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Photograph: (TheSootr)
Jaipur. राजस्थान में शिक्षा विभाग 1 अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत की योजना बना रहा है, लेकिन इसे लेकर कई मुद्दे सामने आ रहे हैं। सरकारी अधिकारियों का दावा है कि इस बदलाव से सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ेगा और निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति बनेगी। हालांकि, यह बदलाव शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
राजस्थान में आगामी शिक्षा सत्र की शुरुआत की तिथि को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों में असमंजस बना हुआ है। वर्तमान सत्र 1 जुलाई से शुरू हुआ था, लेकिन आगामी सत्र में 1 अप्रैल से शुरुआत करने की योजना है। अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि इस बदलाव से सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों से नामांकन में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा।
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राजस्थान के स्कूलों में सत्र कबसे शुरू होगा?
विभाग ने 2016-17 में भी 1 अप्रैल से शिक्षा सत्र शुरू करने का प्रयास किया था, लेकिन वह प्रयोग सफल नहीं हो सका। परिणामस्वरूप, सत्र की शुरुआत 1 मई से करने का निर्णय लिया गया। अब, 1 अप्रैल से सत्र शुरू करने की योजना फिर से बनाई गई है, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियाँ जुड़ी हुई हैं।
बोर्ड और वार्षिक परीक्षा का सामंजस्य प्रमुख चुनौती
राजस्थान शिक्षा विभाग को 1 अप्रैल से शिक्षा सत्र शुरू करने के बाद सबसे बड़ी चुनौती बोर्ड परीक्षा और स्थानीय परीक्षाओं का सामंजस्य बैठाना होगा। फरवरी अंत या मार्च में बोर्ड परीक्षाएं होती हैं, और इन परीक्षाओं का परिणाम मार्च में तैयार किया जाता है। इस दौरान शिक्षकों को परीक्षा परिणाम तैयार करने की जिम्मेदारी होती है, लेकिन अगर नया सत्र 1 अप्रैल से शुरू होता है, तो उन्हें पहले से अधिक दबाव का सामना करना पड़ेगा।
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किताबों की उपलब्धता भी एक और बड़ी समस्या
एक अन्य बड़ी समस्या यह होगी कि अप्रैल में सरकारी स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच पाएंगी। ऐसे में बच्चों को बिना किताबों के स्कूल जाना होगा। यह स्थिति शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर डाल सकती है, क्योंकि किताबें बच्चों के लिए सबसे अहम संसाधन होती हैं।
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सत्र का समय बदलने पर यह बोले शिक्षक संघ
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विपिन शर्मा ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर सत्र 1 जुलाई से शुरू किया जाता है, तो सरकारी स्कूल निजी स्कूलों से पीछे रह जाएंगे। उनका मानना है कि 1 अप्रैल से सत्र शुरू करने से सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ेगा और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
वहीं, राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम के महामंत्री नवीन कुमार शर्मा ने इस योजना पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने पिछले सालों में स्कूलों को प्रयोगशाला बना दिया है और भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए 1 अप्रैल से सत्र शुरू करना सही नहीं है। उनका कहना था कि पहले भी इस तरह के प्रयोग असफल हो चुके हैं, और अब भी ऐसा ही हो सकता है।
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राजस्थान स्कूल शिक्षा विभाग ने की तैयारी
स्कूल शिक्षा विभाग राजस्थान की समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अगले शिक्षा सत्र से 1 अप्रैल से सत्र की शुरुआत की जाएगी। हालांकि, विभाग को इस फैसले को लागू करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। एक तरफ जहां सरकार और शिक्षक संघ का मानना है कि इससे नामांकन में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर पहले के असफल प्रयोग और विभिन्न चुनौतियों को देखते हुए कई सवाल खड़े होते हैं। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ​इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं।
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