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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में भाजपा विधायक की बेटी 40 फीसदी बधिर विकलांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर तहसीलदार बन गई। विकलांगता प्रमाण-पत्र फर्जी बनाने की बात सामने आई तो विधायक पुत्री के कानों की जांच की गई। जांच में 40 फीसदी विकलांगता झूठी पाई गई है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, विधायक पुत्री का एक कान पूरी तरह से ठीक है और वह इससे सुन सकती है। वहीं दूसरे कान में सिर्फ आठ फीसदी बाधकता सामने आई है।
राजस्थान : क्या भाजपा विधायक की पुत्री फर्जी दिव्यांग बन तहसीलदार बनी, जांच शुरू
एक कान बिल्कुल सही
इस जांच रिपोर्ट से विधायक पुत्री द्वारा गलत तथ्यों पर विकलांगता प्रमाण-पत्र बनवाना साबित हो सकता है। साथ ही उक्त प्रमाण-पत्र पर तहसीलदार की नियुक्ति पर भी संकट आ सकता है। विधायक पुत्री है राजस्थान के ब्यावर से भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत की बेटी कंचन चौहान। एसएमएस हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड में 14 अक्टूबर को कंचन चौहान की कानों की जांच की गई थी। जांच रिपोर्ट में एक कान में कोई समस्या नहीं होने और दूसरे कान में आठ फीसदी बाधकता आई है।
लगा रहे फर्जी प्रमाण-पत्र
सरकारी नौकरियों में विकलांग कोटे से नौकरी पाने वालों की काफी शिकायतें सामने आ रही है। एसओजी की जांच में विकलांग प्रमाण-पत्र फर्जी व झूठे बनाने के कई मामले पकड़े जा चुके हैं। विकलांग कोटे में नौकरी के लिए चालीस फीसदी विकलांग होना आवश्यक है, जबकि विभिन्न विभागों में निकाली गई नियुक्तियों में विकलांग कोटे में नौकरी पाने वालों के प्रमाण-पत्र ही गलत पाए जा रहे हैं।
विधायक पुत्री को सुनने में परेशानी नहीं
2024 में तहसीलदार बनी विधायक पुत्री कंचन चौहान की मेडिकल जांच में भी ऐसा ही हुआ। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, बधिर बनकर नौकरी पाने वाली कंचन को सुनने में कोई परेशानी नहीं है। उसकी विकलांगता मात्र आठ फीसदी है। बताया जा रहा है कि कंचन चौहान की तरह 38 कर्मचारियों के प्रमाण-पत्र भी फर्जी पाए गए हैं। सबसे अधिक बधिर विकलांग प्रमाण-पत्र वाले हैं।
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डॉक्टर्स पर होगी कानूनी कार्यवाही
सरकारी नौकरियों के लिए लोग फर्जी विकलांगता प्रमाण-पत्र बनाने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। इस आपराधिक कृत्य में सरकारी चिकित्सक भी बराबर के भागीदार बने हुए हैं। वे भी लालच और प्रलोभन में फर्जी विकलांगता प्रमाण-पत्र बनाने में लगे हुए हैं। सिरोही में एक ऐसा ही फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र बनाने का गिरोह सामने आ चुका है।
एसओजी कर रही जांच
एसओजी इन मामलों की जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि बधिर और दृष्टि संबंधित प्रमाण-पत्र ज्यादा फर्जी बनाए गए हैं। एसओजी की रडार पर फर्जी विकलांगता प्रमाण-पत्र देने वाले सौ से अधिक चिकित्सक रडार पर हैं। इन चिकित्सकों के खिलाफ भी मामले दर्ज करके कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
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कानूनी शिकंजे में विधायक पुत्री
ब्यावर विधायक शंकर सिंह रावत की पुत्री कंचन के बधिर विकलांगता प्रमाण-पत्र की जांच चल रही है। कंचन के फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट को लेकर सीएम पोर्टल पर शिकायत की गई थी। इसके बाद एसओजी में परिवाद दर्ज हुआ। कंचन को मेडिकल के लिए 3 सितंबर, 2025 को बुलाया, लेकिन वह नहीं आई।
कसेगा कानूनी शिकंजा
बाद में 14 अक्टूबर को एसएमएस में मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की गई, जिसमें एक ही कान में आठ फीसदी विकलांगता आई है। कंचन ने ने आरएएस भर्ती में चालीस फीसदी विकलांगता प्रमाण-पत्र लगाया था। मामले की जांच एसओसी कर रही है। मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट के पास कंचन और बधिर प्रमाण-पत्र जारी करने वाले डॉक्टर्स के खिलाफ कानूनी शिकंजा कस सकता है।
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कई मामले पकड़े गए
फर्जी विकलांगता सर्टिफिकेट से बहुत से लोगों ने नौकरी तो हासिल कर ली, लेकिन अब वे जांच के दायरे में हैं। कईयों की शिकायतें एसओजी और विभागों के पास है, जिनकी जांच चल रही है। ऐसे ही एक फर्जी प्रमाण-पत्र पर नौकरी पाने वाली पीएचईडी कर्मचारी कविता यादव को बर्खास्त कर दिया था। स्टेनोग्राफर कविता की जांच में 15 प्रतिशत दिव्यांग कैटेगरी में बताया गया।
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38 दिव्यांग सर्टिफिकेट फर्जी
एसओजी व अन्य जांच एजेंसी के पास 38 दिव्यांग सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। कविता के अलावा किसी अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। एसओजी ने 66 कर्मचारियों को जांच के लिए बुलाया था। इनमें से 23 तो आए ही नहीं। 43 की जांच में सिर्फ 6 कर्मचारी सही पाए गए हैं। अन्य सभी के सर्टिफिकेट गलत पाए गए हैं। इनके खिलाफ संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए एसओजी का पत्र मिला है।
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