राजस्थान के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी का निधन, दो साल से कोमा में थे

राजस्थान कांग्रेस के नेता रामेश्वर लाल डूडी का निधन बीकानेर में हुआ। 62 वर्ष की आयु में, उनका निधन किसानों, दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए एक बड़ी क्षति है।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान के कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर लाल डूडी का शनिवार देर रात बीकानेर में निधन हो गया। उनका निधन 62 वर्ष की आयु में हुआ। डूडी पिछले दो वर्षों से ब्रेन हेमरेज के कारण कोमा में थे। इस दुखद घटना ने न केवल कांग्रेस परिवार बल्कि राजस्थान के किसानों, दलितों और पिछड़े वर्गों में शोक की लहर दौड़ा दी है। रविवार सुबह डूडी का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बीरमसर में किया जाएगा।

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डूडी का जीवन परिचय

रामेश्वर लाल डूडी का जन्म 1 जुलाई 1963 को बीकानेर जिले के नोखा तहसील के बीरमसर गांव में हुआ था। वह एक साधारण किसान परिवार से थे और जाट समाज के प्रमुख चेहरे थे। उनके परिवार का जुड़ाव होटल और खदान व्यवसाय से था। डूडी ने राजनीति में अपनी शुरुआत एनएसयूआई से की, जहाँ उन्होंने छात्र आंदोलनों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई। उनकी राजनीति में स्थिरता और दृढ़ संकल्प का अद्भुत मेल था।

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राजनीतिक सफर का आरंभ

रामेश्वर डूडी का राजनीतिक करियर 1995 में शुरू हुआ, जब वह नोखा पंचायत समिति के प्रधान बने। इसके बाद उन्होंने 2004 में बीकानेर से लोकसभा चुनाव जीता। 2009 में उनका लोकसभा चुनाव में हार हुआ, लेकिन फिर 2013 में वह नोखा से विधानसभा चुनाव में जीतकर विधायक बने। डूडी को उनकी आक्रामक शैली और किसानों के मुद्दों पर सख्त रुख के लिए जाना जाता था। उनकी यह सख्ती ही उन्हें ‘डूडी भैया’ के नाम से प्रसिद्ध कर गई।

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किसानों और श्रमिकों के लिए संघर्ष

रामेश्वर डूडी किसान, मजदूर, दलित और पिछड़े वर्गों के लिए एक मजबूत आवाज थे। उन्होंने हमेशा कृषि सुधार, सिंचाई की सुविधाओं और ग्रामीण विकास पर जोर दिया। यही कारण था कि वह किसानों के बीच बहुत प्रिय थे। उनका उद्देश्य हमेशा किसान और श्रमिक वर्ग के हितों की रक्षा करना था।

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रामेश्वर डूडी का योगदान

रामेश्वर डूडी ने बीकानेर में दो बार जिला प्रमुख का पद संभाला। इसके साथ ही एक बार विधायक रहते हुए वह राजस्थान एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष भी बने। उनके नेतृत्व में बीकानेर में कई कृषि और ग्रामीण विकास योजनाओं की शुरुआत हुई। डूडी ने 2018 में नोखा से विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया, लेकिन कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता के रूप में वे हमेशा सक्रिय रहे। वह हमेशा अपने सख्त और दृढ़ रुख के लिए जाने जाते थे।

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डूडी के निधन पर सीएम भजनलाल शर्मा व पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने जताया शोक

रामेश्वर डूडी के निधन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शोक व्यक्त किया और उन्हें राजस्थान की राजनीति का मजबूत स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि डूडी का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें ‘किसानों का मसीहा’ बताया और कहा कि उनका जाना कांग्रेस के लिए एक अपूरणीय क्षति है। राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने डूडी को सामाजिक न्याय के योद्धा के रूप में याद करते हुए कहा कि उनके निधन से बीकानेर का एक बड़ा चेहरा खामोश हो गया।

समर्थकों का उमड़ा समर्थन 

डूडी के निधन की खबर मिलते ही बीकानेर, नोखा और डूंगरगढ़ में उनके हजारों समर्थक जमा हो गए। किसान संगठनों ने शोक सभा का आयोजन किया है। रामेश्वर डूडी के परिवार में उनकी पत्नी सुशीला डूडी, जो नोखा से कांग्रेस की विधायक हैं, और दो पुत्र और एक पुत्री हैं। डूडी के पार्थिव शरीर को बीकानेर से उनके पैतृक गांव बीरमसर ले जाया गया, जहां 5 अक्टूबर 2025 को उनका अंतिम संस्कार होगा।

FAQ

1. रामेश्वर डूडी का जन्म कहाँ हुआ था?
रामेश्वर डूडी का जन्म 1 जुलाई 1963 को बीकानेर जिले के नोखा तहसील के बीरमसर गांव में हुआ था।
2. रामेश्वर डूडी की प्रमुख राजनीतिक उपलब्धियां क्या थीं?
रामेश्वर डूडी ने 2004 में बीकानेर से लोकसभा चुनाव जीते और 2013 में नोखा से विधायक बने। वे किसानों के मुद्दों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे।
3. डूडी को ‘डूडी भैया’ क्यों कहा जाता था?
रामेश्वर डूडी को उनकी सख्त और आक्रामक शैली के कारण ‘डूडी भैया’ के नाम से जाना जाता था। उनका रुख किसानों और श्रमिकों के मुद्दों पर हमेशा सख्त था।
4. डूडी के निधन पर कौन-कौन से नेताओं ने शोक व्यक्त किया?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
5. रामेश्वर डूडी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कब होगा?
रामेश्वर डूडी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार 5 अक्टूबर 2025 को बीकानेर जिले के बीरमसर गांव में होगा।

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