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Photograph: (the sootr)
Jaipur. रेगिस्तानी इलाकों में प्यास बुझाने वाले टांकों पर बुरी नजर का साया पड़ गया है। लोगों के साथ गायों व दूसरे पशुधन की प्यास बुझाने वाले टांके अब राजस्थान सरकार की प्राथमिकता में नहीं रह गए हैं। सरकार ने दीपावली के दूसरे दिन 21 अक्टूबर को एक आदेश जारी करके मनरेगा के तहत बनाए जाने वाले व्यक्तिगत टांका निर्माण पर रोक लगा दी है।
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श्रेया गुहा ने निकाला आदेश
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग राजस्थान की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रेया गुहा ने यह आदेश निकाला है, जिसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत टांका निर्माण कार्य पर रोक के आदेश हैं। इस आदेश के बाद अब रेगिस्तानी इलाकों में पेयजल संरक्षण और पेयजल के प्रमुख स्रोत टांका निर्माण बंद हो जाएंगे। आदेश में बताया है कि टांका निर्माण में फर्जीवाड़े और नियमों के उल्लंघन की शिकायतें थी।
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आगामी आदेश तक रोक
बाड़मेर जिले में टांका निर्माण कार्यों की जांच करवाई गई थी, जिसमें पाया गया है कि सिंचाई और कृषि संबंधी कार्य के लिए टांका निर्माण करवाया जा रहा था, लेकिन किसान व ग्रामीण इसका उपयोग कृषि व सिंचाई में नहीं ले रहे थे। इससे मनरेगा के उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही है। इसलिए आगामी आदेश तक टांका निर्माण पर रोक लगा दी है। सभी जिला कलेक्टर को यह आदेश जारी किए हैं। इस आदेश के बाद विपक्ष सरकार के खिलाफ हमलावर होने लगी है।
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मनरेगा में 5 साल में बने डेढ़ लाख टांके
मनरेगा के तहत पांच साल में डेढ़ लाख टांके बनाए गए हैं। दस साल में साढ़े तीन लाख टांके निर्मित हुए हैं। एक टांके पर तीन लाख रुपए का खर्चा आता है। अपना खेत अपना काम के तहत मनरेगा में निजी कृषि भूमि पर भी टांका निर्माण किया जा सकता था। रेगिस्तानी इलाकों में ग्रामीण सालों तक टांका निर्माण से ही बरसाती पानी को संग्रहण करते आ रहे हैं। टांके में पानी की गुणवत्ता अच्छी मानी जाती है। इसे दुनिया में जल संरक्षण का बेहतरीन मॉडल माना जाता है।
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तुगलकी फरमान, वापस ले सरकार
ग्रामीण विकास विभाग के टांका निर्माण पर रोक लगाने के आदेश का मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया है। बाड़मेर से कांग्रेस सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व बायतु विधायक हरीश चौधरी ने इस आदेश को तुगलकी बताया है। दोनों नेताओं ने ट्वीट किया है कि सरकार का यह आदेश तुगलकी है, जो दीपावली के दिन जारी किया है। यह तुगलकी फरमान है।
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प्यासे मरेंगे, नीति बनेगी कागज पर
सरकार का यह आदेश प्यासे मरेंगे, नीति बनेगी कागज पर जैसी विडंबना को जन्म देता है। बिना धरातलीय जांच और सर्वे के एसी कमरों में बैठकर नीतियां बनाना और आदेश जारी करना थार की असल समस्याओं की अनदेखी करना है। रेगिस्तानी इलाकों में घर और खेतों में टांके बने हुए हैं। इसमें संरक्षित बरसाती जल से ही लाखों परिवार की प्यास बुझती है। पशुधन पानी पीते हैं। अगर टांका निर्माण पर रोक लग जाएगी, तो किसान और पशुधन दोनों पर ही आफत आ जाएगी। दोनों नेताओं ने यह आदेश वापस लेने की मांग की है।
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दीपावली पर निकाला आदेश
बायतु विधायक हरीश चौधरी ने एक्स पर वीडियो जारी कर कहा कि सरकार ने दीपावली पर्व पर 21 अक्टूबर को एक आदेश निकालकर हमारे और रेगिस्तान की पीठ पर खंजर घोंपा है। छुट्टी के दिन यह आदेश निकाला गया। सरकार ने टांकों पर रोक लगा दी।
यह टांके पक्का निर्माण नहीं, यह हमारी जीवन रेखा है। टांके लोगों के पीने के पानी के साथ लाखों गायों के पेयजल का साधन है। नहर का पानी प्रदूषित है। टांकों में शुद्ध बरसाती पानी जमा होता है। टांकों ने सदियों से लोगों को जिंदा रखा है। अब सरकार इन्हें बंद करने में लगी है। इसका विरोध करेंगे।