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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसके तहत नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना कनेक्शधारियों को रसोई गैस सिलेंडर ओटीपी (One Time Password) के माध्यम से दिए जाएंगे। यह कदम राज्य में गैस सब्सिडी के सही वितरण और उसकी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था से रिफिल सिलेंडर की डिलीवरी में किसी भी तरह की धोखाधड़ी या काले बाजार की गतिविधियों को रोका जा सकेगा।
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राजस्थान सरकार ने लिखा तेल कंपनियों को पत्र
राज्य सरकार ने तेल कंपनियों (आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल) को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि ओटीपी के बिना इन उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर रिफिल की डिलीवरी न की जाए। इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो लाभार्थी सिलेंडर की बुकिंग कर रहे हैं, उन्हें ही सिलेंडर मिल रहे हैं और कोई गलत व्यक्ति इसका लाभ नहीं उठा रहा है।
राजस्थान खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के एडिशन कमिश्नर की ओर से लिखे पत्र में बताया- सरकार NFSA कनेक्शनधारियों को 450 रुपए प्रति सिलेंडर सब्सिडी देती है। राज्य में करीब 70 लाख लाभार्थी परिवार हैं। इनको ये सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा केन्द्र सरकार उज्जवला कनेक्शधारियों को 300 रुपए सब्सिडी देती है। ये सब्सिडी डीबीटी के जरिए इन कनेक्शधारियों को ट्रांसफर की जाती है। ऐसे में ये सुनिश्चित हो सके कि बुकिंग की गई रिफिल (सब्सिडी वाला सिलेंडर) लाभार्थी ने ही किया है। वह रिफिल उसे ही मिल रही है। इसके लिए इन उपभोक्ताओं को डिलीवरी देते समय ओटीपी नंबर लिए जाए।
राजस्थान में ओटीपी से मिलेगा गैस सिलेंडर
राजस्थान में करीब 70 लाख NFSA और उज्जवला कनेक्शनधारी परिवार हैं। इन परिवारों को सरकार हर महीने गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देती है। NFSA कनेक्शनधारियों को 450 रुपए प्रति सिलेंडर और उज्जवला कनेक्शनधारियों को 300 रुपए की सब्सिडी मिलती है। यह सब्सिडी डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के जरिए उनके खातों में ट्रांसफर की जाती है।
अब, ओटीपी प्रणाली के तहत, रिफिल सिलेंडर की डिलीवरी के समय एक ओटीपी नंबर लिया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि रिफिल सिलेंडर सही लाभार्थी को ही मिल रहा है। इसके लिए सब्सिडी का ट्रांसफर उसी व्यक्ति को किया जाएगा, जिसने सिलेंडर बुक किया था।
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गैस डिलीवरी में ओटीपी प्रणाली क्यों जरूरी है?
जब से NFSA और उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर पर सब्सिडी दी जा रही है, तब से रिफिल की संख्या में वृद्धि हुई है। पहले, इन कनेक्शधारियों की औसत रिफिल संख्या 6 से 9 थी, लेकिन अब यह संख्या हर महीने 12 तक पहुंच गई है। इसका कारण यह है कि लोग इन सब्सिडी पर आधारित सिलेंडरों का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।
सम्भव है कि कुछ गैस एजेंसी संचालक या अन्य लोग इन लाभार्थियों के नाम पर रिफिल बुक करवा रहे हों और फिर इन्हें काले बाजार में बेच रहे हों। इस स्थिति में राज्य सरकार को सब्सिडी का नुकसान हो रहा है क्योंकि रिफिल बुकिंग के बाद सरकार को सब्सिडी ट्रांसफर करनी पड़ती है, लेकिन सिलेंडर लाभार्थी को मिलने की बजाय बाजार में बेचा जा रहा होता है।
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गैस सिलेंडर की कालाबाजारी रोकने की कवायद
इस संदर्भ में, राजस्थान सरकार ने यह कदम उठाया है कि सब्सिडी से लाभान्वित होने वाले सभी कनेक्शधारियों को गैस सिलेंडर ओटीपी के माध्यम से ही मिलें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिलेंडर सही लाभार्थी को ही मिल रहा है और इसका काले बाजार में कोई उपयोग नहीं हो रहा है।
इसके अलावा, ओटीपी के जरिए रिफिल की डिलीवरी से पारदर्शिता बढ़ेगी और राज्य सरकार को इस सब्सिडी वितरण प्रणाली की निगरानी में भी आसानी होगी।
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सब्सिडी वितरण में पारदर्शिता का महत्व
सरकार के इस कदम से सब्सिडी वितरण में पारदर्शिता आएगी और इस बात की पुष्टि होगी कि सिलेंडर केवल उन लोगों को मिल रहे हैं जो इसका हकदार हैं। इससे राज्य सरकार को भी अपनी योजनाओं को सही तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि राज्य के संसाधन केवल जरूरतमंदों तक पहुंच रहे हैं।
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ओटीपी प्रणाली को लेकर चुनौतियां क्या हैं?
इस कदम के बावजूद, कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह हो सकती है कि कुछ लाभार्थियों को ओटीपी की प्रक्रिया को समझने में कठिनाई हो सकती है, खासकर वे लोग जो तकनीकी रूप से कमजोर हैं। हालांकि, सरकार द्वारा इस प्रक्रिया के बारे में जागरूकता अभियान चलाए जाने की संभावना है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका सही तरीके से पालन कर सकें।