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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान में रणथंभौर टाइगर रिजर्व और अन्य इलाकों में इलाकों में बाघों के हमले के कारण हुई मौतों को लेकर एक बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया है। राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच आंकड़ों को लेकर असहमति देखने को मिली है। दरअसल केन्द्रीय राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा को दिए एक लिखित जवाब में बताया कि 2020 से 2024 के बीच राजस्थान में बाघों द्वारा इंसान की कोई हत्या नहीं हुई है। लेकिन, इस बयान का विरोध करते हुए राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा ने कहा है कि न तो केंद्र सरकार ने इस पर कोई जानकारी मांगी है, और न ही राज्य सरकार ने ऐसा कोई आंकड़ा केंद्र को भेजा है।
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राजस्थान में बाघों के हमले में हुई मौतों का आंकड़ा
भारत में बाघों की आबादी तेजी से बढ़ी है, जिसके कारण बाघों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ गया है। राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व जैसे इलाकों में बाघों द्वारा इंसानों पर हमले की घटनाएं सामने आई हैं। इन हमलों में कई लोगों की जान चली गई। लेकिन, इस पर केंद्रीय राज्यमंत्री का बयान यह था कि राज्य सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच पांच वर्षों में राजस्थान में बाघों के हमले में किसी इंसान की मौत नहीं हुई।
राजस्थान सरकार के वन मंत्री संजय शर्मा ने इस बयान को नकारते हुए कहा कि, न तो केंद्र ने राज्य सरकार से इस संबंध में कोई जानकारी मांगी, और न ही राज्य सरकार ने इस संबंध में कोई आंकड़ा केंद्र को भेजा है। उनके अनुसार, यह आंकड़ा किस स्रोत से आया है, यह स्पष्ट नहीं है।
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राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र को इस तरह का कोई आंकड़ा कभी नहीं भेजा। उनका कहना है कि यह आंकड़ा कहां से आया, यह सवाल उठता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और वन विभाग इस मामले में पूरी जानकारी देने के लिए तैयार हैं, लेकिन केंद्र द्वारा इस पर कोई स्पष्ट संवाद नहीं किया गया है।
राजस्थान में बाघों के हमले की घटनाएं
केस 1: रणथंभौर टाइगर रिजर्व के पास उलियाना गांव
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नवंबर 2024 में बाघ के हमले में भरतलाल मीणा की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद, वन विभाग ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया। लेकिन, परिवार ने इसे अपर्याप्त माना और उनके गांव में बाघ की हत्या कर दी। इसके बाद ग्रामीणों ने बाघ को मारकर गुस्से का इजहार किया।
केस 2: कानेटी गांव में पप्पू गुर्जर की मौत
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जनवरी 2021 में रणथंभौर के पास स्थित कानेटी गांव में बाघ के हमले में 40 वर्षीय पप्पू गुर्जर की मौत हो गई। उनके परिवार को वन विभाग ने 4.5 लाख रुपए का मुआवजा दिया।
केस 3: कोटा का अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क
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अक्टूबर 2023 में कोटा के अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में एक बाघ ने केयरटेकर रामदयाल को शिकार बना लिया। इस घटना के बाद, परिवार को 20 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया।
केस 4: खवा गांव के बाबूलाल गुर्जर की मौत
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अक्टूबर 2023 में रणथंभौर के पास स्थित खवा गांव में बाघ ने बाबूलाल गुर्जर की जान ले ली। इसके बाद, ग्रामीणों ने सवाई माधोपुर-कुंडेरा श्यामपुरा मार्ग पर शव रखकर प्रदर्शन किया। वन विभाग ने इस घटना पर 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया।
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केंद्रीय राज्य मंत्री ने राज्यसभा में क्या बयान दिया?
केंद्रीय राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में यह बयान दिया कि 2020 से 2024 के बीच राजस्थान में बाघों द्वारा किसी भी इंसान की मौत नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि यह आंकड़े राज्य सरकारों से प्राप्त जानकारी के आधार पर दिए गए हैं। लेकिन, इस बयान से राज्य सरकार असहमत है। राज्य सरकार का कहना है कि इस तरह के आंकड़े ना तो उनसे मांगे गए थे, और ना ही उन्होंने कभी केंद्र को भेजे थे।
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बाघों और इंसानों के बीच संघर्ष क्यों होता है?बाघों और इंसानों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्थान जैसे राज्यों में जहां बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है, वहां बाघों के द्वारा किए गए हमले भी बढ़े हैं। बाघों के शिकार और उनके जीवन क्षेत्र में मानव हस्तक्षेप के कारण यह संघर्ष बढ़ा है। इस संघर्ष का प्रमुख कारण है इंसानों का जंगलों में अतिक्रमण और बाघों का भोजन तलाशने के लिए इंसान के बस्तियों के पास आना। | |
बाघों द्वारा हमले की घटनाएं दुर्लभ
वन विभाग का कहना है कि बाघ का इंसान पर हमला दुर्लभ होता है। लेकिन जब भी कोई हमला होता है, तो उसे गंभीरता से लिया जाता है। वन विभाग इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए काम कर रहा है और बाघों के आवास को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहा है।