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Photograph: (the sootr)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के खिलाफ दायर याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। याचिकाकर्ता अधिवक्ता पूरण चंद्र सेन ने आरोप लगाया कि इन नेताओं ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के जरिए देश की एकता और अखंडता को खतरे में डाला और मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया। हाई कोर्ट के न्यायाधीश सुदेश बंसल ने मामले की सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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याचिकाकर्ता का आरोप
अधिवक्ता पूरण चंद्र सेन ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्षता और अनुच्छेद-15 के खिलाफ है। उनके अनुसार, इस संशोधन ने मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव किया है और इससे देश में अराजकता का माहौल उत्पन्न हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि संशोधन के बाद कई स्थानों पर सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, लेकिन पुलिस ने या तो एफआईआर दर्ज नहीं की या फिर आधी-अधूरी एफआईआर दर्ज की।
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सरकार का जवाब
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को संसद ने पास किया है और इसकी वैधानिकता पर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होंने कहा कि इस तरह की याचिकाएं सिस्टम का दुरुपयोग हैं और निचली अदालतों ने पहले ही इस तरह के मामलों को खारिज किया है। रस्तोगी ने अदालत से अपील की कि इस प्रकार की याचिकाओं को भारी लागत के साथ खारिज कर दिया जाए।
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मामला 2020 से चल रहा
यह मामला 2020 से चल रहा है। याचिकाकर्ता ने 12 अक्टूबर, 2020 को अलवर जिले के गोविंदगढ़ थाने में संज्ञेय अपराध की रिपोर्ट दी थी, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने एसपी को आवेदन भेजाफ फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
फिर उन्होंने लक्ष्मणगढ़ के न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में आपराधिक शिकायत प्रस्तुत की, जिसे मजिस्ट्रेट ने 21 अक्टूबर, 2020 को क्षेत्राधिकार से बाहर बताते हुए खारिज कर दिया। इस आदेश को चुनौती देने के बाद हाई कोर्ट ने पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिवीजन करने के निर्देश दिए थे, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने 20 फरवरी, 2025 को रिवीजन खारिज कर दी।
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पुलिस और अदालतों पर आरोप
याचिकाकर्ता का कहना है कि संज्ञेय अपराध की सूचना पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने पुलिस और अदालतों पर निष्क्रियता और अनदेखी का आरोप भी लगाया है। अब कोर्ट इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख चुका है और इसका परिणाम जल्द ही सामने आएगा।