा। इसमें मांग की गई कि 55 फीट से ऊपर आने वाले पानी का 50 फीसदी बांध से छोड़ा जाए। किसानों का कहना है कि पाली क्षेत्र में छोटे-बड़े 27 से अधिक बांध मौजूद हैं, इसके बावजूद जवाई का पूरा पानी रोकना गलत है।
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शिवसेना यूबीटी का अनूठा प्रदर्शन
जवाई बांध में पानी रिजर्व करने के फैसले के विरोध में शिवसेना यूबीटी के जिला प्रमुख रूपराज पुरोहित के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने गुड़ा बालोतान में जवाई नदी के बीच खड़े होकर प्रदर्शन किया। उन्होंने घोषणा की कि जवाई के पानी पर जालोर का हक तय कराने के लिए जवाई रथ यात्रा निकाली जाएगी और जनप्रतिनिधियों से ज्ञापन सौंपकर दबाव बनाया जाएगा।
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बाढ़ जैसे हालात का खतरा
जवाई के साथ-साथ जालोर में सूकड़ी और लूणी नदी भी बह रही हैं। ऐसे में बांध से अचानक पानी छोड़े जाने पर आहोर, जालोर, सायला, बागोड़ा और नेहड़ तक बाढ़ जैसे हालात बनने की आशंका है। इतिहास गवाह है कि 1973 से 2017 तक जवाई बांध के गेट खोलने पर आठ बार जिले में बाढ़ की स्थिति बन चुकी है।
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विधायक बोले-प्रयास रहेगा बाढ़ न आए
आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने कहा कि बैठक केवल निगरानी को लेकर थी, इसलिए जनप्रतिनिधि शामिल नहीं थे। उन्होंने आश्वासन दिया कि सेई टनल को बंद नहीं होने देंगे और 59 फीट पर ही गेट खुलवाने की कोशिश की जाएगी। वहीं सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि पानी छोड़ने को लेकर विधायक दल की बैठक में चर्चा हुई है और मुख्यमंत्री से भी बात की गई है। कोशिश रहेगी कि धीरे-धीरे निकासी कर बाढ़ जैसी स्थिति न बनने दी जाए।
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