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राजस्थान का मेवात इलाका, जो कभी साइबर ठगी (टटलूबाजी) के लिए जाना जाता है। अब इस अपराध से छुटकारा पाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। साइबर अपराध को लेकर मेवात की यह स्थिति है कि गांव-गांव में झोपड़ियों में साइबर ठगी के टटलू केंद्र चल रहे हैं। कहीं लेपटॉप से शिकार तलाशे जा रहे हैं तो कहीं मोबाइल फोन पर लोगों को ठगा जा रहा है। मेवात को साइबर अपराध से मुक्त कराने के लिए अब यहां गांव वालों की मदद से साइबर फ्रॉड जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। पुलिस को उम्मीद है कि उसे इस अभियान के जरिए मेवात में साइबर क्राइम की कमर तोड़ने में मदद मिलेगी।
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साइबर अपराध से मुक्त होने की पहल
मेवात के सबसे ठगी वाले नौगांवा थाना क्षेत्र में पुलिस ने ग्रामीणों की सामितियां गठित की हैं। ये समितियां साइबर अपराध में जुड़े युवाओं के परिजनों को ठगी छोड़ने के लिए प्रेरित करती हैं। रघुनाथगढ़ और कलसावड़ा के आसपास के गांवों ने साइबर अपराध से छुटकारा पाने की शपथ ली हैं। इस दौरान आसपास के 15 से अधिक गांवों ने दो दिन में 300 से अधिक मोबाइल फोन नष्ट कर दिए है। शुक्रवार को रघुनाथगढ़ के 12 गांवों के साइबर अपराधों में काम आए करीब 100-150 मोबाइल फोन जलाए। वहीं शनिवार को कलसावड़ा में आसपास के 3 गांवों के लोगों ने लगभग इतने ही फोन तोड़ डाले।
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11 सदस्यों की समिति गठित
रघुनाथगढ़ की साइबर अपराध जागरूकता समिति के सदस्य नेहपाल सिंह है। उन्होंने कहा कि, हम जानते हैं कि हमारा गांव साइबर ठगी का ठिकाना बन रहा है। युवा एक-दूसरे को देखकर इस अपराध की राह पर बढ़ रहे हैं। हम नहीं चाहते कि हमारी युवा पीढ़ी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर अपराध का रास्ता चुने। हमने आपस में तय करके साइबर ठगी को रोकने के लिए अब 11 सदस्यों की समिति बनाई है। यह समिति साइबर अपराध रोकने में पुलिस की मदद करती है।
युवाओ को कर रहा दीमक की तरह चट
कलसावड़ा के पप्पू खान, मास्टर उन्नस, शमशेर फौजी और जसवंत सिंह कहते हैं, यह साइबर क्राइम युवा पीढ़ी को दीमक की तरह चट कर रहा है। अपराध से जीवन नहीं चलता। इसका खमियाजा हम सब भुगत रहे हैं, क्योंकि बाहर जाते हैं तो सब हमें शक की नजर से देखते हैं। साइबर क्राइम को खत्म करने की पहल होनी चाहिए। हमने तय कर लिया कि मेवात से साइबर क्राइम खत्म होना चाहिए।
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रिश्तेदारों से मिलते हैं ताने
समिति बनाने के इस कदम का गांव वाले भी समर्थन करते हैं। वे कहते हैं, साइबर ठगी से पूरे मेवात की बदनामी होती है। हम रिश्तेदारों से मिलते हैं तो वे ताना मारते हैं, भाई आपके यहां तो खूब टटलू (ठगी) काटे जा रहे हैं। हम इन तानों से परेशान हो चुके हैं। गांव वाले यह भी बताते हैं, पहले सोने की ईट सस्ते में देने का झांसा देकर टटलूबाजी होती थी। लेकिन, कुछ सालों से अब साइबर ठगी को अपना लिया है। गांव वालों ने उन झोंपड़ियों को भी दिखाया, जो साइबर ठगों के ठिकाना थे। हालांकि, गांव वालों ने बदनामी से बचने के लिए इन झोंपड़ियों के फोटो लेने से मना कर दिया।
एसपी को करेंगे आश्वस्त
नौगांवा के थाना प्रभारी भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि रघुनाथगढ़ और उसके आसपास के गांवों से साइबर ठगों (टटलूबाजों) को लेकर लगातार शिकायतें आ रही थीं। पुलिस ने साइबर ठगी में लिप्त लोगों की गिरफ्तारी भी की है। इस अभियान की सफलता को देखते हुए अब अलवर एसपी संजीव नैन को गांवों में बुलाया जाएगा। उन्हें आश्वस्त करेंगे कि इस इलाके में साइबर अपराध नहीं होंगे।
हरियाणा भी हो रहा चिंतित
हरियाणा और राजस्थान का मेव बहुल क्षेत्र मेवात साइबर ठगी में अग्रणी बनकर उभरा है। दोनों राज्यों की सरकारें साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं से चिंतित हैं। पुलिस के अनुसार मेवात के करीब 200 से अधिक गांवों में साइबर ठग सक्रिय हैं। देशभर में हो रही साइबर ठगी के 70 फीसदी केसों में मेवात के गांवों की लोकेशन मिलती है। एक अनुमान के अनुसार पिछले तीन साल में मेवात में पांच हजार से अधिक साइबर ठगी की घटनाएं हुई हैं। काफी मामलों में एफआइआर भी दर्ज नहीं होती हैं। पुलिस ने इन ठगों से बचने के लिए मुख्य रास्तों पर साइबर ठगों (टटलूबाजों) से बचने के बोर्ड भी लगा रखे हैं।
ठगी में नाबालिग भी एक्टिव
राजस्थान के मेवात क्षेत्र में भरतपुर, अलवर और खैरथल जिलों के 20 से अधिक थाना क्षेत्रों में साइबर ठग एक्टिव हैं। इसी तरह हरियाणा के नूहं जिले में सात थाना क्षेत्र में साइबर ठगी की गैंग अपराध कर रही हैं। राजस्थान में मेवात के हरियाणा बॉर्डर वाले नौगावां थाने में इस साल अब तक साइबर अपराध के 30 मुकदमें रिकॉर्ड में आए हैं। इनमें लगभग 60 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। बता दें इन गिरफ्तारी में लगभग 10 आरोपी नाबालिग भी हैं। नौगावां क्षेत्र में इन अपराधों को रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस का दावा है कि साइबर अपराध को रोकने के लिए हो रहे प्रयासों के बाद यहां से साइबर ठगी की लोकेशन मिलना कम हो गई है।
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