पूनियां की किताब में जुगाड़ से लेकर जादूगर तक, कांग्रेस-गहलोत-पायलट की राजनीति पर तंज

पूनियां की किताब में गहलोत-पायलट के बीच चल रही सत्ता की लड़ाई, विश्वास प्रस्ताव, और राजस्थान की राजनीति में जुगाड़ और जादूगर का जिक्र किया गया है, जो कांग्रेस के अंदरखाने के हालात को उजागर करती है।

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Amit Baijnath Garg
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Jaipur. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और हरियाणा प्रभारी डॉ. सतीश पूनियां की किताब 'अग्निपथ नहीं जनपथ' में उन्होंने एक रोचक अध्याय 'विश्वास प्रस्ताव-संकट विश्वास का' शीर्षक से लिखा है। इसमें उन्होंने गहलोत और पायलट के बीच उस समय चली राजनीतिक घमासान का जिक्र किया, जब पायलट बगावत कर चुके थे और गहलोत सरकार संकट में थी। उन्होंने किताब में एक लोकप्रिय गीत के बोल बेवफा तेरा यूं मुस्कुराना, भूल जाने के काबिल नहीं है... का उल्लेख करते हुए कहा कि यह शायद पहली बार था, जब एक सरकार लोकतंत्र और नैतिकता की बात करती हुई बाड़े में बंद होकर चल रही थी।

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गहलोत-पायलट के दो खेमे

पूनियां ने बताया कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच दो खेमों की खींचतान का असर राज्य की सरकार पर पड़ा था। 14 अगस्त, 2020 को विश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें गहलोत सरकार को अपने ही विधायकों से पैदा हुए अविश्वास को दूर करने के लिए एक वोट की जरूरत थी। पूनियां के मुताबिक, यह विश्वास प्रस्ताव राजनीति के एक अनोखे मोड़ पर था, क्योंकि आमतौर पर सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष लाता है, लेकिन इस बार सरकार को अपनी ही ताकत दिखानी थी।

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राज्यपाल और गहलोत की राजनीति

किताब में गहलोत के समर्थकों द्वारा राज्यपाल पर दबाव बनाने के राजनीतिक खेल का भी जिक्र किया गया है। पूनियां ने इसे एक खेल की तरह पेश किया, जिसमें सरकार अपनी शक्ति दिखाने के लिए सदन में विश्वास प्रस्ताव लेकर आई। राज्यपाल पर दबाव डालने की भी बात इस घमासान में शामिल थी, जिससे यह सिद्ध हुआ कि राज्य में सत्ता के दो प्रमुख नेता आपसी खींचतान में थे।

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राजस्थान का जुगाड़ और जादूगर

पूनियां ने इस पूरे घटनाक्रम के बाद राजस्थान की राजनीति को जुगाड़ और जादूगर से जोड़ा। उन्होंने कहा कि राजस्थान का जुगाड़ मशहूर है और इसके लिए जादूगर भी प्रसिद्ध हैं। पूनियां ने 2008 और 2018 के चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह कांग्रेस ने बीएसपी की पूरी पार्टी को अपने साथ मिलाया और इसे एक नई रणनीति के रूप में पेश किया। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे सहकारी संघवाद के नारे के तहत कांग्रेस ने अपनी सत्ता को बचाने के लिए गंदे तरीके अपनाए।

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राजनीति में नैतिकता और विश्वास प्रस्ताव

पूनियां ने विश्वास प्रस्ताव को लेकर गहलोत सरकार के आचरण पर टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने यह कहा कि गहलोत ने अपनी सरकार को बचाने के लिए अपने ही विश्वास को तोड़ा। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार का विश्वास तभी काम करता है, जब वह नैतिकता और लोकतंत्र के साथ सही कदम उठाती है। इस पूरे घटनाक्रम ने राजस्थान की राजनीति को एक नया मोड़ दिया और जनता को भी यह समझ में आया कि किस प्रकार राजनीति में विश्वास का मूल्य घटता जा रहा है।

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200 पन्नों में 15 प्रमुख विषय

पूनियां की किताब का विमोचन रविवार को जयपुर के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में हुआ था। इस किताब में कुल 200 पन्नों में 15 प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई है, जिसमें उनके राजनीति के अनुभव, प्राइवेट मेंबर बिल, कोविड के समय की स्थितियां और किसान कर्जमाफी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का जिक्र है। इस किताब में उन्होंने राजनीति के कई अनछुए या यूं कहें कि काले अध्यायों का जिक्र किया है। उन्होंने सत्ता की लड़ाई और प्रदेश की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर भी कलम चलाने का प्रयास किया है।

FAQ

1. सतीश पूनियां की किताब में कौन-कौन से प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई है?
सतीश पूनियां की किताब में राजनीतिक संघर्ष, विश्वास प्रस्ताव, कोविड-19, किसान कर्ज, नागरिकता संशोधन अधिनियम और कई अन्य मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है।
2. क्या किताब में गहलोत और पायलट के बीच की सत्ता लड़ाई का जिक्र किया गया है?
हां, किताब में गहलोत और पायलट के बीच सत्ता की खींचतान और विश्वास प्रस्ताव की पूरी कहानी का जिक्र किया गया है।
3. सतीश पूनियां ने 'राजस्थान का जुगाड़' और 'जादूगर' से क्या तात्पर्य निकाला है?
पूनियां ने 'राजस्थान का जुगाड़' और 'जादूगर' से तात्पर्य लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए अपनी रणनीतियों में धांधली की और ‘जादू’ की तरह सत्ता की चालाकी का उपयोग किया।

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