शिक्षा पर भारी पड़ेगा सरकार का जीएसटी, कैसे सस्ती मिलेंगी किताब-कॉपियां

केंद्र सरकार ने बच्चों की नोटबुक को टैक्स मुक्त कर दिया, लेकिन कागज पर 18% जीएसटी लगने से बच्चों को महंगी कॉपी और किताबें मिलेंगी। TheSootr में जानें पूरा मामला।

author-image
Nitin Kumar Bhal
New Update
rajasthan-notebook-tax-free-18-gst-on-paper

Photograph: (TheSootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

भारत सरकार ने हाल ही में स्कूली शिक्षा को सस्ता बनाने का एक बड़ा निर्णय लिया। जीएसटी काउंसिल (GST Council) ने बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी सामग्रियों को टैक्स से मुक्त कर दिया। इसमें नोटबुक (Notebooks) भी शामिल हैं, जिन पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। पहले इन पर 12 प्रतिशत जीएसटी (GST) लागू था, जिसे अब पूरी तरह हटा दिया गया है। इसे बच्चों के लिए सस्ती कॉपी उपलब्ध कराने का कदम माना जा रहा था, लेकिन इसकी वास्तविकता बिल्कुल उलट है।

इस निर्णय को लेकर व्यापक बहस चल रही है, क्योंकि सरकार ने जहां नोटबुक को टैक्स मुक्त किया है, वहीं कागज (Paper) पर टैक्स बढ़ा दिया है। अब कागज पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा, जबकि पहले यह 12 प्रतिशत था। कागज की कीमत में वृद्धि का असर नोटबुक के निर्माण पर पड़ेगा, जिससे अंततः स्कूली बच्चों को महंगी कॉपी खरीदनी पड़ेगी।

rajasthan-notebook-tax-free-18-gst-on-paper
File Photo Photograph: (TheSootr)

यह खबर भी देखें...

राजस्थान विधानसभा : आज आएगा धर्म परिवर्तन रोकने का विधेयक, विपक्ष का जोरदार हंगामा

सरकार का यह कदम बच्चों के हित में नहीं

राजस्थान के कागज कारोबारी और नोटबुक निर्माता गिरधारी मंगल ने इस सरकार के निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सरकार ने नोटबुक पर जीएसटी मुक्त कर दिया है, लेकिन कागज पर जीएसटी बढ़ा दिया है, जिससे नोटबुक की कीमत में लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसका असर पाठ्य पुस्तकों (Textbooks) पर भी पड़ेगा, क्योंकि ये किताबें भी इसी कागज से बनती हैं। गिरधारी मंगल ने यह भी कहा कि इस निर्णय से स्कूली बच्चों को महंगी किताबें मिलेंगी, जो पहले से ही महंगी हो चुकी थीं। ऐसे में सरकार के इस फैसले से बच्चों और अभिभावकों को केवल परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

rajasthan-notebook-tax-free-18-gst-on-paper
File Photo Photograph: (TheSootr)

कागज पर 18% जीएसटी क्यों बढ़ाया गया? 

केंद्र सरकार ने इस निर्णय को लागू करते समय कागज के उत्पादन में होने वाली लागत को ध्यान में नहीं रखा। कागज की कीमत में वृद्धि सीधे तौर पर नोटबुक और पाठ्य पुस्तकों की उत्पादन लागत को प्रभावित करती है। जब कागज पर 18% जीएसटी लगाया जाता है, तो यह लागत में वृद्धि का कारण बनता है। इसका असर न केवल कागज निर्माताओं पर पड़ेगा, बल्कि इसका अंतिम प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर भी दिखेगा, क्योंकि महंगी किताबों और नोटबुक की खरीदारी करना अभिभावकों के लिए एक अतिरिक्त बोझ बन जाएगा।

जीएसटी क्या है?

  • जीएसटी क्या है: जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) एक अप्रत्यक्ष कर है जो भारत में उत्पाद शुल्क, वैट, सेवा कर आदि जैसे कई अप्रत्यक्ष करों को समाहित करता है।

  • कानूनी गठन: वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 29 मार्च 2017 को संसद में पारित हुआ और 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ।

  • जीएसटी का उद्देश्य: जीएसटी वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है।

  • एक व्यापक और बहु-चरणीय कर: भारत में जीएसटी एक गंतव्य-आधारित और बहु-चरणीय कर है जो प्रत्येक मूल्यवर्धन पर लगाया जाता है।

  • एकल अप्रत्यक्ष कर प्रणाली: जीएसटी प्रणाली ने अधिकांश अप्रत्यक्ष करों को समाहित किया है, और अब यह पूरे देश के लिए एक एकल घरेलू अप्रत्यक्ष कर कानून है।

  • कर की प्रणाली: जीएसटी के तहत, बिक्री के प्रत्येक बिंदु पर कर लगाया जाता है।

  • राज्य के भीतर बिक्री: राज्य के भीतर होने वाली बिक्री पर केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी लागू होते हैं।

  • अंतर-राज्यीय बिक्री: सभी अंतर-राज्यीय बिक्री पर एकीकृत जीएसटी लागू होता है।

यह खबर भी देखें...

राजस्थान की जेलों में राशन खरीद घोटाला! बाजार से अधिक दामों में हो रही खरीददारी

सरकारी फैसले पर सवाल

इस फैसले पर सवाल उठाते हुए, चार्टर्ड अकाउंटेंट शैलेन्द्र सक्सेना ने कहा कि सरकार के वित्त विभाग में बैठे अधिकारियों को जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं है। उनका मानना है कि इस प्रकार के विरोधाभासी निर्णयों से स्कूलों और अभिभावकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। शैलेन्द्र सक्सेना का कहना है कि सरकार को इस निर्णय पर तत्काल स्थिति साफ करनी चाहिए। अगर नोटबुक टैक्स मुक्त हैं, तो कागज पर 18% जीएसटी लगाने का निर्णय समझ से बाहर है। इस प्रकार के निर्णय से न केवल छात्रों और अभिभावकों को कठिनाई होगी, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा।

rajasthan-notebook-tax-free-18-gst-on-paper
File Photo Photograph: (TheSootr)

टैक्स मुक्त नोटबुक का सही अर्थ

सरकार का यह निर्णय पहली नजर में बच्चों के लिए राहत देने जैसा लग सकता है, लेकिन जब इसे समझा जाता है, तो इसका उल्टा असर दिखाई देता है। जब कागज पर टैक्स बढ़ाया जाएगा, तो नोटबुक बनाने की लागत भी बढ़ेगी। हालांकि नोटबुक टैक्स मुक्त हैं, लेकिन कागज पर बढ़े हुए टैक्स का बोझ अंततः छात्रों और उनके अभिभावकों पर ही पड़ेगा। इससे यह सवाल उठता है कि सरकार के इस फैसले से क्या वास्तव में बच्चों की पढ़ाई को सस्ता किया जा रहा है या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक कदम है?

यह खबर भी देखें...

राजस्थान में करोड़ों की धोखाधड़ी कर फरार ​था डॉक्टर और उसका भाई, जानें ATS ने कैसे दबोचा

कागज पर जीएसटी बढ़ाने का शिक्षा पर असर क्या होगा?

स्कूली शिक्षा को सस्ता बनाने के नाम पर सरकार का यह कदम पहले तो आकर्षक लगता है, लेकिन जब इसकी गहराई में जाकर देखा जाता है, तो यह स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए एक अतिरिक्त बोझ बन जाता है। कागज पर बढ़े हुए जीएसटी के कारण नोटबुक और पाठ्य पुस्तकें महंगी हो जाएंगी, और इससे स्कूलों के लिए भी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

इससे जुड़ी एक और चिंता यह है कि इस बढ़ी हुई कीमत का असर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों पर पड़ेगा। ऐसे में सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए और एक ऐसा समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे शिक्षा की लागत में कमी आए, न कि बढ़े।

डीजीजीआई क्या है?

  • डीजीजीआई (DGGI) का परिचय:

    • डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) भारत में एक प्रमुख खुफिया एजेंसी है, जो वस्तु एवं सेवा कर (GST) चोरी से संबंधित जानकारी इकट्ठा करने और उस पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार है।

    • यह केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के तहत काम करता है और कर चोरी की जांच करता है।

  • DGGI का मुख्य कार्य:

    1. खुफिया जानकारी इकट्ठा करना:

      • यह जीएसटी चोरी, गलत चालान और अन्य कर चोरी से जुड़े मामलों के बारे में विभिन्न स्रोतों से जानकारी इकट्ठा करता है।

    2. जांच करना:

      • DGGI जीएसटी से संबंधित धोखाधड़ी के मामलों की जांच करता है, जिसमें संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ करना और वित्तीय दस्तावेजों की जांच करना शामिल है।

    3. प्रवर्तन:

      • यह जीएसटी कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है और अवैध गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई करता है।

    4. अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग:

      • DGGI कर चोरी से निपटने के लिए अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ भी सहयोग करता है।

  • डीजीजीआई की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

    • जीएसटी के लागू होने से पहले, DGGI को केंद्रीय उत्पाद शुल्क खुफिया महानिदेशालय (DGCEI) के नाम से जाना जाता था।

    • 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद इसका नाम बदलकर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) कर दिया गया।

  • DGGI की शक्तियां:

    1. पूछताछ:

      • यह कर चोरी के मामलों में व्यक्तियों को बुलाकर उनसे पूछताछ कर सकता है।

    2. दस्तावेजों की तलाशी और जब्ती:

      • DGGI कर चोरी के सबूत इकट्ठा करने के लिए दस्तावेजों की तलाशी और जब्ती कर सकता है।

    3. गिरफ्तारी:

      • गंभीर कर चोरी के मामलों में, DGGI के पास अपराधियों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने की शक्ति है।

rajasthan-notebook-tax-free-18-gst-on-paper
File Photo Photograph: (TheSootr)

यह खबर भी देखें...

राजस्थान में बेटी होना अपराध! जन्मते ही हर माह लावारिस छोड़ दी जाती हैं 20 बच्चियां

कागज पर जीएसटी बढ़ाने के फैसले से शिक्षा प्रणाली पर क्या असर पड़ेगा?

शिक्षा प्रणाली (Education System) पर इस निर्णय का दीर्घकालिक असर हो सकता है। जहां एक ओर सरकार का उद्देश्य शिक्षा को सस्ता करना था, वहीं दूसरी ओर इस फैसले से विद्यार्थियों की पढ़ाई की लागत बढ़ सकती है। कागज पर जीएसटी बढ़ाने से जो अतिरिक्त लागत आएगी, वह सीधे तौर पर बच्चों की पढ़ाई को महंगा बना सकती है।

यह निर्णय शिक्षण संस्थाओं, विशेष रूप से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की पहुंच को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यहां पढ़ने वाले बच्चे पहले से ही वित्तीय दबाव का सामना कर रहे हैं। ऐसे में इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

rajasthan-notebook-tax-free-18-gst-on-paper
File Photo Photograph: (TheSootr)

FAQ

1. सरकार ने बच्चों की नोटबुक पर टैक्स क्यों हटाया?
सरकार ने बच्चों की नोटबुक पर टैक्स हटा दिया ताकि बच्चों को सस्ती कॉपी मिल सके, लेकिन इसके साथ ही कागज पर जीएसटी बढ़ा दिया गया, जिससे अंत में कीमतें बढ़ सकती हैं।
2. कागज पर जीएसटी बढ़ाने से क्या असर होगा?
कागज पर जीएसटी बढ़ाने से नोटबुक और पाठ्य पुस्तकों की उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे इनकी कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
3. क्या कागज पर जीएसटी बढ़ाने के फैसले से बच्चों की शिक्षा सस्ती होगी?
इस फैसले से बच्चों की शिक्षा सस्ती नहीं होगी, क्योंकि कागज पर बढ़ी हुई जीएसटी के कारण नोटबुक और किताबों की कीमतें महंगी हो सकती हैं।
4. कागज पर जीएसटी बढ़ाने के निर्णय के बाद अभिभावकों पर क्या असर पड़ेगा?
अभिभावकों को महंगी किताबें और नोटबुक खरीदनी पड़ सकती हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है।
5. क्या सरकार को कागज पर जीएसटी बढ़ाने के निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए?
जी हां, सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि यह बच्चों और अभिभावकों पर अनावश्यक बोझ डाल सकता है।

कागज पर जीएसटी बढ़ाने का शिक्षा पर असर नोटबुक पर जीएसटी कागज पर जीएसटी जीएसटी काउंसिल जीएसटी GST