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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के जयपुर में हेरिटेज नगर निगम की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप जांच में सही पाए गए हैं। इस मामले की शिकायत को लेकर राजस्थान सरकार की ओर से न्यायिक जांच कराई गई। जांच में साफ हो गया कि उन्होंने नगर निगम के पट्टों पर साइन करने के बदले पैसे की अवैध वसूली की थी। जांच में तीन आरोप सही पाए गए हैं।
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जांच में आरोप सही
सरकार ने मुनेश गुर्जर के प्रकरण में न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। जांच अधिकारी सुरेंद्र पुरोहित ने राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देश पर जांच पूरी की। जांच के दौरान 12 गवाहों के बयान लिए गए और कई दस्तावेज सबूत के तौर पर पेश किए गए। आखिर में अदालत ने सरकार के लगाए तीनों भ्रष्टाचार के आरोपों को सही माना। जांच में सामने आया कि महापौर रहते हुए मुनेश गुर्जर पट्टों पर साइन करने के बदले पैसे लेती थीं।
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आगे की कार्रवाई होगी
एसीबी ने उनके घर से 41 लाख रुपए नकद भी बरामद बरामद किए थे, जिनके बारे में वो कोई ठोस जवाब नहीं दे सकीं। इस प्रकरण में दो दलाल अनिल दुबे और नारायण सिंह भी भ्रष्टाचार में शामिल रहे। इन दोनों को ही पैसे लेते हुए एसीबी ने रंगे हाथों पकड़ा था। मामले में सरकारी वकील रहे एडवोकेट विष्णु दयाल ने बताया कि सरकार ने न्यायिक जांच में मुनेश गुर्जर को दोषी माना है। सरकार अब रिपोर्ट को लोकायुक्त राजस्थान को भी भेजेगी, ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सके।
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13 महीने में हुआ था तीन बार निलंबन
गत कांग्रेस सरकार में मेयर बनी मुनेश गुर्जर को 13 महीने में तीन बार निलंबित किया था। पहली बार तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 5 अगस्त, 2023 और 22 सितंबर, 2023 को निलंबित किया था। हालांकि इन दोनों निलंबन आदेशों को राजस्थान हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद वर्तमान बीजेपी सरकार ने उन्हें 23 सितंबर, 2024 निलंबित कर दिया। इसके बाद से कार्यवाहक महापौर के तौर पर कुसुम यादव हेरिटेज निगम का काम देख रही हैं।
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हाई कोर्ट ने की याचिका खारिज
राजस्थान हाई कोर्ट ने पट्टा जारी करने की एवज में रिश्वत से जुड़े मामले में हेरिटेज नगर निगम की तत्कालीन मेयर गुर्जर की याचिका को खारिज कर दिया था। मुनेश ने अपने तीसरे निलंबन को चुनौती दी थी। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ चल रही न्यायिक जांच तीन माह में पूरी करने के आदेश दिए। प्रकरण में याचिकाकर्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में आरोप पत्र पेश किया।
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ईडी की कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने आरोप-पत्र को चुनौती नहीं दी है और न्यायिक जांच में भाग लिया है। इसका निर्णय आना अभी बाकी है। अदालत ने सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह बड़ा चौंकाने वाला है कि अदालती आदेश के बावजूद भी सरकार नौ माह तक निष्क्रिय रही और जांच प्रक्रिया कछुए की चाल के समान रही। अदालत ने 1 दिसंबर, 2023 को एक माह में जांच पूरी करने को कहा था, लेकिन जून, 2024 को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। हाई कोर्ट ने पूछा कि पूर्व मेयर गुर्जर के मामले में ईडी की कार्रवाई क्यों नहीं हुई?